Neem Karoli Baba Birthday: नीम करोली बाबा का जन्मदिन कब है? जानें सही तिथि और अन्य जरुरी बातें

Neem Karoli Baba Ka Janmdin Kab Hai
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नीम करोली बाबा का जन्मदिन मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है।
उत्तराखंड स्थिति कैंची धाम बाबा नीम करोली का आश्रम है। यह वही जगह है, जहां बाबा ने अपने जीवन का अधिकांश समय व्यतीत किया था। बाबा नीम करोली हनुमान जी के अनन्य भक्तों में

Neem Karoli Baba Ka Janmdin Kab Hai: उत्तराखंड स्थिति कैंची धाम बाबा नीम करोली का आश्रम है। यह वही जगह है, जहां बाबा ने अपने जीवन का अधिकांश समय व्यतीत किया था। बाबा नीम करोली हनुमान जी के अनन्य भक्तों में माने जाते है। उनके अनुयायियों द्वारा प्रचलित कहानियों की मानें तो बाबा नीम करोली को कई तरह की सिद्धियां भी प्राप्त थी, इसलिए भक्त उन्हें कलयुग का हनुमान भी कहा करते थे। बाबा सभी लोगों को समान भाव से देखते थे।

महज 17 साल की उम्र में परम ज्ञान की प्राप्ति करने वाले बाबा नीम करोली को 20वीं सदी का महान संत और आध्यात्मिक गुरु कहा जाता है। बाबा के भक्त उन्हें कैंची धाम जाकर कंबल अर्पित करते है और मालपुए का भोग लगाते है। ....और यह सब किया जाता है बाबा नीम करोली के जन्मदिवस पर। ऐसे में सवाल आता है कि, नीम करोली बाबा का जन्मदिन कब मनाया जाता है? इस लेख के माध्यम से हम ये सभी जानकारी आपको बता रहे हैं-

नीम करोली बाबा का जन्मदिन कब मनाया जाता है?

प्रचलित कथाओं और कहानियों के मुताबिक, नीम करोली बाबा का जन्मदिन मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को आता है। प्रतिवर्ष इसी तिथि को बाबा का जन्मदिन उनके अनुयायियों द्वारा हर्ष -उल्लास के साथ मनाया जाता है। साथ ही बाबा को कंबल अर्पण और मालपुए का भोग लगाया जाता है।

नीम करोली बाबा के बारे में जरूरी बातें
(Important things about Neem Karoli Baba)

  • - नीम करोली बाबा का असली नाम 'लक्ष्मी नारायण शर्मा' था।
  • - बाबा नीम करोली का जन्म उत्तर प्रदेश के फिरोज़ाबाद ज़िले के अकबरपुर गांव में हुआ था।
  • - एक धनी ब्राह्मण परिवार में जन्मे बाबा नीम करोली ने 17 साल की उम्र में संन्यास ले लिया था।
  • - बाबा नीम करोली ने 1964 में उत्तराखंड के नैनीताल के पास कैंची धाम आश्रम स्थापित किया था।
  • - बाबा नीम को हांडी वाले बाबा, लक्ष्मण दास, तिकोनिया वाले बाबा तथा तलईया बाबा भी कहते हैं।
  • - नीम करोली बाबा ने 11 सितंबर, 1973 को वृंदावन में अपने शरीर का त्याग कर दिया था।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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