ऐसे फाइल करें जीएसटी टैक्स, जानें इसके तकनीकी टर्म

एक जुलाई से जीसएटी यानी कि वस्तु एवं सेवाकर लागू होने के बाद देश के टैक्स सिस्टम में बड़ा बदलाव हो गया है। अभी तमाम छोटे और मझोले व्यापारी वर्ग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि आखिर जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर)के तहत टैक्स रिटर्न कैसे फाइल किया जाएगा?
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बड़ी बात ये है कि नए सिस्टम का लाभ लेने के लिए सप्लायर के इनवॉइस यानि कि पक्की रसीद और टैक्स अदायगी के बीच एक रूपता यानी कि मिलान होना जरूरी है। इसके बाद ही व्यारियों को आईटीसी यानि कि इनपुट टैक्स क्रेडिट मिल सकेगा।
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समय की पाबंदी
जीएसटी के नियम के मुताबिक, हर तीसरे महीने रिटर्न फाइल करना जरूरी होगा। इसके तहत हर महीने निश्चित तारीख पर जीएसटी से जुड़ी प्रक्रिया पूरी ही करनी होगी। बता दें कि जीएसटी में फ्रॉड करने पर अधिकतम 5 साल तक जेल की सजा का प्रावधान किया गया है। ऐसे में जेल जाने से बचने का यही तरीका है कि टैक्स से जुड़े सारे काम समय पर पूरे कर लिए जाएं।
किनको नोटिस
यदि अब व्यापारी टैक्स नहीं देते हैं और अपने व्यापार और आय का ब्यौरा नहीं देंगे तो उन्हें आयकर की तरफ से नोटिस का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही ब्याज, लेट फीस और पेनाल्टी आदि भी लग सकती है। पेनाल्टी से बचने के लिए पांच तारीखें अहम हैं।
10 तारीख
हर महीने की 10 तारीख व्यापारी को पिछले महीने के हर रिकॉर्ड को अगले महीने की 10 तारीख तक जीएसटी पोर्टल पर देना होगा।
उदाहरण के लिए मान लीजिए आपने अगस्त महीने में जो कारोबार किया है उसे सितंबर महीने की 10 तारीख तक जीएसटी पोर्टल पर दर्ज करना होगा।
अगर आप ये तारीख भूल जाते हैं तो आपको लेट फीस अदा करनी पड़ सकती है। जीएसटी-आर फॉर्म यानी कि जीएसटी रिटर्न फॉर्म में अपने वस्तुओं और सेवाओं की जानकारी दर्ज करना होगा।
इसके अलावा वस्तुओं और सेवाओं पर कुल कर योग्य कीमत भी बतानी होगी।
अगर ग्राहक को की गई सप्लाई पर टैक्स 2.5 लाख रुपए से अधिक बनता है और ये सप्लाई दूसरे राज्य में की गई है तो आपको हर इनवाइस यानी कि पक्की रसीद की जानकारी देनी होगी।
13 तारीख
हर महीने की 13 तारीख इनपुट सर्विस ड्रिस्टिब्यूटर (मैन्यूफैक्चरर ऑफिस) के लिए बहुत अहम है। इसमें सर्विस प्रदान करने वाले व्यक्ति को पूरी जानकारी जीएसटी पोर्टल पर अपलोड करनी होगी। इसके लिए फॉर्म जीएसटीआर-6 का प्रयोग किया जाएगा।
15 तारीख
इस तारीख को आपने अपने सप्लायर से जितना माल खरीद है उसकी जानकारी आपको महीने की 15 तारीख को दर्ज करनी होगी। इसमें फॉर्म जीएसटीआर-2 का प्रयोग होगा।
18 तारीख
यह रिटर्न आपको खत्म हुए तिमाही के अगले महीने में भरना होगा। साथ ही ये तारीख कंपाउंड टैक्स पेयर और मासिक 20 लाख रुपए से ज्यादा की आय होने पर रिटर्न देना होगा।
इसमें आपको पूरे क्वार्टर का यानि कि पूरी तिमाही का रिटर्न भरना होगा। इसमें जीएसटीआर-4 फॉर्म का प्रयोग किया जाएगा।
20 तारीख
20 तारीख सप्लायर और खरीदने वाले दोनों के लिए अहम है। इसके लिए आपको जीएसटीआर-3 फॉर्म भरना होगा। इसे आप तब भरेंगे जब आपका मंथली बिजनेस 20 लाख रुपए से कम होगा।
आगे की स्लाइड में जानिए रिवर्स चार्ज, कंपोजिशन स्कीम, इनपुट टैक्स क्रेडिट, आयातित पर जीएसटी और नौकरीपेशा लोगों पर इसका असर
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