International Yoga Day: योग से दुनियाभर में समृद्ध हुई भारत की सांस्कृतिक विरासत, जानें इसके 5 फायदे 

International Yoga Day
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International Yoga Day
International Yoga Day: योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है। इसकी उत्पत्ति 5,000 साल पहले भारत में हुई। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 दिसंबर, 2014 को आधिकारिक स्वीकृति दी। 21 जून 2015 को पूरी दुनिया ने स्वीकारा।

International Yoga Day: भारत सहित पूरी दुनिया में हर साल 21 जून को विश्व योग दिवस मनाया जाता है। उत्तरी गोलार्ध में इस दिन साल का सबसे लंबा दिन होता है। लिहाजा, दुनिया के कई इलाकों में यह दिन विशेष माना जाता है। कुद लोग ग्रीष्म संक्रांति कहते हैं। यही कारण है कि योग परंपराओं के लिहाज से इसे शुभ माना गया है।

योग की वैश्विक महत्ता
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 11 दिसंबर, 2014 को आधिकारिक तौर पर 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के रूप में घोषित किया है। 177 देशों ने इसे सपोर्ट किया। पहला विश्व योग दिवस 21 जून, 2015 को मनाया गया। इसमें दुनियाभर के लाखों लोग अलग अलग सत्रों और कार्यक्रमों में शामिल हुए।

योग का ऐतिहासिक महत्व
योग एक तरह से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक अभ्यास है। भारत में इसकी उत्पत्ति 5,000 साल पहले हुई थी। संस्कृत में योग का अर्थ जुड़ना या एकजुटता होता है। यह शरीर और चेतना के मिलन का भी प्रतीक है। पिछले कुछ वर्षों में योग की विभिन्न शैलियां व स्वरूप विकसित हुए। लेकिन मूल सिद्धांत वही हैं।


योग से सेहत को होने वाले 5 फायदे

  • शारीरिक स्वास्थ्य: योग लचीलेपन, शक्ति और मुद्रा में सुधार कर शारीरिक को स्वास्थ्य लाभ देता है। नियमित योगाभ्यास से ब्लड प्रेशर, मधुमेह और गठिया की समस्या दूर होती है।
  • मानसिक स्वास्थ्य: योग शांत चित और एकाग्रता के लिए उपयोगी है। विश्राम और मानसिक स्पष्टता को बढ़ावा देता है। साथ ही चिंता, तनाव और अवसाद से राहत मिलती है।
  • आध्यात्मिक विकास: योग ब्रह्मांड की शक्तियों से मन को जोड़ने में मदद करता है। इससे मनन चिंतन, आत्म-जागरूकता और आंतरिक शांति को बढ़ावा मिलता है।
  • समुदाय और वैश्विक एकता: योग दिवस एकता और सद्भाव का बढ़ावा देता है। विश्व कुटुंबकम की भावना को बढ़ाता है। साथ ही उम्र, लिंग क्षेत्रीयता के भाव से इतर हर पृष्ठभूमि के लोगों को साथ लाने में मदद करता है।
  • सांस्कृतिक विरासत: अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस से भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा मिलता है। यह प्राचीन अभ्यास आज भी इसकी प्रासंगिक है कि जागरूकता बढ़ाता है।
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