सुप्रीम सुनवाई: OTT और सोशल मीडिया पर अश्लील कंटेंट दिखाया तो खैर नहीं, SC ने जारी किया नोटिस, सरकार से मांगा जवाब

Wakf Amendment Act: Central government filed reply in Supreme Court
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केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपना विस्तृत जवाब दाखिल किया।
SC on Indecent Content: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट की स्ट्रीमिंग को सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से लिया है। कंपनियों को नोटिस जारी किया है।

SC on Indecent Content: सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स और ओटीटी (ओवर द टॉप) प्लेटफॉर्म्स पर अश्लील कंटेंट परोसने वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (28 अप्रैल) को इससे जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार और संबंधित कंपनियों से जवाब तलब किया है।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा, यह एक गंभीर मुद्दा है। इस पर सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है। यह मामला हालांकि, कार्यपालिका और विधायिका के अधिकार क्षेत्र का है। हम पर कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में दखल देने के आरोप लगते हैं। इसके बावजूद हम नोटिस जारी कर रहे हैं।

नए नियम लागू करने पर चल रहा विचार
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने बताया, सोशल मीडिया और OTT प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट के लिए रूल रेगुलेशन पहले से मौजूद हैं। सरकार इस संबंध में कुछ नए नियम लागू करने पर भी विचार कर रही है।

युवाओं और बच्चों में पड़ रहा बुरा असर
एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने दायर याचिका में कोर्ट को बताया कि OTT और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बिना किसी फिल्टर के अमर्यादित सामग्री दिखाई जाती है। युवाओं और बच्चों के मनो-मस्तिष्क इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। बड़े बुजुर्ग भी कई बार इससे प्रभावित हो जाते हैं। ऐसी सामग्री के प्रकाशन पर रोक लगाई जानी चाहिए।

याचिकाकर्ता की मांग

  • याचिकाकर्ता ने सोशल मीडिया कंटेंट की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली कमेटी गठित करने की मांग की है। कहा, कमेटी में एक्सपर्ट्स को भी शामिल किया जाए। यह कमेटी सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन की तर्ज पर सर्टिफिकेशन करेगी।
  • याचिकाकर्ता ने भारतीय पुनर्वास परिषद से मान्यता प्राप्त मनोवैज्ञानिकों और एक्सपर्ट्स की कमेटी बनाने की भी मांग की है। जो देश भर में अध्ययन कर अश्लील कंटेंट से समाज में पड़ने वाले दुष्प्रभावों का मूल्यांकन कर रिपोर्ट बनाए।

OTT प्लेटफॉर्म्स ने बनाया सेल्फ रेगुलेशन कोड
नेटफ्लिक्स, अमेजन प्राइम वीडियो सहित 15 OTT प्लेटफॉर्म्स ने 2020 में सेल्फ रेगुलेशन कोड बनाया था। दावा किया गया कि यह रेगुलेशन कोड अलग-अलग उम्र के लोगों के लिए उपयुक्त कंटेंट तैयार करने में मदद करेगा। इसमें चाइल्ड प्रोनोग्रॉफी, आतंकवादी गतिविधियों और राष्ट्रीय व धार्मिक भावनाओं को प्रभावित करने वाली सामग्री न दिखाने की बात कही गई है।

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