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Chinese Hackers: चीनी में हैकिंग दस्तावेजों का इस्तेमाल उइगर मुस्लिमों पर नजर रखने के लिए किया जा रहा है। चीन में हैकिंग से जुड़ा ऑनलाइन डंप बड़े पैमाने पर स्टेट सर्विलांस के लिए एक रेयर विंडो प्रदान करता है।

Chinese Hackers: भारत समेत कई देशों के सरकारी और कंपनियों के डाटा में चीन के हैकर सेंधमारी कर रहे हैं। साइबर घुसपैठ के ताजा केस में चाइनीज हैकर्स ने भारतीय इमीग्रेशन का 95.2 GB (गीगाबाइट) डेटा चुरा लिया। अमेरिकी अखबार द वॉशिंगटन पोस्ट ने खुलासा किया है कि चीन के खुफिया और साइबर सर्विलांस ने भारत के अलावा मलेशिया, ताइवान, दक्षिण कोरिया, हांगकांग, थाईलैंड, यूनाइटेड किंगडम, नेपाल, मंगोलिया, कजाकिस्तान और अन्य देशों के सरकारी डेटा को भी निशाना बनाया है।

गुरुवार को वॉशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, बीजिंग के हैकर्स ने कहा है कि वे सिर्फ ऐप्पल, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियों के सॉफ्टवेयर सिस्टम की कमजोरियों का फायदा उठा रहे हैं।

उइगरों की निगरानी के लिए हैकिंग डेटा का यूज
चीनी हैकिंग दस्तावेजों का एक ऑनलाइन डंप बड़े पैमाने पर स्टेट सर्विलांस के लिए एक रेयर विंडो प्रदान करता है। एक लीक ड्राफ्ट के मुताबिक, चीन सरकार मध्य और दक्षिण पूर्व एशिया में उइगर मुस्लिमों पर नज़र रखने के लिए सर्विलांस सिस्टम की मदद ले रही है। 'आतंकवाद विरोधी' तकनीक के नाम पर झिंजियांग पुलिस को हैकिंग से प्राप्त एयरलाइन, सेलुलर और सरकारी डेटा मुहैया कराया गया है।

चीन की सरकार के लिए काम करती है कंपनी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कैशे में 570 से अधिक फ़ाइल, फोटो और चैट लॉग शामिल हैं। यह डॉक्यूमेंट शंघाई की iSoon उर्फ ​​​​ऑक्सुन कंपनी के द्वारा तैयार किया गया है। चीन की सरकारी एजेंसियां ​​ऑन-डिमांड, बड़े पैमाने पर डेटा कलेक्शन के लिए ऑक्सुन को हायर करती हैं। ऑक्सुन से मिले हैकिंग डेटा का इस्तेमाल वहां की सरकारी एजेंसियों, सुरक्षा संगठनों और सरकारी बिजनेस को बढ़ाने में किया जाता है। आई-सून के दो मेंबर्स ने न्यूज एजेंसी को बताया कि कंपनी और पुलिस इसकी जांच कर रही है कि फाइलें कैसे लीक हुईं।

अमेरिका ने चीन के हैकिंग कैंपेन पर जताई चिंता
दूसरी ओर, अमेरिकी इंटेलिजेंस अफसरों ने चीन के टारगेट हैकिंग कैंपेन को लेकर चिंता जताई है। अमेरिकी एजेंसियों का मानना ​​है कि यह यूएस की सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। इससे पहले भारत सरकार ने भी कई चीनी मोबाइल एप्लिकेशन को ब्लॉक करने की कार्रवाई की थी। तब सरकार को शक था कि चीनी एजेंसियां इन ऐप्स की निगरानी कर सकती हैं।

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