Home Ministry statement on CAA: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) ने मंगलवार को कहा कि सीएए से भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर कोई असर नहीं होगा। गृह मंत्रालय ने कहा कि चाहे दुनिया में कहीं का भी मुसलमान क्यों न हो नागरिकता कानून की धारा 6 के तहत भारत की नागरिकता मांग सकता है। इस धारा के तहत किसी भी शरणार्थी को देश की नागरिकता देने का प्रावधान है। इससे ना तो किसी भारतीय मुसलमान की नागरिकता छिनेगी और ना ही उनसे नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे जाएंगे। 

कम समय में शरणार्थियों को मिलेगी नागरिकता
सोमवार को सीएए पर नोटिफिकेशन जारी होने के बाद से ही विपक्षी पार्टियां कह रही थी किं इससे भारतीय मुसलमानों की नागरिकता पर संकट पैदा हो सकता है। यह कानून भेदभाव पूर्ण है। सीएए कानून के मुताबिक 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत में आए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में बिना दस्तावेजों के पहुंचे गैर मुस्लिम शरणार्थियों को कम समय में भारत की नागरिकता मिल सकेगी। पहले ऐसे शरणार्थियों के आवेदन पर 11 साल की योग्यता अवधि थी,जिसे अब घटाकर 5 साल कर दिया गया है। 

किसी की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं
गृह मंत्रालय ने कहा है कि सीएए में किसी भी नागरिक की नागरिकता छीनने का प्रावधान नहीं है। इस कानून का देश में मौजूद 18 करोड़ मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है। देश के सभी मुसलमानों को हिंदू नागरिकों की तरह ही सारे हक और अधिकार मिलते रहेंगे। बता दें कि सीएए पर नोटिफिकेशन जारी होने के बाद से ही देश के कुछ हिस्सों में मुसलिम समुदाय के लोगों की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया है।

कुछ मुसलमानों में सीएए को लेकर जाहिर की थी आशंका
कुछ मुसलमानों ने यह आशंका जाहिर की है कि सीएए लागू होने के बाद उन्हें अवैध शरणार्थी घोषित कर दिया जाएगा और नागरिकता छीन ली जाएगी। सरकार ने इस आशंका को दूर करते हुए कहा है कि सरकार की कोशिश सिर्फ मुस्लिम देशों में प्रताड़ना झेल रहे अल्पसंख्यकों की मदद करना है। इस कानून के आने के बाद से शरणार्थियों को एक सम्मानपूर्वक जीवन जीने का हक मिल सकेगा। किसी भी भारतीय नागरिक को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज प्रस्तुत करने के लिए नहीं कहा जाएगा। 

अवैध शरणार्थियों को डिपोर्ट करने का प्रावधान नहीं
सरकार ने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के तहत अवैध शरणार्थियों को डिपोर्ट करने यानी कि वापस उनके देश भेजने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए मुस्लिमों और छात्रों की ओर से सीएएए को मुस्लिम अल्पसंख्यकों के खिलाफ बताना और इस पर चिंता जाहिर करना सही नहीं है। जिन तीन देशों के शरणार्थियों के लिए सीएए में नागरिकता देने का प्रावधान है, वहां पर गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों के साथ प्रताड़ना होती है। हालांकि इस्लाम एक शांतिप्रिय धर्म है लेकिन इन देशों में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों के साथ हुई प्रताड़ना की वजह से दुनिया में इस्लाम की छवि भी खराब हुई है।

मौजूदा समय की मांग थी सीएए कानून लाना
गृह मंत्रालय ने कहा है कि नागरिकता प्रणाली को व्यवस्थित करने और अवैध प्रवासियों को कंट्रोल करना मौजूदा समय की मांग है।भारतीय संविधान सरकार को मानवीयता के आधार धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे शरणार्थियों को नागरिकता देने का अधिकार देता है। बता दें कि यह कानून संसद में चार साल पहले ही पारित हो चुका है। हालांकिए अब इसे नोटिफाई कर दिया है। सरकार ने कहा है कि कोरोना महामारी की वजह से इस कानून को अधिसूचित होने में इतनी देर हुई है।