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Dushyant Chautala Demands Floor test: हरियाणा में राजनीतिक उथल-पुथल के बीच, पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के सहयोगी दुष्यंत चौटाला ने राज्यपाल को पत्र लिखकर राज्य विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग की है।

Dushyant Chautala Demands Floor test:हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के सहयोगी दल दुष्यंत चौटाला ने विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की मांग की । दुष्यंत के इस कदम ने एक बार फिर राज्य में राजनीतिक तनाव बढ़ा दिया है।  हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय को लिखी एक चिट्ठी में, चौटाला ने कहा है कि हाल ही में तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे और समर्थन वापसी के बाद सत्तारूढ बीजेपी गठबंधन में अनिश्चितता का माहौल बना हुआ। राज्य की नायाब सिंह सैनी की अगुवाई वाली सरकार अल्पमत में है। उन्होंने राज्यपाल से सरकार का बहुमत सुनिश्चित करने के लिए तत्काल फ्लोर टेस्ट का आदेश देने का अनुरोध किया है।

तीन विधायकों ने छोड़ा सरकार का साथ
दुष्यंत चौटाला की ओर से फ्लोर टेस्ट का आह्वान तीन निर्दलीय विधायकों के भाजपा गुट से कांग्रेस में शामिल होने के कारण किया गया है। बता दें कि रोहतक में एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान विधायक सोमबीर सांगवान, रणधीर सिंह गोलेन और धर्मपाल गोंडर ने भाजपा प्रशासन से समर्थन वापस लेने का इरादा जताया। चौटाला ने राजनीतिक स्थिति में संभावित बदलाव का संकेत देते हुए, अपनी पार्टी का कांग्रेस के साथ गठबंधन करने का संकेत दिया है। 

दुष्यंत चौटा ने राज्य सरकार को लेकर क्या कहा?
जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के नेता चौटाला ने कहा कि दो महीने पहले बनी हरियाणा की बीजेपी गठबंधन की सरकार अब अल्पमत में है। सरकार को समर्थन देने रहे विधायकों में से एक बीजेपी और एक निर्दलीय विधायक ने इस्तीफा दे दिया है। इसके साथ ही उनका समर्थन कर रहे तीन निर्दलीय विधायकों ने भी अपना समर्थन वापस ले लिया है। जेजेपी ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में साफ तौर पर यह कहा कि अगर मौजूदा सरकार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया जाता है तो हमारी पार्टी प्रस्ताव का समर्थन करेगी।

अब कांग्रेस को कदम उठाने की जरुरत है: दुष्यंत
दुष्यंत चौटाला ने कहा कि हमने  हरियाणा सरकार के अल्पमत होने के के बारे में राज्यपाल को भी लिखा है। अब, कांग्रेस को इस दिशा में कदम उठाना होगा। राज्यपाल के पास यह अधिकार होता है कि अगर किसी सरकार के पास बहुमत नहीं है, तो वह फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दे सकते हैं। अगर राज्य की सरकार अल्पमत में हों तो राज्यपाल के पास इस बात का भी अधिकार है कि वह राज्य में तुरंत राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं।

बीजेपी ने सरकार पर संकट को लेकर क्या कहा‍?
हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मंगलवार को कहा कि था नायब सिंह सैनी के नेतृत्व वाली सरकार ने 13 मार्च को विश्वास मत जीता था। ऐसे में विश्वास मत के छह महीने बाद ही अविश्वास मत लाया जा सकता है। इसके साथ ही तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद बीजेपी ने दावा किया था कि राज्य की बीजेपी सरकार को फिलहाल कोई खतरा नहीं है। इन तीनों विधायकों के समर्थन वापस लेने के बाद भी राज्य की बीजेपी सरकार बहुमत में है। 

क्या है हरियाणा विधानसभा का नंबर गेम?
बता दें कि 99 सदस्यों वाली हरियाणा विधानसभा में फिलहाल 88 सदस्य हैं। बहुमत साबित करने के लिए किसी भी दल या गठबंधन के पास 45 सदस्य होना जरूरी है। बीजेपी के पास खुद के 40 विधायक है। इसके साथ ही राज्य के 6 निर्दलीय विधायकों में से तीन विधायकों का समर्थन भी राज्य की बीजेपी गठबंधन सरकार के पास है। इसका मतलब यह हुआ कि राज्य की सत्तारूढ़ सरकार के पास मौजूदा समय में बहुमत के आंकड़े से दो विधायक कम हैं। वहीं, कांग्रेस के पास मौजूदा समय में 30 विधायक हैं। तीन निर्दलीय विधायकों ने भी अब इसे समर्थन दे दिया है। ऐसे में यह आंकड़ा 33 पहुंच जाता है। अगर जेजेपी का भी समर्थन कांग्रेस को मिल जाता है तो यह आंकड़ा 43 हो जाएगा। 

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