Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनावों की गहमागहमी के बीच चुनाव आयुक्त अरुण गोयल के इस्तीफे को लेकर तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। कांग्रेस ने सवाल उठाया है कि क्या मुख्य चुनाव आयुक्त या मोदी सरकार के साथ उनके कोई मतभेद चल रहे थे? या कलकत्ता हाईकोर्ट जज की तरह अरुण गोयल भी भाजपा में शामिल होकर चुनाव लड़ेंगे? अगर ऐसा होता है तो यह लोकतंत्र की नींव को कमजोर करेगा और यह लोकतंत्र पर हमला है। बता दें कि इलेक्शन कमिश्नर (Election commissioner) गोयल ने बिना कोई कारण बताए शनिवार को अपना इस्तीफा राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेज दिया था। वे चुनाव की तारीखों के ऐलान को लेकर तैयारियों में जुटे थे। 

चुनाव आयुक्त के इस्तीफे पर कांग्रेस हमलावर
गोयल के इस्तीफे पर कांग्रेस महासचिव और कम्युनिकेशन इंचार्ज जयराम रमेश ने सवाल उठाए। उन्होंने न्यूज एजेंसी ANI से कहा कि अरुण गोयल के इस्तीफे से मेरे मन में तीन मुख्य कारण आ रहे हैं। पहला- क्या उनके और मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) के बीच कुछ मतभेद आ गए हैं? दूसरा- क्या उनके और मोदी सरकार जो संवैधानिक संस्थाओं की ड्राइविंग करती है उनके साथ कोई मतभेद आ गए? 

तीसरा कारण मेरे मन में ये आया कि अभी-अभी कलकत्ता हाईकोर्ट के एक जज ने इस्तीफा दे दिया और अगले दिन बीजेपी में शामिल हो गए। उन्होंने चुनाव लड़ने की बात कही है। क्या ये इलेक्शन कमिश्नर भी इस्तीफा देकर भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरेंगे? ये भी हो सकता है। उनका स्पष्टीकरण तो बाद में आएगा। लेकिन इनमें से दो कारण हमारे लोकतंत्र की नींव को कमजोर करते हैं और लोकतंत्र पर आक्रमण है।

2022 में चुनाव आयुक्त बने थे गोयल
अरुण गोयल लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों को लेकर वह कई राज्यों का दौरा कर रहे थे और चुनाव की व्यवस्थाओं की देखरेख में जुट थे। इनके पद छोड़ने के बाद अब चुनाव से जुड़ी सारी जिम्मेदारियां मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के कंधों पर आ गई है। अरुण गोयल भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पंजाब कैडर के अधिकारी हैं। वह 21 नवम्बर 2022 को चुनाव आयुक्त बनाए गए थे। 

पंजाब से ताल्लुक रखते हैं अरुण गोयल
अरुण गोयल मूलत: पंजाब के पटियाला से आते हैं। उन्होंने मैथ्स से एम.एससी. की उपाधि ली और पंजाबी विश्वविद्यालय में लगातार फर्स्ट डिविजन हासिल की और चांसलर मेडल ऑफ एक्सीलेंस हासिल किया भारी उद्योग मंत्रालय में सचिव के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) मूवमेंट को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। अपने करियर में गोयल ने देशभर में 41 केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यमों (सीपीएसई) का प्रबंधन किया।

कई अहम पदों की जिम्मेदारी संभाली
गोयल ने संस्कृति मंत्रालय में सचिव, दिल्ली विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष, श्रम और रोजगार मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार और राजस्व विभाग में संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया। वह लुधियाना जिले (1995-2000) और बठिंडा जिले (1993-94) के जिला चुनाव अधिकारी भी रहे। पंजाब में, प्रधान सचिव के रूप में, उन्होंने न्यू चंडीगढ़ और अन्य सभी प्रमुख शहरों के मास्टर प्लान तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाई थी।