Bilkis Bano Case: 11 दोषियों में से 3 पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, सरेंडर करने के लिए मांगी मोहलत, जानिए अर्जी में क्या-क्या लिखा?

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Bilkis Bano Case Updates: गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को अहम फैसला सुनाया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था।

Bilkis Bano Case Updates: बिलकिस बानो मामले में तीन दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। दोषियों ने सरेंडर करने के लिए समय सीमा बढ़ाए जाने की मांग की है। इसके पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट याचिकाओं को लिस्टेड करने पर सहमत हो गया। गुजरात के चर्चित बिलकिस बानो केस में सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को अहम फैसला सुनाया था। जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच ने 11 दोषियों को रिहा करने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। शीर्ष अदालत ने दोषियों को दो हफ्ते में सरेंडर करने के लिए कहा था।

वरिष्ठ वकील वी चिताम्बरेश ने याचिका में शीघ्र सुनवाई की मांग की है। जिसमें गोविंद नाई ने 4 हफ्ते और मितेश भट्ट व रमेश चांदना ने 6 हफ्ते की मोहलत मांगी है। तीनों व्यक्तियों ने पारिवारिक शादियों और आश्रित माता-पिता के स्वास्थ्य से लेकर फसल के मौसम तक के कारणों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि तीनों दोषियों को 21 जनवरी को सरेंडर करना है। इससे पहले इन तीनों के पास केवल तीन दिन का समय है।

19 जनवरी को होगी सुनवाई
जस्टिस बीवी नागरत्ना ने रजिस्ट्री को एक पीठ गठित करने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ से आदेश लेने का निर्देश दिया। न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां शुक्रवार यानी 19 जनवरी को याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे।

8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दिया फैसला
दरअसल, 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने वाले 11 लोगों को छूट देने के गुजरात सरकार के फैसले को रद्द कर दिया। बेंच ने 2022 में स्वतंत्रता दिवस पर रिहा किए गए दोषियों को 22 जनवरी तक आत्मसमर्पण करने का भी निर्देश दिया।

दोषियों ने अर्जी में क्या-क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में अपनी याचिका में 55 साल के गोविंद नाई ने दावा किया है कि वह अपने 88 वर्षीय बिस्तर पर पड़े पिता और 75 वर्षीय मां की देखभाल करने वाला एकमात्र व्यक्ति है। माता-पिता पूरी तरह से उस पर निर्भर हैं। वह अपने दो बच्चों की वित्तीय जरूरतों के लिए जिम्मेदार हैं। गोविंद ने अपने स्वास्थ्य का भी हवाला देते हुए कहा कि उन्हें अस्थमा है और हाल ही में उनकी सर्जरी हुई है। नाई ने यह भी कहा कि उसने जेल से रिहाई मिलने के बाद कोई अवैध काम नहीं किया। कानून का हमेशा पालन किया।

रमेश चंदना ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उन्हें अपने बेटे की शादी के लिए समय चाहिए और मितेश भट्ट ने फसली मौसम का हवाला दिया है।

क्या कहा था सुप्रीम कोर्ट ने?
2002 में जब दंगे हुए तो बिलकिस बानो की उम्र 21 साल थी। वह गर्भवती थीं। दंगों के दौरान उन पर और उनके परिवार पर भीड़ ने हमला किया था। आरोप है कि 11 लोगों ने रेप किया। परिवार की हत्या कर दी। सिर्फ बिलकिस और उसके दो बच्चे जीवित बचे थे। जब दोषियों को रिहा किया गया तो उनका फूल मालाओं से स्वागत किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात सरकार दोषियों को रिहा करने में सक्षम नहीं है। जसवंत नाई, गोविंदभाई नाई, शैलेश भट्ट, राध्येशम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना को सरेंडर करने का आदेश दिया गया था।

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