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साल के अंत में अधिकांश लोग जो अच्छा हुआ है, उसे कम ही याद करते हैं, लेकिन जो भी विषम परिस्थितियों के चलते बुरा हुआ है, उसे लेकर उदास-दुखी रहते हैं।

New year new thinking: साल के अंत में अधिकांश लोग जो अच्छा हुआ है, उसे कम ही याद करते हैं, लेकिन जो भी विषम परिस्थितियों के चलते बुरा हुआ है, उसे लेकर उदास-दुखी रहते हैं। यह दुख आगे लंबा खिंचे, नए साल में भी दिलो-दिमाग में बैठा रहे, तो यह अपने हित में नहीं है। इससे जल्द से जल्द उबरना जरूरी है। इसके लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखते हुए, नई सोच के साथ अपना जीवन जीना होगा।
 
भुला दें दुखद-कटु स्मृतियां
सभी के जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं। जीवन में बारी-बारी से सुख और दुख का आना-जाना लगा रहता है। अगर आप आने वाले नए साल में भी खुश रहना चाहते हैं, तो दुखद-कटु स्मृतियों को भूलकर केवल अच्छी-प्यारी बातों को ही याद रखें और सकारात्मक सोच के साथ आगे की ओर कदम बढ़ाएं। इससे जीवन में खुशहाली आएगी।

समय है सबसे बड़ा सबक 
बुरा समय भी हमें बहुत कुछ सिखा जाता है। सही मायने में समय हमें एक शिक्षक की तरह जीवन के जरूरी सबक सिखाता रहता है। इसलिए जब भी अपनी किसी कमी या गलती से बुरा हुआ है, इस गलती और कमी को जानें-समझें और इससे सबक लें। आगे इस गलती को कभी दोहराएं नहीं।
 
जीवन के प्रति आशावादी सोच अपनाएं 
कई बार हमारे सामने कुछ ऐसी परिस्थितियां भी होती हैं, जिन पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं होता। मसलन कोई आकस्मिक दुर्घटना, आर्थिक नुकसान और प्रियजनों का निधन। इससे होने वाले नुकसान की भरपाई बहुत मुश्किल होती है। ऐसे में आपको यही सोचना चाहिए, कि ऐसे हालात के लिए आप कहीं से भी जिम्मेदार नहीं हैं, इसलिए ‘मेरे ही साथ ऐसा क्यों हुआ?’ यह सोचकर उदास-निराश ना हों, ना ही अपने मन में कोई ग्लानि लाएं।

इस तरह के दुखों से उबरने में थोड़ा समय जरूर लगता है, लेकिन एक समय बाद उदासी भरे दिन बीत ही जाते हैं। इसलिए दुखद बातों को याद करके उदास होने के बजाय अपने भविष्य के बारे में अच्छा सोचें, अपनी समस्या के बारे में अनुभवी लोगों से सलाह लें, साथ ही समस्या के समाधान के बारे में तार्किक ढंग से सोचकर उसका हल खोजने की कोशिश करें। कोई रास्ता जरूर निकल ही आएगा। हमेशा खुश रहें और जीवन के प्रति आशावादी सोच अपनाएं, यह सोच रखेंगी तो आने वाला नया साल निश्चित रूप से आपके लिए मंगलमय होगा।   

मनीषा

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