Pongal 2025: क्यों और कैसे मनाया जाता है 4 दिवसीय पोंगल त्योहार? क्या है इसका महत्व, जानें

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देशबर में 13 जनवरी 2025 को पोंगल का त्योहार मनाया जाएगा।
Pongal 2025: 13 जनवरी से पोंगल का पर्व भारत में धूम धाम से मनाया जा रहा है। पोंगल दक्षिण भारत का एक लोकप्रिय पर्व है जो चार दिनों तक मनाया जाता है। क्या है इसकी खासियत, जानें।

Pongal 2025: पोंगल दक्षिण भारत का एक लोकप्रिय त्योहार है। इस त्योहार को केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्रप्रदेश के लोग खूब धूम-धाम से मनाते है। ये पर्व सूर्य देवता की पूजा, फसल की कटाई के उत्सव और सर्दियों के अंत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व पर सूर्य देव की पूजा की जाती है और पोंगल का स्पेशल प्रसाद भी तैयार किया जाता है। आसान शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा त्योहार है जो प्रकृति, परिवार,और कृषि के महत्व को दर्शाता है।

13 जनवरी 2025 से दक्षिण भारत में पोंगल त्योहार की धम शुरू हो चुकी है। चार दिनों तक मनाया जाने वाला ये त्योहार आनंद से भरपूर है। इस दिन अन्न, सूर्यदेव और पशुओं की पूजा की जाती है। मिट्टी के बर्तन में विशेष व्यजंन पकाया जाता है। घर आंगन को रंगोली से सजाया जाता है।

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चार दिन के इस पर्व का महत्व

चार दिवसीय पोंगल के चारों दिन का अपना अलग-अलग महत्व है। पहले दिन को भोगी पोंगल कहा जाता है। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं और घर को सजाते हैं।

दूसरे दिन को सूर्य पोंगल कहा जाता है। सूर्य पोंगल के दिन सूर्य की पूजा की जाती है। इस दिन घर में 'कोल्लम' जिसे रंगोली कहते हैं इससे आंगन को सजाते हैं। साथ ही खीर का प्रसाद भी तैयार किया जाता है।

तीसरे दिन को मट्टू पोंगल के रूप मे मनाया जाता है। इस दिन पशु और कृषि की पूजा की जाती है।

पोंगल में चौथे दिन का बड़ा महत्व माना जाता है। इस दिन परिवार के साथ भोजन करने की और बड़ों का आर्शिवाद लेने की परम्परा होती है।

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