Healthy Chaas: गर्मियों में छाछ पीने से पाचन रहेगा दुरुस्त; जानें इसके कई फायदे

Masala Chaas Recipe
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मसाला छाछ बनाने का तरीका।
Healthy Chaas: सदियों से हमारे देश के ग्रामीण इलाकों के खान-पान का सबसे अहम हिस्सा दूध, दही और छाछ रहे हैं। मई-जून के महीने में, जिस तरह की आग बरसाती गरमी पड़ने लगी है, उससे दही और छाछ की खपत शहरों में भी काफी बढ़ जाती है।

Healthy Chaas: सदियों से हमारे देश के ग्रामीण इलाकों के खान-पान का सबसे अहम हिस्सा दूध, दही और छाछ रहे हैं। लेकिन हाल के वर्षों में मई-जून के महीने में, जिस तरह की आग बरसाती गरमी पड़ने लगी है, उससे दही और छाछ की खपत शहरों में भी काफी बढ़ जाती है। ऐसा होना स्वाभाविक है, क्योंकि छाछ इन तपते दिनों में दिल से लेकर दिमाग तक को तृप्त कर देता है।

बढ़ी है डिमांड-सप्लाई
इस वर्ष भी अप्रैल के बाद से ही पूरे देश में बहुत तेजी से छाछ या मट्ठा की मांग बढ़ गई है। इसका कारण है तेज गरमी। छाछ के स्वाद और स्वास्थ्य को इससे होने वाले लाभ के कारण आज अनेक दुग्ध-उत्पादक कंपनियां पैकेटबंद अलग-अलग स्वाद की छाछ बाजार में बेच रही हैं। इन्हें खरीदकर पीने वाले ग्राहकों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। दरअसल, दही से बनने वाली छाछ में कई स्वास्थ्यवर्धक गुण मौजूद होते हैं।

कई तरह से लाभकारी
छाछ में मौजूद लैक्टो बेसिलस नामक जीवाणु, आंतों में क्रियाशील हानिकारक कीटाणुओं को समाप्त कर देता है। यह हमारी रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। गर्मी के दिनों में तो यह एक औषधि जैसा काम करता है। आयुर्वेद में बताया गया है कि गर्मी के दौरान दोपहर के भोजन के अंत में छाछ पीना, स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक होता है।

पाचन करें सही
दूध और दही दोनों की अपेक्षा छाछ हल्का और सुपाच्य होता है। गर्मी के मौसम में अगर इसे रोज पिया जाए तो यह शरीर में आलस्य पैदा नहीं करता और इससे पेट में भारीपन भी महसूस नहीं होता है। कमजोर पाचनशक्ति वालों के लिए यह विशेष रूप से उपयोगी होता है। यह भोजन को जल्दी पचाने में भी सहायक होता है। यही वजह है कि अधिकतर डॉक्टर्स गर्मी के मौसम में पाचन संबंधी रोगों से बचाव के लिए छाछ पीने की सलाह देते हैं। इससे कब्ज और दस्त दोनो ही समस्याएं सही हो जाती हैं।

कई रोगों से बचाए
हृदय रोगियों के लिए छाछ विशेषतौर पर लाभदायक होता है, क्योंकि इसमें दूध की तुलना में चिकनाई कम होती है। इसके अलावा ब्लड प्रेशर, दमा, गठिया आदि बीमारियां मट्ठे के सेवन से पास नहीं फटकती हैं।

रखें ध्यान
छाछ वही अधिक लाभकारी होता है, जिसमें ऊपरी सतह पर घी की परत तैरती हुई दिखाई न दे। छाछ का सेवन जहां तक हो सके, सुबह नाश्ते के समय और दोपहर के भोजन में ही करना चाहिए। छाछ हमेशा ताजा ही पीना चाहिए। इसको तैयार करने के बाद कई घंटों तक किसी धातु के बर्तन में रखकर नहीं पीना चाहिए। इसे मिट्टी या कांच के बर्तन में पीना अधिक फायदेमंद होता है।

  • बुखार आने पर, सर्दी के मौसम में या जुकाम होने की वजह से अगर कफ बन रहा हो तो इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • बारिश के मौसम में भी इसे नहीं पीना चाहिए या बहुत कम मात्रा में पीना चाहिए।
  • बहुत ज्यादा खट्टा छाछ पीना भी शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है।

(Disclaimer: इस आर्टिकल में दी गई सामग्री सिर्फ जानकारी के लिए है। हरिभूमि इनकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी सलाह या सुझाव को अमल में लेने से पहले किसी विशेषज्ञ, डॉक्टर से परामर्श जरूर लें।)

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