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Exclusive: अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले शंकराचार्यों की नाराजगी को लेकर सद्गुरु रितेश्वर महाराज ने बेबाकी से अपने विचार रखे। देखें रितेश्वर महाराज का डॉ हिमांशु द्विवेदी के साथ Exclusive बातचीत।

Exclusive On Ram Mandir pran Pratishtha: सद्गुरु रितेश्वर महाराज ने शुक्रवार को कहा कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर शंकराचार्यों में नाराजगी नहीं है। शंकराचार्यों ने सिर्फ अपने धर्म सम्मत विचार प्रकट किए हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि यह प्राण प्रतिष्ठा समारोह सनातन धर्म काे मानने वालों के लिए महत्वपूर्ण क्यों है‍? हरिभूमि और INH न्यूज़ के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी की Exclusive बातचीत में उन्होंने कई अहम सवालों के जवाब दिए। 

प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर धर्माचार्यों में विवाद क्यों?
सद्गुरु रितेश्वर महाराज ने कहा कि हमारे यहां उपनिषद में कहा गया है कि वादे वादे जाग्रत: बोध। यानी कि वाद से बोध की जागृति होती है। इससे व्यक्ति बोधवंत होता है। शंकरचार्य ने अपने धर्म सम्मत मत भारत के सामने प्रकट किए हैं। शंकराचार्य ने बताया है कि प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर धर्म शास्त्रों में क्या कहा गया है। ऐसे में इसे महज एक वाद विवाद कहा जा सकता है, विवाद नहीं। 

उम्मीद है शंकराचार्यों को जवाब मिल गया होगा
रितेश्वर महाराज ने कहा कि शंकराचार्य ने एक प्रश्न रखा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर प्राण प्रतिष्ठा समारोह करेंगे तो उनकी भूमिका क्या होगी। एक धर्माचार्य के रूप में शंकराचार्य किस भूमिका में होंगे।  मुझे पक्का विश्वास है कि ट्रस्ट के लोगों ने इस प्रश्न को सुना होगा और इसका जवाब भी शंकराचार्य को मिल गया होगा। शंकरचार्य उन्हें कहते हैं जो बोधवंत होते हैं। शंकरचार्य ऐसे व्यक्तित्व होते हैं जिन्होंने आत्मज्ञान प्राप्त कर लिया होता है। यह सिर्फ एक मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की बात नहीं है। यह अपने खोए हुए आत्मगौरव को दोबारा स्थापित करने का भी मौका है। मुझे उम्मीद है कि शंकराचार्य इस समारोह में शामिल होंगे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत पूरे देशवासियों को आशीर्वाद देंगे।

जिस समय प्राण प्रतिष्ठा होगी, वही मूहूर्त अच्छा बन जाएगा
धर्म के मौलिक स्वरूप के मुताबिक क्षमा, संयम दान आदि नियम सदा से रहते हैं। यह सभी युग में रहे हैं और रहते हैं लेकिन युग के अनुसार इसके नियम बदलते हैं। भौतिकता में परिवर्तन है। शंकराचार्य ने धर्म सम्मत प्राचीन विधाओं को बताया है। हालांकि, धर्मानुकूल नियमों में युग के हिसाब से बदलाव होता है। रितेश्वर महाराज ने कहा कि एक संदर्भ बड़ा प्यारा है कि जब भगवान राम का राज्याभिषेक होने वाला होता है तो गुरु वशिष्ठ से राजा दशरथ ने पूछा कि एक अच्छा मुहूर्त बताइए। इस पर गुरु वशिष्ठ ने कहा कि मुहूर्त अच्छा वही है जब भगवान श्री राम का राज्याभिषेक हो जाएगा। जब भगवान राम युवराज के पद पर आसीन हो जाएंगे वही अच्छा मुहूर्त बन जाएगा। 

पारंगत वेदांत शास्त्रियों ने निकाला है मूहूर्त
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी के संसद हैं। काशी के विद्वानों की स्थली है। काशी के पारंगत वेदांत, वैदिक सनातनी परंपरा के शास्त्रियों द्वारा यह मूहूर्त निकाला गया है। इस मुहूर्त में मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह हो रहा है। शंकराचार्य ने अपना धर्म सम्मत विचार सामने रखा है। वहीं, दूसरी समारोह का आयोजन करने वाले मंदिर ट्रस्ट या प्राण प्रतिष्ठा समारोह के आयोजकों ने भी युगानुकूल धर्म का पालन करते हुए समारोह के लिए मुहूर्त निकलवाया है।

यहां देखें पूरा इंटरव्यू: 

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