National Youth Day: 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती को राष्ट्रीय युवा दिवस (National Youth day) के रूप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय युवा दिवस पर स्वामी विवेकानन्द के अनमोल विचारों को याद करने और उनसे प्रेरणा लेने का भी अवसर है। एक रिपोर्ट बताती है कि इस धरती पर अधिकतर या कहें की पृथ्वी की आधी जनसंख्या युवाओं से भरी है। यानि 30 या उससे कम उम्र के लोग इस धरती पर हैं और इनकी जनसंख्या 57 प्रतिशत तक होने की संभावना है।
युवाओं को नीति-निर्माण, संस्कृति, और फिल्मों में चित्रित कहानियों में अधिक शामिल किया जाना चाहिए। इस राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर हम आपको बताएंगे वो कहानियां, वेब सीरिज़ और फिल्में जो युवाओं की आकांक्षाओं, चुनौतियों, सपनों और उनकी आशाओं को चित्रित करती हैं।
12वीं फेल (फिल्म)
हाल ही में रिलीज़ हुई फिल्म 12वीं फेल हर उस युवा के लिए प्रेरणा की तरह है जो गरीबी के चक्र को तोड़ने के लिए संघर्ष कर रहा है। निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म में दिखाया गया है कि एक गरीब परिवार का बेटा किस तरह संघर्षों के बाद आईपीएस अफसर बनता है। यह युवाओं के धैर्य और श्रम की एक सच्ची कहानी है जो समाज में गरीबी से उठने वाले प्रतिभागियों के संघर्षों के अलावा सिविल परीक्षा प्रणाली के इर्द-गिर्द भी घूमती है, जो गरीब पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए संघर्षों से भरी हुई है। फिल्म में विक्रांत मैसी ने मुख्य भूमिका निभाई है।
पंचायत - वेब सीरीज़
पंचायत वेब सीरीज़ गांव में पंचायती राज का असली दर्पण दिखाती है। इस सीरीज़ में दिखाया गया है कि किस तरह एक युवा फुलेरा गांव में पंचायत का सचिव बनता है और उसपर किस तरह की ज़िम्मेदारिया आती हैं। तो वहीं वह नौजवान खुद भी अपनी निजी ज़िंदगी में कुछ बेहतर करना चाहता है और अच्छी नौकरी की चाहत के लिए पढ़ाई-परीक्षा देता है, लेकिन पंचायती सचिव होने के कारण अपने सपनों के बीच उलझकर रह जाता है। इसके अलावा रोजगार के सीमित विकल्प, ग्रामीण इलाकों में महिला गांव प्रधान की भूमिका, सरकारी योजना जैसे तमाम पहलुओं को इस सीरीज में बड़ी खूबसूरती से दिखाया गया है। इस शो में जीतेंद्र कुमार, नीना गुप्ता, रघुवीर समेत कई स्टार्स ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। अब तक इसके दो भाग प्रसारित किए गए है- पंचायत 1 और पंतायत 2। आप भी इसे ज़रूर देखें।
एसपिरेंट्स- टीवीएफ सीरीज़
टीवीएफ की सीरीज़ एसपिरेंट्स में उन 3 दोस्तों की कहानी बताई गई है जो एक साथ यूपीएससी पास करने का सपना देखते हैं और इस बीच प्यार और परिक्षा की तैयारियों के बीच संघर्ष करते हैं। तीनों दोस्त जो आईपीएस बनने का सपना देखते है उनमें से सिर्फ एक ही सफलता पाता है, लेकिन बाकी दोस्तों की कहानी इसके इर्द-गिर्द ही घूमती है। इस सीरीज़ में सीनियर्स, प्यार, परिवार, मकान-मालिक समेत कई कहानियां दिखाई गई हैं जो आमतौर पर लोगों के जीवन में घटती होता हैं। सीरीज़ में नवीन कस्तूरिया, शिवांकित सिंह परिहार, अभिलाष, सन्नी हिंदूजा, नमिता दुबे समेत कई कलाकार हैं।
कोटा फैक्टरी- टीवीएफ
सीरीज की कहानी राजस्थान के शहर कोटा पहुंचने वाले छात्रों की उन मनोभावनाओं और अकांक्षाओं को सामने लाने की कोशिश करती है, जिससे अक्सर छात्रों के पैरेंट्स भी अनजान रहते हैं। इसमें दिखाया गया है कि किस तरह माता-पिता की उम्मीदों पर खरा उतरने के मानसिक दबाव में रहते इन छात्रों पर अपने ही साथ के दूसरे छात्रों का दबाव भी रहता है। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों की कोटा में आकर दुनिया बदल चुकी होती है और सब कुछ वैसा ही नहीं होता जैसा वे सोचकर घर से कोटा आते हैं।
इस सीरीज़ में बखूबी दिखाया गया है कि किस तरह कोटा में किसी कारखाने या फैक्ट्री की तरह, एक तरफ से छात्र डाला जाता है, और दूसरी तरफ से इंजीनियर बनाकर निकाल दिया जाता है, लेकिन इसकी भी कोई गारंटी नहीं होती कि वह छात्र सफलता पाएगा या नहीं। इस बीच छात्र अपनी निजी जिंदगी में इस कदर उलझ जाता है कि अगर वह सफलता हासिल नहीं कर पाता तो मन में खुद को खत्म करने का खयाल भर लेता है।
धक धक (फिल्म)
‘धक धक’ फिल्म युवा दर्शकों दर्शकों के लिए उपयुक्त है। इस कहानी में दिखाया गया है कि जब विभिन्न आयु वर्ग और सामाजिक पृष्ठभूमि की चार महिलाएं दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वतीय चोटी तक अपनी मोटरसाइकिलों से सफर करती हैं, तो वे अपने वास्तविक स्वरूप को पहचान पाती हैं। वो अपनी खुद की अलग पहचान बनाती हैं।
कहानी में दो युवतियां अनचाही सगाई और सोशल मीडिया पर आलोचना जैसे मुद्दों से निपट रही हैं। दूसरी ओर एक गृहिणी और एक दादी खुद को कर्तव्यों और अपेक्षाओं के बोझ से मुक्त करने के लिए लड़ती हैं। फिल्म दिखाती है कि सपने किसी भी उम्र में देखे और हासिल किए जा सकते हैं। फिल्म में रत्ना पाठक शाह, दिया मिर्ज़ा, फातिमा सना शेख और संजना सांघी हैं जिसका निर्देशन तरुण डुडेजा ने किया है और निर्माता तापसी पन्नू हैं।
धूम्रपान (टेलीप्ले)
ज़ी थिएटर का यह टेलीप्ले तनाव से भरे कॉर्पोरेट करियर की चपेट में फंसे युवाओं के दबे हुए गुस्से और निराशा का चित्रण करता है। वे अपने ऑफिस के धूम्रपान क्षेत्र में मिलते हैं और अपने तनाव, डर और असुरक्षाओं से जूझते हैं तो वहीं निजी और काम से जुड़ी बातों की चर्चा करते हैं। धूम्रपान कामयाबी पाने की उस निरंतर दौड़ के बारे में एक कॉमेडी प्ले है, जो कभी ख़त्म नहीं होती। कहानी में मानसिक स्वास्थ्य और युवाओं के संघर्षों के बारे में भी बताया गया है। इसमें शुभ्रज्योति बारात, आकर्ष खुराना, सार्थक कक्कड़, तारुक रैना, सिद्धार्थ कुमार, लिशा बजाज और घनश्याम लालसा भी हैं।
सर सर सरला (टेलीप्ले)
ज़ी थिएटर का यह टेलीप्ले युवा प्रेम के साथ-साथ कल्पना और वास्तविकता के बीच टकराव को दिखाती है। कहानी एक भोली भाली छात्रा सरला, एक प्रोफेसर और उनका दूसरा छात्र फणीधर के इर्द-गिर्द घूमती है। फिल्म में अधिक उम्र का प्रोफेसर अपनी भावनाओं के साथ समझौता करने में असमर्थ होने के कारण छात्रा सरला को प्रेमहीन विवाह करने के लिए उकसाते हैं। तो वहीं दूसरा छात्र फणीधर मन में रंजिश रखता है कि प्रोफेसर ने सरला को उससे दूर कर दिया। जब सालों बाद तीनों फिर मिलते हैं, तो उनकी दबी हुई भावनाएं सामने आ जाती हैं और प्रोफेसर को एहसास होता है कि उन्होंने दो युवा जिंदगियों में किस हद तक हस्तक्षेप किया है।