Logo
Action Against Financial Fraud: वित्तीय धोखाधड़ी में सामिल अपराधियों पर केंद्र का एक्शन जारी है। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक, देश में अब तक 500 लोगों की गिरफ्तारी और 3 लाख से ज्यादा सिम ब्लॉक किए गए।

Avtion Against Financial Fraud: भारत सरकार ने वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए एक अहम कदम उठाते हुए 1.4 लाख मोबाइल नंबरों को ब्लॉक करने का फैसला लिया है। इसके पीछे कारण है कि ये नंबर वित्तीय धोखाधड़ी के गतिविधियों में शामिल थे। इस बारे में जारी रिलीज के मुताबिक, इन मोबाइल नंबरों को ब्लॉक करने का उद्देश्य वित्तीय अपराधों (फाइनेंशियल क्राइम) को रोकना और बचाव करना है।

साइबर सुरक्षा के मुद्दे पर हुई अहम बैठक 
वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने शुक्रवार को वित्तीय सेवा क्षेत्र में साइबर सुरक्षा पर एक अहम बैठक की अध्यक्षता की। इस मीटिंग में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई, जिसमें एपीआई (एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस) को करने, वित्तीय साइबर धोखाधड़ी सूचना एवं प्रबंधन प्रणाली (सीएफसीएफआरएमएस) मंच और राष्ट्रीय साइबर अपराध सूचना पोर्टल (NCCIP) के साथ सहयोग का मुद्दा शामिल था। इस साइबर सुरक्षा बैठक का उद्देश्य बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में और अधिक मजबूती को बढ़ावा देना था।

500 गिरफ्तारियां हुईं, 3 लाख से ज्यादा सिम ब्लॉक 
बैठक में यह निर्णय भी लिया गया कि एनसीआरपी को सीएफसीएफआरएमएस मंच से जोड़ा जाए, ताकि साइबर अपराधों के मामलों में पुलिस, बैंक, और वित्तीय संस्थानों के बीच सहयोग और तालमेल मजबूत हो सके। इस प्रक्रिया में टेलिकॉम डिपार्टमेंट ने 35 लाख बड़ी यूनिट के थोक एसएमएस का एनालिसिस किया, जिसमें से 19,776 इकाइयों को दुर्भाग्यपूर्ण संदेश भेजने के लिए 'ब्लैक लिस्ट' में डाला गया है। इस कार्रवाई के तहत 500 से अधिक लोगों की गिरफ्तारी की गई और करीब 3.08 लाख सिम ब्लॉक किए गए।

देश में बढ़ रहे हैं ऑनलाइन धोखाधड़ी के मामले
भारत में डिजिटल और मोबाइल के इस्तेमाल के साथ लगातार वित्तीय धोखाधड़ी के केस बढ़ रहे हैं। साइबर अपराधी बड़ी आसानी से स्पैम लिंक भेजकर या सोशल मीडिया में लालच भरे विज्ञापन देकर लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं। इस दौरान लोगों से फाइनेंशियल डिटेल लेकर उनके बैंक खातों से रकम निकाल लेते हैं। कई बार तो ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जब सोशल मीडिया ऐप के जरिए चैटिंग के दौरान यूजर्स के फेक अश्लील वीडियो बना लिए गए। फिर इन्हें वायरल करने की धमकी देकर लोगों से लाखों रुपए वसूले गए। डिजिटल जानकारी के अभाव में महिलाएं और रिटायर्ड कर्मचारी साइबर अपराधियों के लिए आसान शिकार हैं।

5379487