खुशखबरी: अब इंटरनेट के डाटा पर नहीं लगेगा लगाम, TRAI ने कही ये बड़ी बात

हर ग्राहक को डाटा बिना किसी भेदभाव के साथ उपलब्ध होना चाहिए।

इस मुद्दे और ग्राहकों पर इसके असर को बारीक से समझने के लिए, यह जान लेना जरुरी है की नेट नेट न्यूट्रैलिटी पर लम्बे समय से चल रही बहस के आखिर मायने क्या हैं? भारतीय उपभोक्ता जब इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स को इंटरनेट प्लान के लिए राशि अदा करते हैं तो उन्हें सभी ऑनलाइन कंटेंट चाहे वो वीडियो, गेम्स, न्यूज, मीडिया साइट्स आदि एक्सेस करने की आजादी होती है। वहीं, ये सब उन्हें समान कथित ब्रॉडबैंड स्पीड पर मिलना चाहिए। इस पूरी बहस का शुरू से यही आधार रहा है।

नेट न्यूट्रैलिटी यानी नेट-निरपेक्षता का सिद्धांत कहता है कि इंटरनेट का बुनियादी ढांचा खुला है और यह सभी के लिए समान रूप से उपलब्ध होना चाहिए। इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियां इंटरनेट पर मौजूद डाटा के साथ भेदभाव नहीं कर सकती हैं। कंपनियां अलग-अलग वेबसाइट, प्लेटफॉर्म या संचार के माध्यम के आधार पर यूजर्स से अलग-अलग चार्ज नहीं ले सकती हैं। न ही उन्हें किसी वेबसाइट या एप को ब्लॉक करने का अधिकार होगा। यानी एक बार इंटरनेट पैक का भुगतान करने के बाद यूजर पूरी तरह स्वतंत्र होगा कि वह किस तरह उसका इस्तेमाल करना चाहता है।
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