Vaishakh Darsh Amavasya 2025: दर्श अमावस्या पर एक नहीं बल्कि 4 महासंयोग, इन खास उपायों से मिलेगी बरकत

Vaishakh Darsh Amavasya 2025 Mahasanyog : प्रतिमाह कृष्ण पक्ष का अंतिम दिन अमावस्या कहलाता है। वैशाख माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अमावस्या को 'दर्श अमावस्या' कहा जाता है। इस बार यह तिथि 27 अप्रैल 2025, रविवार को पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की विधिवत पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। पंचांग के अनुसार, दर्श अमावस्या पर इस बार 1 या 2 नहीं बल्कि 4 महासंयोग बन रहे है, जो जीवन में बरकत लाने का काम करेंगे। इसलिए इस अमावस्या पर पूजा-पाठ करें, पितरों को प्रसन्न करें, कालसर्प दोष की पूजा करें। इन सब से सुख-समृद्धि का परिवार में आगमन होगा।
वैशाख दर्श अमावस्या महासंयोग
(Vaishakh Darsh Amavasya 2025 Mahasanyog)
27 अप्रैल 2025, रविवार को आ रही वैशाख अमावस्या के दिन 4 दुर्लभ योग बन रहे है। इसमें प्रीति योग, सर्वाथसिद्धि योग, शिववास योग और अश्विनी नक्षत्र का संयोग शामिल है। ये चारों योग ही बेहद दुर्लभ है। इन मंगलकारी योगों के प्रभाव में आप कई शुभ कार्य कर सकते है। चलिए जानते है इस बारे में विस्तार से-
- प्रीति योग - वैशाख अमावस्या पर देर रात 12 बजकर 19 मिनट तक प्रीति योग रहेगा। इस दौरान किया गया कोई भी कार्य अच्छे परिणाम देता है।
- सर्वार्थ सिद्धि योग - 27 अप्रैल को सुबह 05:57 से 28 अप्रैल दोपहर 12:38 तक यह योग रहेगा। किसी नए कार्य की शुरुआत के लिए यह अच्छा समय है।
- शिववास योग - 27 अप्रैल रात के 1 बजे तक इस योग में पूजा पाठ करने से विशेष परिणाम मिलते है। इस योग अवधि में महादेव की पूजा लाभकारी रहेगी।
- अश्विनी नक्षत्र - 27 अप्रैल सुबह 03.39 से 28 अप्रैल रात्रि 12.38 तक अश्विनी नक्षत्र संयोग रहेगा। इस अवधि में जरूरतमंदों को दान करने से उम्र बढ़ती है।
वैशाख अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त
(Vaishakh Amavasya 2025 Shubh Muhurat)
- - ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 17 मिनट से सुबह 05.00 बजे तक रहेगा।
- - विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से दोपहर 03 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
- - गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 53 मिनट से शाम 07 बजकर 14 मिनट तक रहेगा।
- - निशिता मुहूर्त – रात 11 बजकर 57 मिनट से अगले दिन सुबह 12 बजकर 40 मिनट तक रहेगा।
अमावस्या तिथि का महत्व
(Vaishakh Amavasya Importence)
गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या तिथि पर पूर्वजों को पिंडदान या तर्पण करने से उनका विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही व्यक्ति अपने लिए मोक्ष की प्राप्ति कर सकता है। इस दिन पूजा-पाठ, तर्पण करने से व्यक्ति के सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। साथ ही घर-परिवार में सुख और समृद्धि का आगमन होता है।
डिस्क्लेमर: यह जानकारी ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है। Hari Bhoomi इसकी पुष्टि नहीं करता है।