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Navratri 2024 Day 5: नवरात्रि के पांचवे दिन स्कंदमाता की पूजा है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, स्कंदमाता की पूजा -आराधना करने से संतान की प्राप्ति होती है।

Navratri 2024 Day 5: चैत्र नवरात्रि के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। मां दुर्गा का यह स्वरुप साधक के जीवन से नकारात्मक शक्तियों का नाश करता है। मां स्कंदमाता का सच्चे मन से स्मरण और उपासना करने पर असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवती के स्कंदमाता स्वरूप की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। साथ ही उसके मोक्ष का मार्ग भी खुल जाता है। 

शिव पुत्र स्कंद कुमार कार्तिकेय की माता होने के कारण देवी के इस स्वरूप को स्कंदमाता का नाम दिया गया। काशी खंड, देवी पुराण और स्कंद पुराण में देवी के इस स्वरुप का विस्तार से वर्णन किया गया है। मां स्कंदमाता की उपासना करने से साधक को परम शांति और सुख ककी अनुभूति प्राप्त होती है। 

स्कंदमाता का स्वरूप
देवी पुराण में स्कंदमाता के स्वरुप का वर्णन किया गया है। उसके हिसाब से मां की गोद में स्कंद देव बैठे हुए है। स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजित है, इस वजह से उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। मां को गौरी, माहेश्वरी, पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना गया है। स्कंदमाता शेर की सवारी करती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, स्कंदमाता की पूजा -आराधना करने से संतान की प्राप्ति होती है।

स्कंदमाता पूजा विधि
सबसे पहले सुबह उठकर स्नान करें। साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें। स्कंदमाता की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाएं। इसके बाद पुष्प अर्पित करें। अब मां को रोली कुमकुम लगाएं। इसके पश्चात मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग भी अर्पित करें। मां के सामने बैठकर ध्यान करें और आरती करें। 

स्कंदमाता का भोग और रंग 
स्कंदमाता को केले का भोग प्रिय है। इसके अलावा खीर का प्रसाद भी अर्पित किया जा सकता है। स्कंदमाता को श्वेत रंग अधिक प्रिय है। मां की उपासना के लिए बैठते वक्त श्वेत रंग के वस्त्रों का ही इस्तेमाल करें, शुभ रहेगा। इसके अलावा मां की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण कर सकते है। 

स्कंदमाता का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता। 
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी। 

तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं। 
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा। 

कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा। 
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति। 

अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो। 
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे। 

दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये। 
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

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