Google Doodle: गूगल ने आज इडली पर डूडल क्यों बनाया? जानिए इस दक्षिण भारतीय व्यंजन की दिलचस्प कहानी

गूगल डूडल आज अनोखे अंदाज में इडली उत्सव मना रहा है। सर्च इंजर के होम पेज पर सफेद फूली-फूली इडलियां, हरी नारियल चटनी, सांबर और पीले चावल के दाने दिखाई दे रहे, जो 'गूगल' शब्द को बनाते नजर आ रहे है।

Updated On 2025-10-11 16:05:00 IST

Google Doodle Idli

Google Doodle: गूगल का डूडल आज अलग और अनोखे अंदाज में नजर आ रहा है। 11 अक्टूबर की सुबह जब लाखों भारतीयों ने गूगल सर्च खोला, तो उनकी आंखें चमक उठीं। होमपेज पर एक रंगीन, एनिमेटेड डूडल ने जगह दिखाई दे रहा था। सफेद फूली-फूली इडलियां, हरी नारियल चटनी, टेस्टी सांबर और पीले चावल के दाने, जो 'गूगल' शब्द को बनाते नजर आ रहे थे। सब कुछ एक केले के पत्ते पर परोसा गया था, जैसे दक्षिण भारतीय थाली में होता है। लेकिन जेहन में सवाल उठा कि विश्व इडली दिवस तो 30 मार्च को मनाया जाता है, फिर आज 11 अक्टूबर को यह डूडल क्यों?

गूगल की ओर से जारी बयान में कहा गया, "आज का डूडल इडली का जश्न मना रहा है। एक स्वादिष्ट, स्टीम्ड साउथ इंडियन केक, जो चावल और उड़द दाल के किण्वित बैटर से बनता है।" यह डूडल खासतौर पर भारत के लिए लॉन्च किया गया, जो कंपनी के 'फूड एंड ड्रिंक' थीम का हिस्सा है।

यह ध्यान देने योग्य है कि यह कोई खास दिन या त्यौहार का उत्सव नहीं है, बल्कि इडली की सांस्कृतिक और पोषण से जुड़ी धरोहर को सम्मानित करने के लिए एक स्वतंत्र श्रद्धांजलि है। गूगल अक्सर ऐसे डूडल बनाता है जो भोजन की उस विशेषता को दिखाते हैं, जो लोगों को अलग-अलग देशों और संस्कृतियों के बीच जोड़ता है। इडली को एक सुपरफूड माना जाता है क्योंकि इसमें ग्लूटेन नहीं होता, यह वेगन (शाकाहारी) होती है, और इसमें प्रोटीन भी भरपूर मात्रा में होता है। यह केवल दक्षिण भारत में ही नहीं, बल्कि अब न्यूयॉर्क की स्ट्रीट फूड स्टॉल्स तक पहुंच चुकी है।

डूडल में क्या दिखाया गया है?

डूडल का डिजाइन कमाल का है। पहला 'जी' चावल के दानों से, पहला 'ओ' उपमा के कटोरे से, दूसरा 'ओ' इडली मेकर ट्रे से, दूसरा 'जी' तीन इडलियों से और 'एल' इडली व मेदु वड़ा से बना। यह केले के पत्ते पर आधारित है, जो दक्षिण भारतीय भोजन की परंपरा को दर्शाता है।

सोशल मीडिया पर #IdliDoodle ट्रेंड कर रहा है। ट्विटर (अब एक्स) पर यूजर्स अपनी बचपन की यादें शेयर कर रहे हैं – "अम्मा की इडली की खुशबू आज भी याद है!"

इडली का मजेदार स्वादिष्ट सफर

इडली की जड़ें बहुत गहरी हैं। 10वीं शताब्दी के चोल ग्रंथों में इसका जिक्र मिलता है, जब यह सिर्फ उड़द दाल से बनती थी। 13वीं शताब्दी तक चावल मिला और आज यह ब्रेकफास्ट का राजा है। गूगल का यह कदम दक्षिण भारतीय संस्कृति को ग्लोबल स्टेज पर लाने का प्रयास है।

यह डूडल सिखाता है कि जश्न हमेशा कैलेंडर पर नहीं होते। इडली की तरह, जो सादगी में गहराई छुपाए है, यह ट्रिब्यूट साल भर की विरासत को मनाता है। क्या आप आज इडली ट्राई करेंगे? गूगल कहता है- क्यों नहीं!

गूगल का पहला डूडल: छुट्टियों से शुरू हुई परंपरा


क्या आप जानते हैं कि इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई थी?

गूगल ने अपना पहला डूडल 30 अगस्त 1998 को बनाया था। गूगल के सह-संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन उस समय अमेरिका के नेवाडा रेगिस्तान में आयोजित मशहूर बर्निंग मैन फेस्टिवल में छुट्टियां बिताने जा रहे थे।

उन्होंने सोचा कि अगर इस दौरान गूगल सर्च इंजन में कोई समस्या आए तो यूज़र्स को पता होना चाहिए कि वे ऑफिस में मौजूद नहीं हैं। इसी विचार से उन्होंने गूगल के लोगो में दूसरे “O” की जगह बर्निंग मैन का स्टिक फिगर डाल दिया। यह मज़ाकिया आइडिया गूगल का पहला डूडल बन गया।

दिलचस्प बात यह है कि यह डूडल गूगल कंपनी के आधिकारिक रूप से स्थापित होने (4 सितंबर 1998) से भी कुछ दिन पहले लॉन्च हुआ था। इसके बाद डूडल्स की परंपरा चल निकली और आज गूगल हज़ारों डूडल्स के ज़रिए विश्व भर के त्योहारों, खेलों और महान शख्सियतों को यादगार बनाता है।

 


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