राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने बेटियों को दी चेतावनी: 'लिव-इन' से दूर रहें, हमने 'टुकड़े' होते देखे हैं! राष्ट्र-प्रथम की भावना को बढ़ाएं आगे
राज्यपाल आंनदीबिल पटेल ने कहा कि उन्होंने ऐसे मामले देखे हैं जहा ऐसे रिश्तों का अंत भयावह हुआ है और लड़कियों के जीवन के "टुकड़े करके भरने" की नौबत आई है।
आनंदीबेन पटेल ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने, जैविक खेती अपनाने, और राष्ट्र निर्माण के लिए काम करने का भी आह्वान किया।
वाराणसी: उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने हाल ही में महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 47वें दीक्षांत समारोह में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए बेटियों को 'लिव-इन' रिलेशनशिप से दूर रहने की सख्त सलाह दी। अपने संबोधन में, उन्होंने भावनात्मक रूप से आगाह करते हुए कहा कि उन्होंने ऐसे मामले देखे हैं जहाँ लिव-इन रिलेशन में रहने के बाद लड़कियों के जीवन के "50-50 टुकड़े करके भरने" की नौबत आई है। उन्होंने जोर दिया कि बेटियां ऐसे जाल में न पड़ें और पढ़ाई को ही अपनी सच्ची ताकत मानें।
लिव-इन रिलेशन पर सख्त टिप्पणी और चेतावनी
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में उपस्थित विद्यार्थियों और खासकर बेटियों को सतर्क रहने की सलाह दी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि लिव-इन रिलेशन से उनका जीवन बर्बाद हो सकता है। राज्यपाल ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने ऐसे मामले देखे हैं जहां रिश्तों में दरार आने के बाद गंभीर परिणाम सामने आए हैं। उन्होंने बेटियों से कहा कि हर जगह 'काले कौवे' आप पर निगाह लगाए बैठे हैं, इसलिए आपको अत्यधिक सतर्क रहने की आवश्यकता है।
राष्ट्र निर्माण और नैतिक मूल्यों पर जोर
'लिव-इन' पर चेतावनी देने के साथ ही, राज्यपाल ने विद्यार्थियों को महात्मा गांधी के सिद्धांतों को अपने जीवन में अपनाने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा केवल किताबों तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि यह चरित्र निर्माण का भी माध्यम होनी चाहिए। उन्होंने विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी से मिलकर काम करने का आह्वान किया और छात्रों को राष्ट्र-प्रथम की भावना के साथ आगे बढ़ने को कहा।
समाज के लिए राज्यपाल का विशेष आह्वान
अपने संबोधन में, आनंदीबेन पटेल ने कई महत्वपूर्ण बात कही उन्होंने अपने घरों में जैविक खेती अपनाने का आग्रह किया ताकि लोग स्वस्थ रह सकें। राज्यपाल ने स्वच्छता अभियान में सक्रिय योगदान देने और प्राकृतिक आपदाओं पर शोध करने के लिए छात्रों को प्रेरित किया। उन्होंने इस बात पर खुशी जाहिर की कि विद्यार्थियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि दीक्षांत समारोह का आयोजन विद्यापीठ के परिसर में नहीं हो सका, जिसे उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक संकेत बताया।