उत्तर प्रदेश में शहरों का कायाकल्प: पुराने भवनों के लिए जल्द आएगी शहरी पुनर्विकास नीति, सीएम योगी ने दिए निर्देश
इस नीति का लक्ष्य केवल पुनर्निर्माण नहीं, बल्कि शहरों का समग्र पुनर्जागरण करना है, ताकि सुरक्षित और सुंदर आवास मिल सकें। यह नीति मुंबई जैसे राज्यों के तर्ज पर बनी है और इसमें पीपीपी मॉडल आधुनिक तकनीक, और हरित भवन मानकों को प्राथमिकता दी जाएगी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस नीति को कैबिनेट में पेश करने के निर्देश दिए हैं।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के शहरों को नया स्वरूप देने और जर्जर हो चुके 25 वर्ष से अधिक पुराने असुरक्षित भवनों/अपार्टमेंट्स को सुरक्षित व सुंदर बनाने के लिए राज्य सरकार जल्द ही 'शहरी पुनर्विकास नीति' लागू करने जा रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आवास एवं शहरी नियोजन विभाग द्वारा प्रस्तुत इस मसौदे को जल्द से जल्द कैबिनेट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। इस नीति का मुख्य उद्देश्य केवल पुनर्निर्माण तक सीमित न रहकर शहरों का समग्र पुनर्जागरण करना है। यह नीति निजी और सार्वजनिक भागीदारी को प्रोत्साहित करेगी, जिसमें आधुनिक तकनीक, हरित भवन मानकों और प्रभावित परिवारों के पुनर्वास को मानवीय दृष्टिकोण के साथ प्राथमिकता दी जाएगी।
नीति का मुख्य उद्देश्य - शहरों पुनर्जागरण और सुरक्षित आवास
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट किया है कि शहरी पुनर्विकास नीति केवल जर्जर भवनों के पुनर्निर्माण तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि यह शहरों के समग्र पुनर्जागरण का मार्ग प्रशस्त करेगी। उनका मानना है कि नगर केवल इमारतों का समूह नहीं हैं, बल्कि ये जीवंत सामाजिक संरचनाएं हैं। इसलिए, यह नीति आधुनिकता, परंपरा और मानवता का संतुलित समन्वय करेगी। नीति का प्राथमिक लक्ष्य पुराने, जर्जर और अनुपयोगी क्षेत्रों को आधुनिक शहरी बुनियादी ढांचे, पर्याप्त सार्वजनिक सुविधाओं और पर्यावरणीय संतुलन के साथ विकसित करना है। इसका उद्देश्य निवास योग्य, सुरक्षित, स्वच्छ और सुव्यवस्थित नगरों का निर्माण सुनिश्चित करना है। इस नीति के तहत 25 वर्ष से अधिक पुराने, जर्जर, असुरक्षित बड़े भवनों और अपार्टमेंट्स पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। नीति का मसौदा मुंबई, गुजरात, मध्य प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों के मॉडल के तर्ज पर तैयार किया गया है।
जनहित सर्वोपरि और पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था पर जोर
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि इस नीति के तहत हर परियोजना में 'जनहित सर्वोपरि' की भावना होनी चाहिए। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया है कि पुनर्विकास की प्रक्रिया में किसी भी व्यक्ति की संपत्ति या जीविका पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। इसके लिए न्यायसंगत और मानवीय दृष्टिकोण अपनाना अनिवार्य होगा। नीति में भूमि पुनर्गठन, निजी निवेश को प्रोत्साहन, एक पारदर्शी पुनर्वास व्यवस्था, और प्रभावित परिवारों की आजीविका की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि नीति के अंतिम मसौदे को कैबिनेट से मंजूरी के लिए प्रस्तुत करने से पहले जनप्रतिनिधियों, नगर निकायों और आम नागरिकों से प्राप्त सुझावों के आधार पर अंतिम रूप दिया जाए।
निवेशकों को प्रोत्साहन और परियोजना में 'पीपीपी' मॉडल को प्राथमिकता
शहरी पुनर्विकास परियोजनाओं में निजी भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार 'पीपीपी मॉडल' को प्राथमिकता देगी। निवेशकों को सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश, प्रोत्साहन और सुरक्षा प्रदान की जाएगी। इस कार्य को सुगम बनाने के लिए एक राज्य स्तरीय पुनर्विकास प्राधिकरण के गठन और परियोजनाओं के लिए 'सिंगल विंडो अप्रूवल प्रणाली' लागू करने का भी प्रावधान होगा। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिया है कि हर परियोजना में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल सुनिश्चित किया जाए और हरित भवन मानक, ऊर्जा दक्षता तथा सतत विकास के प्रावधानों को अनिवार्य किया जाए। नीति के तहत जर्जर सरकारी आवासों, पुरानी हाउसिंग सोसाइटियों, अतिक्रमण प्रभावित क्षेत्रों, पुराने बाजारों, सरकारी आवास परिसरों, औद्योगिक क्षेत्रों और अनधिकृत बस्तियों के पुनर्विकास को प्राथमिकता दी जाएगी, जिसके लिए क्षेत्रवार अलग-अलग रणनीति भी तैयार की जाएगी। विशेष रूप से, नगरों की ऐतिहासिक विरासत और सांस्कृतिक पहचान के संरक्षण पर भी ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है।