महाकुम्भ की झलक: प्रयागराज माघ मेले में पहली बार 'पर्व स्नान' की तैयारी, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर निकलेगी शाही शोभायात्रा
यह पर्व स्नान महाकुंभ के 'अमृत स्नान' की भव्यता की तर्ज पर होगा, जिसमें जगदगुरु, महामंडलेश्वर, संत और महंत शाही स्नान की तरह शोभायात्रा निकालेंगे।
मेले की शुरुआत 3 जनवरी 2026, शनिवार को पौष पूर्णिमा के पवित्र स्नान के साथ होगी।
प्रयागराज : महाकुंभ 2025 की सफलता के बाद, संगम नगरी प्रयागराज में लगने वाला माघ मेला 2026 ऐतिहासिक और अभूतपूर्व होने जा रहा है। इस बार के मेले में पहली बार 'पर्व स्नान' का आयोजन किया जाएगा, जो महाकुंभ के 'अमृत स्नान' की भव्यता की याद दिलाएगा।
तीन जनवरी, 2026 को पौष पूर्णिमा के पवित्र स्नान के साथ इस दिव्य मेले का शुभारंभ होगा और लाखों श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाने के लिए संगम तट पर जुटेंगे।
पर्व स्नान में जगदगुरु, महामंडलेश्वर, संत-महंत एक शाही शोभायात्रा के रूप में संगम तक पहुंचेंगे, जिससे यह नजारा लघु कुंभ के 'शाही स्नान' जैसा होगा।
अमृत स्नान की तर्ज पर 'पर्व स्नान' की तैयारी
माघ मेला 2026 में सबसे बड़ा आकर्षण 'पर्व स्नान' होगा, जिसकी तैयारी महाकुंभ के 'अमृत स्नान' की तर्ज पर की जा रही है। इस विशेष स्नान में जगदगुरु, रामानंदाचार्य, महामंडलेश्वर, द्वाराचार्य, संत, महंत और श्रीमहंत जैसे प्रमुख धर्माचार्य एक साथ शोभायात्रा निकालकर संगम तट पर पहुचेंगे।
यह पहल उन श्रद्धालुओं के लिए एक स्वर्णिम अवसर प्रदान करेगी, जो महाकुंभ के अमृत स्नान में शामिल नहीं हो पाए थे। जगद्गुरु संतोषाचार्य सतुआ बाबा ने इस आयोजन को महाकुंभ के बाद बेहद भव्य बनाने की बात कही है, जिससे यह आयोजन महाकुंभ के शाही स्नान जैसा महसूस होगा।
पर्व स्नान का आयोजन मुख्य रूप से मौनी अमावस्या और वसंत पंचमी के पर्वों पर होगा। माघ मेले में बनारस के मठ, मंदिर, आश्रम के साथ ही शंकराचार्य के भी शिविर लगेंगे।
तीन जनवरी से शुरू होकर 44 दिन चलेगा आस्था का संगम
माघ मेला 2026 की शुरुआत पौष माह की पूर्णिमा यानी 3 जनवरी 2026, शनिवार को होगी। 44 दिनों तक चलने वाला यह पवित्र मेला 15 फरवरी 2026, महाशिवरात्रि के दिन अंतिम स्नान के साथ समाप्त होगा। इस दौरान देश भर के संत समाज, कल्पवासी और श्रद्धालु संगम तट पर वास करते हैं और पवित्र स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।
मेला प्रशासन भी इस भव्य आयोजन के लिए अपनी तैयारियां तेज़ी से कर रहा है, जिसके लिए भूमि आवंटन का कार्य दिसंबर के पहले सप्ताह में शुरू होने की संभावना है। काशी के मठ, मंदिर और अखाड़ों के प्रतिनिधि संगम के तट पर अपने-अपने शिविरों के लिए तैयारी में जुट गए हैं। इस बार हम लोगों ने मेले के लिए 300 बीघा जमीन आवंटित करने की मांग की है।
माघ मेले के प्रमुख स्नान पर्वों की तिथियां
माघ मेला 2026 के दौरान कुल छह प्रमुख स्नान पर्व होंगे, जिनका धार्मिक महत्व बहुत अधिक है। मेले की शुरुआत 3 जनवरी 2026, शनिवार को पौष पूर्णिमा के पवित्र स्नान के साथ होगी। इसके बाद, 14 जनवरी 2026, बुधवार को मकर संक्रांति का पर्व स्नान किया जाएगा।
मेले का सबसे प्रमुख स्नान मौनी अमावस्या है, जो 18 जनवरी 2026, रविवार को पड़ेगा। 23 जनवरी 2026, शुक्रवार को वसंत पंचमी का स्नान होगा। माघी पूर्णिमा का स्नान 1 फरवरी 2026, रविवार को निर्धारित है, और अंत में महाशिवरात्रि के दिन 15 फरवरी 2026, रविवार को अंतिम स्नान के साथ माघ मेले का समापन होगा।
माघ मेला 2026 की व्यापकता को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने इसके लिए 42 करोड़ रुपये का फंड आवंटित किया है। साथ ही, श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन खास तैयारी में जुटा है। जानकारी के अनुसार, मेला क्षेत्र को लगभग 900 हेक्टेयर में बसाया जाएगा और यातायात को सुगम बनाने के लिए सात पांटून पुलों का निर्माण किया जाएगा।
पहली बार मेले की प्लानिंग और प्रबंधन के लिए 3D मैपिंग और ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके अलावा, सेना भी मेला आयोजन के लिए लगभग 500 एकड़ भूमि प्रदान करेगी, ताकि व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित किया जा सके। रेलवे ने भी यात्रियों की सुविधा के लिए 2 जनवरी से कई प्रमुख ट्रेनों को प्रयागराज जंक्शन के बजाय सूबेदारगंज जैसे अन्य स्टेशनों से संचालित करने का निर्णय लिया है।