यूपी में कांग्रेस का 'मिशन संविधान': 100 दिनों में 30 रैलियों से गर्माएगी प्रदेश की सियासत
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य संविधान की रक्षा के बहाने भाजपा को घेरना और दलित, पिछड़ों व युवाओं को एकजुट करना है।
रैलियों तक सीमित न रहकर कांग्रेस ने 'संविधान संवाद' कार्यक्रम की भी योजना बनाई है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कांग्रेस ने अब 'संविधान' को सबसे बड़ा हथियार बनाने का निर्णय लिया है।
लोकसभा चुनावों में संविधान के मुद्दे पर मिले सकारात्मक जनसमर्थन से उत्साहित होकर पार्टी ने अब प्रदेश व्यापी आंदोलन की रूपरेखा तैयार की है।
इसके तहत अगले 100 दिनों के भीतर राज्य के हर कोने में 'संविधान रक्षक' रैलियां और संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि भाजपा के खिलाफ एक मजबूत वैचारिक माहौल बनाया जा सके।
30 विशाल रैलियों के जरिए शक्ति प्रदर्शन
कांग्रेस के इस 100 दिवसीय मास्टर प्लान का सबसे अहम हिस्सा प्रदेश के विभिन्न जिलों में होने वाली 30 बड़ी रैलियां हैं। इन रैलियों में पार्टी के राष्ट्रीय स्तर के दिग्गज नेताओं के शामिल होने की संभावना है।
पार्टी नेतृत्व का मानना है कि इन रैलियों के माध्यम से न केवल कार्यकर्ताओं में नया जोश भरा जाएगा, बल्कि आम जनता को यह संदेश भी दिया जाएगा कि कांग्रेस ही संविधान की असली प्रहरी है।
यह रैलियां मुख्य रूप से उन क्षेत्रों पर केंद्रित होंगी जहा दलित और पिछड़ा वर्ग की आबादी निर्णायक भूमिका में है।
संविधान संवाद: प्रबुद्ध वर्ग और युवाओं से जुड़ाव
केवल रैलियों तक सीमित न रहकर कांग्रेस ने 'संविधान संवाद' कार्यक्रम की भी योजना बनाई है। इसके तहत पार्टी के नेता और प्रवक्ता छोटे समूहों, कॉलेजों और नागरिक समाज के साथ बैठकें करेंगे। इस संवाद का मुख्य उद्देश्य संविधान की बारीकियों को समझाना और यह बताना है कि आरक्षण और लोकतांत्रिक अधिकार किस तरह खतरे में हैं।
पार्टी चाहती है कि वह युवाओं और बुद्धिजीवियों के बीच एक ऐसी बहस शुरू करे, जिससे सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े हों।
जातीय समीकरणों को साधने की रणनीति
इस पूरे अभियान के पीछे कांग्रेस का एक बड़ा उद्देश्य 'PDA' और अपने पारंपरिक वोट बैंक को वापस लाना है। संविधान के मुद्दे पर कांग्रेस को उम्मीद है कि वह दलितों और पिछड़ों के बीच यह संदेश पहुचाने में सफल रहेगी कि भाजपा संविधान बदलकर उनके अधिकारों को कम करना चाहती है।
पार्टी इस बार केवल नारों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि जमीनी स्तर पर जाकर "आरक्षण की रक्षा" और "सामाजिक न्याय" के मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी।
संवैधानिक संस्थाओं के बहाने सरकार पर हमला
कांग्रेस अपने इन कार्यक्रमों में यह मुद्दा भी जोर-शोर से उठाएगी कि किस तरह से स्वतंत्र संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाया जा रहा है।
विपक्षी नेताओं का तर्क है कि लोकतंत्र को बचाने के लिए संविधान को बचाना अनिवार्य है।
100 दिनों के इस सघन अभियान के जरिए कांग्रेस उत्तर प्रदेश में खुद को मुख्य विपक्षी दल के रूप में स्थापित करने की कोशिश कर रही है, ताकि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक ठोस आधार तैयार किया जा सके।