पूर्वांचल की सियासत गर्म: घोसी सीट पर उपचुनाव की घोषणा, क्या सुजीत सिंह बरकरार रख पाएंगे पिता सुधाकर की जीत का सिलसिला?

यह उपचुनाव 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले पूर्वांचल की राजनीति का एक महत्वपूर्ण शक्ति परीक्षण साबित होगा।

Updated On 2025-11-27 11:59:00 IST

सुजीत सिंह घोसी से दो बार ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। 

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर से घोसी विधानसभा सीट चर्चा का केंद्र बन गई है। इस महत्वपूर्ण सीट पर होने वाला उपचुनाव न केवल क्षेत्रीय दलों के लिए एक शक्ति परीक्षण है, बल्कि इसे 2027 के आगामी विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश के सियासी मिजाज को मापने का एक पैमाना भी माना जा रहा है।




 


दिग्गज नेता सुधाकर सिंह के निधन से खाली हुई सीट

घोसी विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता सुधाकर सिंह के निधन के कारण रिक्त हुई है। सुधाकर सिंह ने घोसी की जनता के बीच एक मज़बूत पकड़ बना रखी थी और वह अपने चुनावी रिकॉर्ड से अक्सर विरोधियों को चौंकाते रहे हैं। पूर्व में हुए चुनावों में उनकी शानदार जीत घोसी की जनता के बीच उनकी लोकप्रियता को दर्शाती है।

सहानुभूति की लहर पर दांव लगाएगी समाजवादी पार्टी

दिवंगत नेता सुधाकर सिंह के आकस्मिक निधन से उपजी सहानुभूति की लहर को समाजवादी पार्टी भुनाने की पूरी तैयारी में है। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, सपा इस सीट पर सुधाकर सिंह के बेटे सुजीत सिंह को टिकट देने का मन बना चुकी है। यह कदम न सिर्फ पार्टी को दिवंगत नेता के प्रति जनता की भावनाओं का लाभ दिला सकता है, बल्कि सुजीत सिंह की अपनी जमीनी पकड़ भी इसमें अहम भूमिका निभाएगी।

राजनीति में सक्रिय हैं सुजीत सिंह, ब्लॉक प्रमुख का अनुभव

सुजीत सिंह ने पहले से ही घोसी की राजनीति में अपनी सक्रियता स्थापित कर रखी है। वह घोसी से दो बार ब्लॉक प्रमुख रह चुके हैं। उनका यह अनुभव उन्हें जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं और आम जनता के साथ सीधा संवाद स्थापित करने में मदद करेगा। पिता की विरासत और बेटे की सक्रियता का यह संयोजन समाजवादी पार्टी के लिए उपचुनाव में जीत की राह आसान कर सकता है।

घोसी सीट का महत्व और 2027 की आहट

घोसी सीट पर होने वाला यह उपचुनाव सिर्फ एक सीट का चुनाव नहीं है, बल्कि यह भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सीधा मुकाबला होने की उम्मीद है। दोनों ही प्रमुख दल इस उपचुनाव को अपनी-अपनी राजनीतिक ताकत दिखाने और 2027 के विधानसभा चुनाव के लिए रणनीति का पूर्वाभ्यास करने के तौर पर देख रहे हैं। घोसी का परिणाम यह तय करने में महत्वपूर्ण होगा कि पूर्वांचल की राजनीति किस दिशा में करवट लेगी।


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