मायावती का 'सोशल इंजीनियरिंग 2.0': बसपा 2007 के फॉर्मूले से कर रही है,' 2027 में सत्ता की वापसी का गुणा - भाग
इस नई रणनीति में बसपा सुप्रीमो मायावती ने खुद संगठन की बागडोर संभाल ली है वहीं, उनके भतीजे आकाश आनंद को युवाओं को जोड़ने और प्रदेश भर में व्यापक जनसभाएं करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
यह कदम बसपा के पुराने दलित-मुस्लिम-सवर्ण समीकरण को पुनर्जीवित करने का एक बड़ा प्रयास है।
लखनऊ : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारी में जुटी बहुजन समाज पार्टी ने अपने पुराने फॉर्मूले को नए कलेवर में ढालना शुरू कर दिया है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर 2007 के 'सोशल इंजीनियरिंग' मॉडल पर भरोसा जताते हुए इसे 'सोशल इंजीनियरिंग 2.0' के रूप में लॉन्च किया है। पार्टी ने स्पष्ट कर दिया है कि मायावती स्वयं संगठन की धुरी बनेंगी, जबकि युवा और तेज़-तर्रार नेता आकाश आनंद को पार्टी का भविष्य माने जाने वाले युवाओं को जोड़ने और राज्य भर में व्यापक जनसंपर्क की जिम्मेदारी दी गई है।
यह कदम बसपा को जमीन पर मजबूत करने और 226 सीटों के बड़े लक्ष्य को साधने के लिए एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है। पार्टी को उम्मीद है कि इस नई ऊर्जा और पुराने सफल समीकरण के मेल से वह राज्य में फिर से सत्ता हासिल कर सकती है।
संगठनात्मक बदलाव - मायावती की 'कैडर' और आकाश की 'युवा' शक्ति
बसपा ने अपनी संगठनात्मक मशीनरी को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए कामों का बंटवारा किया है। मायावती ने संगठन के सबसे महत्वपूर्ण आधार—पार्टी कैडर—को सक्रिय करने की कमान खुद संभाली है। वह लगातार मंडल स्तर पर कैडर कैंप आयोजित कर रही हैं और 'भाईचारा कमेटियों' के कामकाज की निगरानी कर रही हैं। इन कमेटियों में दलितों के अलावा, मुस्लिम, ओबीसी और सवर्ण समाज को बड़े पैमाने पर शामिल किया जा रहा है, जिससे 2007 जैसा 'सर्वजन हिताय' का समीकरण फिर से बन सके। वहीं, भतीजे आकाश आनंद को युवा मोर्चा सौंप दिया गया है। वे न केवल राज्य में जनसभाएं करेंगे, बल्कि एक नई, ऊर्जावान टीम भी तैयार करेंगे। पार्टी में निष्क्रिय चल रहे पुराने नेताओं को हटाकर युवा और मेहनती चेहरों को जिम्मेदारी दी जा रही है। इसका सीधा मकसद युवाओं को पार्टी से जोड़ना और एक नई पीढ़ी के नेतृत्व को उभारना है।
226 सीटों का महासंकल्प और चुनावी एजेंडा
बसपा ने 2027 चुनाव के लिए एक आक्रामक लक्ष्य निर्धारित किया है। पार्टी ने नारा दिया है कि "2027 की तैयारी है, 226 सीट हमारी हैं", जो पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने का काम कर रहा है। पार्टी ने सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों पर काम शुरू कर दिया है। अप्रैल 2026 तक सभी सीटों पर संभावित उम्मीदवारों की घोषणा करने की तैयारी है, ताकि उन्हें चुनाव के लिए पर्याप्त समय मिल सके। कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस पर मायावती ने दलितों, पिछड़ों और मुस्लिमों को एकजुट करने की बात दोहराई थी। अब ब्राह्मण और क्षत्रिय समाज को भी 'सर्वजन' की छतरी के नीचे लाने पर विशेष जोर है। बसपा की यह रणनीति दर्शाती है कि वह सिर्फ चुनाव लड़ने नहीं, बल्कि सत्ता में वापसी के गंभीर इरादे से मैदान में उतर रही है।