अमेरिकी टैरिफ से टक्कर: GST कटौती और वैश्विक निर्यात विविधीकरण से पटरी पर आएगा भदोही का कालीन उद्योग

भदोही का कालीन उद्योग अमेरिकी टैरिफ की चुनौती का सामना कर रहा है, लेकिन यूरोप और मध्य-पूर्व जैसे वैकल्पिक बाजारों में मजबूत मांग से निर्यात की कमी पूरी होने की उम्मीद है।

Updated On 2025-09-29 12:34:00 IST

अमेरिका के सख्त टैरिफ के बावजूद, भदोही के कालीन उद्योग को यूरोपीय संघ जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और मध्य-पूर्व के देशों से मजबूत मांग मिल रही है।

भदोही: जिसे देश की कालीन नगरी कहा जाता है, अमेरिकी बाज़ार में टैरिफ की चुनौती का सामना करने के बावजूद मजबूत वापसी के लिए तैयार है। अमेरिका द्वारा लगाए गए शुल्क ने निर्यातकों के मुनाफे पर असर डाला है, लेकिन उद्योग में मायूसी नहीं है। इसकी मुख्य वजह है यूरोप, जर्मनी और मध्य-पूर्व जैसे वैकल्पिक वैश्विक बाज़ारों में भदोही के हस्तनिर्मित कालीनों की भरपूर मांग। निर्यातकों का मानना है कि इन देशों पर रणनीतिक फोकस करके अमेरिकी निर्यात की कमी को पूरा किया जा सकता है, जिससे व्यापार का विविधीकरण भी होगा। इस बीच, केंद्र सरकार ने जीएसटी टैक्स स्लैब को 12% से घटाकर 5% कर बड़ी राहत दी है। यह कटौती भारतीय कालीनों को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगी। सरकार ODOP योजना और एक्सपो मार्ट्स के माध्यम से 'ब्रांड भदोही' को लगातार प्रमोट कर रही है, जबकि बेहतर हाईवे कनेक्टिविटी निर्यात को सुगम बना रही है।

वैश्विक निर्यात विविधीकरण क्या है? 

वैश्विक निर्यात विविधीकरण एक आर्थिक रणनीति है जिसके तहत कोई देश अपने निर्यात किए जाने वाले उत्पादों की संख्या और प्रकार (जैसे, कच्चे माल के बजाय तैयार माल और सेवाएँ) और/या उन विदेशी बाज़ारों की संख्या को बढ़ाता है जहाँ वह उन्हें बेचता है। 

इसका मुख्य उद्देश्य किसी एक वस्तु या सीमित बाज़ार पर निर्भरता कम करना है। इससे देश को अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार के उतार-चढ़ाव (जैसे, कीमतों में गिरावट) से होने वाले जोखिमों को कम करने, निर्यात राजस्व को स्थिर करने और दीर्घकालिक, टिकाऊ आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलती है। संक्षेप में, यह निर्यात के लिए एक "सभी अंडे एक टोकरी में नहीं" वाली नीति है।

वैकल्पिक बाज़ारों में भारी मांग

अमेरिका के सख्त टैरिफ के बावजूद, भदोही के कालीन उद्योग को यूरोपीय संघ (EU), जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया और मध्य-पूर्व के देशों से मजबूत मांग मिल रही है। इन बाजारों में भारत के हाथ से बुने कालीनों की गुणवत्ता और कारीगरी की गहरी पहचान है। निर्यातकों ने अपनी मार्केटिंग रणनीति को अब इन मजबूत वैकल्पिक बाजारों की ओर केंद्रित करना शुरू कर दिया है। यह विविधीकरण सुनिश्चित करता है कि यदि किसी एक बड़े बाजार में व्यापार धीमा होता है, तो उसकी भरपाई अन्य क्षेत्रों में उच्च निर्यात से की जा सकती है। यह रणनीति भदोही के उद्योग को वैश्विक उतार-चढ़ावों के प्रति अधिक लचीला और टिकाऊ बना रही है।

जीएसटी दर में कटौती का लाभ

केंद्र सरकार ने कालीन उद्योग पर लगने वाले जीएसटी टैक्स स्लैब को 12% से घटाकर 5% करके एक बड़ी आर्थिक राहत दी है। इस महत्वपूर्ण कटौती का सीधा लाभ कालीन निर्यातकों को मिलेगा। सबसे पहले, इससे उनकी कार्यशील पूंजी पर पड़ने वाला बोझ कम होगा, जिससे वे उत्पादन और नवाचार में अधिक निवेश कर सकेंगे। दूसरा और सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि लागत कम होने से भारतीय कालीन अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। यह लाभ ऐसे समय में महत्वपूर्ण है जब वे अमेरिकी टैरिफ जैसे अंतर्राष्ट्रीय व्यापार बाधाओं का सामना कर रहे हैं।

ODOP योजना और वैश्विक मंच 

उत्तर प्रदेश सरकार ने भदोही के कारपेट को ODOP (वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट) योजना के तहत एक प्रमुख उत्पाद के रूप में नामित किया है। इस पहल के तहत, सरकार ने ग्रेटर नोएडा में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय ट्रेड शो सहित दुनिया भर के विभिन्न वैश्विक मंचों पर 'ब्रांड भदोही' को मजबूती से प्रचारित किया है। इन मंचों से न केवल भदोही के विशिष्ट कालीनों को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिली है, बल्कि सीधे अंतर्राष्ट्रीय खरीदारों को आकर्षित करने में भी मदद मिली है। यह प्रयास भदोही के कारीगरों की कला को वैश्विक स्तर पर मान्यता दिलाने में मील का पत्थर साबित हो रहा है।

बुनियादी ढांचा और एक्सपो मार्ट

भदोही के कालीन निर्यात को गति देने में बुनियादी ढांचे का विकास एक गेम चेंजर साबित हो रहा है। नेशनल हाईवेज और एक्सप्रेसवे के निर्माण से कच्चे माल के आयात और तैयार माल को बंदरगाहों तक पहुँचाने का ट्रांसपोर्टेशन पहले से कहीं अधिक सुगम और तेज हो गया है। इसके अलावा, केंद्र और राज्य सरकार के सहयोग से दिल्ली और भदोही में कारपेट एक्सपो मार्ट का समय-समय पर आयोजन होता है। ये मार्ट अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों के लिए एक सीधा और सुविधाजनक मंच प्रदान करते हैं, जहाँ वे नवीनतम डिजाइनों को देख सकते हैं और बिना किसी बिचौलिए के बड़े ऑर्डर बुक कर सकते हैं, जिससे निर्यात कारोबार को बढ़ावा मिलता है।

निर्यात विविधीकरण पर ज़ोर

अमेरिकी टैरिफ ने भदोही के उद्योग को निर्यात विविधीकरण के महत्व को समझा दिया है। अब उद्योग का ज़ोर सिर्फ एक बाज़ार पर निर्भर रहने के बजाय एकाधिक अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अपनी पैठ बनाने पर है। इस रणनीति के तहत, जर्मनी, यूके, चीन, और मध्य-पूर्व जैसे नए और मजबूत बाजारों को लक्षित किया जा रहा है। यह विविधीकरण सुनिश्चित करता है कि यदि भविष्य में किसी एक देश की व्यापार नीतियां बदलती हैं या आर्थिक मंदी आती है, तो भी भदोही का कालीन व्यापार सुरक्षित और स्थिर बना रहेगा। यह रणनीति दीर्घकालिक व्यापार स्थिरता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

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