प्रेमानंद महाराज के प्रवचन से प्रेरित: अयोध्या में दो मुस्लिम युवकों की 'घर वापसी', बदला नाम और जीवन!
मुस्लिम युवकों, अरशद सिद्दीकी और मोनू ने अपनी पुरानी धार्मिक पहचान को त्यागकर सनातन धर्म अपना लिया है।अब वे क्रमशः राकेश मौर्य और मनीष के नाम से जाने जाएंगे।
युवकों ने बताया प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों से उन्हें जो मानसिक शांति मिली, उसी से प्रेरित होकर उन्होंने यह मार्ग चुना।
अयोध्या। प्रभु श्री राम की नगरी अयोध्या एक बार फिर दो मुस्लिम युवकों के सनातन धर्म अपनाने को लेकर सुर्खियों में है। सोहावल क्षेत्र के दो युवकों ने संत प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों से प्रभावित होकर हिंदू धर्म स्वीकार कर लिया है। उन्होंने न केवल अपने मूल नाम छोड़े, बल्कि पूरी निष्ठा और आस्था के साथ सनातन परंपराओं का पालन करने का संकल्प लेते हुए अपने परिवारों से भी नाता तोड़ने का ऐलान किया है। इस 'घर वापसी' में स्थानीय धार्मिक संगठनों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसमें भरत हनुमान मिलन मंदिर ने दोनों युवकों के भविष्य की पूरी जिम्मेदारी ली है।
प्रेरणा का स्रोत: संत प्रेमानंद महाराज
युवकों के अनुसार, उन्हें यह निर्णय लेने की प्रेरणा वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज के उपदेशों से मिली। उन्होंने बताया कि महाराज के प्रवचनों को सुनने से उन्हें गहरी मानसिक शांति और जीवन की नई दिशा मिली। इसी शांति और प्रेरणा ने उन्हें सनातन धर्म को अपनाने के लिए प्रेरित किया, जिसे वे अब सच्चे मन से अपना धर्म मानते हैं।
नई पहचान और नाम परिवर्तन
अयोध्या के सोहावल क्षेत्र के जिन दो युवकों ने यह कदम उठाया है, उनमें एक हैं मोहम्मद अख्तर सिद्दीकी के पुत्र अरशद सिद्दीकी। अरशद के पिता फैज-ए-आम स्कूल के प्रधानाचार्य और मौलाना रहे हैं। अरशद ने अब अपना नाम बदलकर राकेश मौर्य रख लिया है। दूसरे युवक सोहावल के गौहनिया, मानापुर निवासी मोनू हैं, जिन्होंने हिंदू धर्म अपनाते हुए अपना नया नाम मनीष रखा है। इन दोनों युवकों ने अपनी नई हिंदू पहचान को पूरी तरह स्वीकार करते हुए कहा है कि वे अब धार्मिक रूप से हिंदू रीति-रिवाजों का पालन करेंगे।
परिवारों से संबंध विच्छेद और संकल्प
दोनों युवकों ने धर्म परिवर्तन के बाद एक साहसिक निर्णय लेते हुए यह स्पष्ट किया है कि अब वे अपने मूल परिवारों से किसी भी तरह का कोई नाता नहीं रखेंगे। उनके इस निर्णय से यह साफ होता है कि वे पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ हिंदू धर्म की परंपराओं का पालन करने के लिए कटिबद्ध हैं। यह संकल्प उनके लिए एक नई धार्मिक और सामाजिक यात्रा की शुरुआत है।
धार्मिक संगठनों ने ली जिम्मेदारी
इस 'घर वापसी' की प्रक्रिया में भरत हनुमान मिलन मंदिर, जिसके महंत परमात्मा दास हैं, और बजरंग दल के जिला मंत्री लालजी शर्मा ने सक्रिय सहयोग दिया। मंदिर ने औपचारिक रूप से इन दोनों युवकों की 'घर वापसी' की पूरी जिम्मेदारी लेने की घोषणा की है। इस जिम्मेदारी में उनके भरण-पोषण और सामाजिक-धार्मिक जीवन को व्यवस्थित करने में मदद करना शामिल है।
जिलाधिकारी को सौंपा गया आवेदन
इस धर्म परिवर्तन को विधिवत रूप देने के लिए शनिवार को सदर तहसील में संपूर्ण समाधान दिवस के अवसर पर जिलाधिकारी (DM) निखिल टीकाराम फुंडे को एक लिखित आवेदन भी सौंपा गया। इस आवेदन में युवकों के धर्म परिवर्तन की जानकारी दी गई और यह भी बताया गया कि उन्होंने संत प्रेमानंद महाराज के प्रवचनों से प्रभावित होकर यह निर्णय लिया है। प्रशासन को दिए गए इस आवेदन से यह मामला अब आधिकारिक रिकॉर्ड में भी दर्ज हो गया है।
राकेश मौर्य और मनीष का यह कदम अयोध्या में धार्मिक चर्चा का विषय बन गया है। यह घटना दर्शाती है कि संत-महात्माओं के प्रवचनों का गहरा प्रभाव लोगों के जीवन पर पड़ सकता है, जिससे वे अपने जीवन की दिशा बदलने का कठोर निर्णय भी ले सकते हैं। इस घटना ने एक बार फिर धार्मिक स्वतंत्रता और आस्था के व्यक्तिगत चुनाव के महत्व को रेखांकित किया है।