Municipal Election: नगर पालिका और परिषद अध्यक्ष सीधे चुने जाएंगे, बदलेगा शिवराज सरकार का एक और फैसला

मध्य प्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव प्रत्यक्ष प्रणालीसे ही होते थे, लेकिन 2022 में शिवराज सरकार ने नियमों संशोधन कर इनके चुनाव पार्षदों के जरिए अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराने का निर्णय लिया था।

Updated On 2024-12-07 09:56:00 IST
MP में प्रत्यक्ष प्रणाली से चुने जाएंगे नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष, बदलेगा शिवराज सरकार का निर्णय।

Municipal Body Election Amendment : मध्य प्रदेश में स्थानीय चुनावों को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी है। नगर पालिका और नगर परिषद अध्यक्ष के चुनाव प्रत्यक्ष प्रणाली यानी सीधे जनता के जरिए कराए जाने की तैयारी है। अप्रत्यक्ष चुनाव प्रणाली की यह व्यवस्था शिवराज सरकार में लागू हुई थी। इसमें नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष पार्षदों के मत से चुने जाते थे। 

नई व्यवस्था के अनुसार, मध्य प्रदेश में नगर पालिका और नगर परिषद के अध्यक्ष का चुनाव मतदाता ही करेंगे। यह व्यवस्था लागू होने के बाद उन्हें वापस बुलाने का प्रावधान भी लागू किया जाएगा। यानी गड़बड़ी मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी प्रस्तावित की जा सकती है। 

नगरीय निकाय चुनाव 2027 में होंगे
मध्य प्रदेश में नगरीय निकायों के चुनाव 2027 में होने हैं। जिसके लिए कवायद शुरू हो गई है। कुछ निकायों में हुए अविश्वास प्रस्ताव और पार्षदों की नाराजगी को देखते हुए सरकार ने प्रत्यक्ष प्रणाली से अध्यक्ष के चुनाव कराने का फैसला किया है। हालांकि, इसके लिए अभी आम राय ली जाएगी। पार्टी स्तर पर भी सुझाए मांगे जा सकते हैं। 

अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया भी बदली 
एमपी की मोहन सरकार ने अध्यादेश लाकर नगर पालिका अधिनियम 1961 की धारा 43 (क) में नया प्रावधान जोड़ा है। इसके अनुसार, अविश्वास प्रस्ताव दो की बजाय तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा होने के बाद ही लाया जा सकता है। साथ ही अविश्वास प्रस्ताव पारित करने के लिए तीन-चौथाई पार्षदों का समर्थन जरूरी है।

यह भी पढ़ें: चुनाव आयोग का बड़ा फैसला: लोकसभा में ऐसी गलती की तो अफसरों पर गिरेगी कार्रवाई की गाज, जानें किन चीजों पर लगाया बैन

जिला और जनपद अध्यक्ष का चुनाव 
जिला और जनपद पंचायत में भी अध्यक्ष के चुनाव सीधे जनता से कराए जा सकते हैं। इसके लिए पंचायतराज अधिनियम में संशोधन किया जाएगा। अभी सदस्यों के जरिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुने जाते हैं। सदस्यों का समर्थन प्राप्त करने दबाव और प्रलोभन की राजनीति होती है। नगर निगम स्पीकर के लिए भी यही प्रक्रिया लागू की जा सकती है। 

Similar News