बोरबेल में जिंदगी हार गया रीवा का मयंक: 44 घंटे बाद 42 फीट गहराई में मिला शव, CM मोहन यादव ने लिया बड़ा एक्शन

Mayank Adivasi Borewell Rescue Operation: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में शुक्रवार शाम बोरवेल में गिरे मयंक आदिवासी को जिंदा नहीं बचाया जा सका। NDRF और SDERF की टीमों ने 44 घंटे कड़ी मेहनत कर बाहर निकाला, लेकिन उसे बचा नहीं सके।

Updated On 2024-04-14 17:10:00 IST
रीवा में मयंक आदिवासी को बोरबेल से बाहर निकालते NDRF के जवान। घटना स्थल पर मयंक की मां को ढाढ़स बंधाती नीलम मिश्रा।

Mayank Adivasi Borewell Rescue Operation: 160 फीट गहरे बोरवेल में गिरे रीवा के मयंक आदिवासी को जिंदा नहीं बचाया जा सका। 44 घंटे की मेहनत के बाद रविवार दोपहर रेस्क्यू दल ने जैसे ही बाहर निकाला, चिकित्सा टीम तुरंत अस्पताल लेकर रवाना हुई, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। मयंक 42 फीट गहराई में पत्थर और मिट्टी के बीच फंस गया था। जहां दम घुटने से उसकी मौत हो गई। 

जनेह थाना क्षेत्र के मनिका गांव में मयंक आदिवासी (6) पिता विजय शुक्रवार शाम 3.30 बजे से 4 बजे के बीच बोरवेल में गिरा था। ग्रामीणों ने पहले अपने स्तर पर उसे बाहर निकालने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। जिसके बाद प्रशासन को सूचित किया। शाम 5 बजे पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे और NDRF और SDERF की टीमें बुलवाकर बचाव कार्य शुरू कराया। 

जनपद सीईओ और एसडीओ निलंबित 
बोरबेल में गिरने से बच्चे की मौत पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने बड़ा एक्शन लिया है। त्योंथर के जनपद सीईओ और पीएचई विभाग के एसडीओ को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए  निलंबित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही प्रदेशवासियों से बोरवेल ढंक कर रखने की अपील की है।  

पीड़ित परिवार को 4 लाख की सहायता 
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने मयंक के निधन पर शोक जताया है। कहा, प्रशासन के अथक प्रयास के बाद भी उसे बचाया नजीं जा सका। मन दु:ख और पीड़ा से भरा है। ईश्वर दिवगंत आत्मा को शांति एवं परिजनों को यह गहन दु:ख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। पीड़ित परिवार को 4 लाख की आर्थिक सहायता भी स्वीकृत की है।  

रीवा जिले के मनिका (जनेह) गांव में शुक्रवार शाम बोरबेल में गिरे मयंक आदिवासी का 24 घंटे बाद भी सुराग नहीं मिला।

8 जेसीबी मशीनों से खुदाई, सुरंग बनाने में लगा समय 
मयंक को बाहर निकालने 8 जेसीबी मशीनों से बोरबेल के समानांतर खुदाई की गई, लेकिन 60 फीट से पहले ही उसमें पानी निकल आया। जिस कारण कुछ देर रेस्क्यू रोककर गड्ढे का पानी खाली कराया गया और ड्रिल मशीन से बोरवेल तक पहुंचने सुरंग बनाई गई। सख्त मिट्टी पर ड्रिल काम नहीं कर रही थी, इसिलए मैनुअली खुदाई शुरू की, जिसमें काफी समय लग गया। 

घटना स्थल पर बैठी मयंक की मां को ढाढ़स बंधाती कांग्रेस की लोकसभा प्रत्याशी नीलम मिश्रा व अन्य।

रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सलामती की दुआ करते रहे परिजन 
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान मयंक की मां शीला, पिता विजय, दादा हिंचलाल और नानी निर्मला सहित अन्य परिजन और आसपास के सैकड़ों ग्रामीण शुक्रवार शाम से ही घटनास्थल पर ही बैठे रहे। इस दौरान वह मयंक की सलामती के लिए दुआ करते रहे। 

यह भी पढ़ें: बोरवेल में 40 घंटे से फंसा बच्चा: रीवा के मयंक आदिवासी को बाहर निकालने टनल बना रहीं टीमें, माता-पिता बदहवास

घटना स्थल पर डटी रहीं कलेक्टर, CM ने ली अपडेट 
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान रीवा कलेक्टर प्रतिभा पाल व अन्य प्रशासनिक अधिकारी मौके पर डटे रहे। मेडिकल टीम के साथ एंबुलेंस और टेक्नीशियन भी मौके पर मौजूद रहे। डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल, सांसद जनार्दन मिश्रा, त्योंथर विधायक सिद्धार्थ तिवारी और कांग्रेस की लोकसभा प्रत्याशी नीलम मिश्रा, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी पल पल की अपडेट लेते रहे।  

Mayank Adivasi Borewell Rescue Operation:

घटना जनेह थाना क्षेत्र के मनिका गांव की है। जो रीवा से 90 किमी दूर है। शुक्रवार दोपहर तकरीबन 3.30 बजे से 4 बजे के बीच मयंक आदिवासी (6) पिता विजय खुले बोरवेल में गिर गया था। बोरवेल की गहराई 160 फीट बताई गई। हालांकि, कलेक्टर ने 70 फीट बताया है।

Similar News