MP Weather Update: भोपाल-इंदौर में पारा 9° से नीचे, जानें आज के मौसम का हाल

मध्यप्रदेश में एक बार फिर कड़ाके की ठंड दस्तक देने वाली है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 5 दिसंबर से हिमालयी क्षेत्र में नया वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सक्रिय होने जा रहा है, जिसका सीधा असर प्रदेश में 6 और 7 दिसंबर को देखने को मिल सकता है।

Updated On 2025-12-03 08:53:00 IST

मध्यप्रदेश में एक बार फिर कड़ाके की ठंड दस्तक देने वाली है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, 5 दिसंबर से हिमालयी क्षेत्र में नया वेस्टर्न डिस्टर्बेंस सक्रिय होने जा रहा है, जिसका सीधा असर प्रदेश में 6 और 7 दिसंबर को देखने को मिल सकता है। ठंडी बर्फ़ीली हवाओं के कारण इंदौर, ग्वालियर, चंबल, उज्जैन और सागर संभाग में तापमान अचानक गिरने की संभावना है।

इससे पहले रविवार और सोमवार की रातों में भी कई शहरों में तेज ठंड महसूस की गई। भोपाल और इंदौर का पारा 9 डिग्री से नीचे चला गया। वहीं, प्रदेश का इकलौता हिल स्टेशन पचमढ़ी सबसे ठंडा रहा, जहां न्यूनतम तापमान 7.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

राजगढ़ में 8.5 डिग्री, नौगांव में 8.6 डिग्री, शाजापुर के कल्याणपुर में 8.7 डिग्री, उमरिया में 9.3 डिग्री और रीवा में तापमान 9.6 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।

दिन में भी ठंड का असर कम नहीं हुआ। मंगलवार सुबह ग्वालियर में घना कोहरा छाया रहा, जहां विजिबिलिटी सिर्फ 500 से 1000 मीटर तक रही। भोपाल और दतिया में भी दृश्यता 1,000 मीटर के आसपास रही।

पचमढ़ी में दिन का तापमान 22.6 डिग्री, बालाघाट के मलाजखंड में 23 डिग्री, शिवपुरी में 24 डिग्री, बैतूल में 24.2 डिग्री और नरसिंहपुर में 24.4 डिग्री दर्ज किया गया।

बड़े शहरों में इंदौर का दिन का तापमान 25.6 डिग्री, भोपाल 26 डिग्री, उज्जैन 28.4 डिग्री, ग्वालियर 28 डिग्री और जबलपुर 26 डिग्री सेल्सियस तक रहा।

इस बार नवंबर में ठंड ने तोड़ा 94 साल का रिकॉर्ड

मध्यप्रदेश में इस साल नवंबर की ठंड ऐतिहासिक रही। भोपाल में लगातार 15 दिन शीतलहर चली, जो 1931 के बाद सबसे लंबी अवधि है।

17 नवंबर की रात तापमान 5.2 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचा, जो पूरी तरह से नया रिकॉर्ड है। इससे पहले 1941 में नवंबर में न्यूनतम 6.1 डिग्री दर्ज हुआ था।इंदौर में भी पारा 6.4 डिग्री तक गिरा, जो पिछले 25 सालों में सबसे कम तापमान रहा।

ठंड क्यों बढ़ी?

सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन के अनुसार, इस साल नवंबर के पहले सप्ताह में ही उत्तर भारत में बर्फबारी शुरू हो गई थी। इस कारण ठंडी हवाएं जल्दी ही मध्यप्रदेश तक पहुंच गईं। आखिरी सप्ताह में हवा की दिशा बदली, जिससे कुछ राहत मिली थी, लेकिन नया वेस्टर्न डिस्टर्बेंस फिर से ठंड बढ़ा देगा।

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