महिला सशक्तिकरण: अब मनरेगा मजदूरी सीधे महिलाओं के खाते में, देश में पहला राज्य बना मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश देश में फिर एक बार महिला सशक्तिकरण का अग्रणी राज्य बन गया है। लाड़ली बहना योजना के बाद अब मनरेगा में यह बड़ा बदलाव ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।
मध्य प्रदेश सरकार ने महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए पूरे देश में नया कीर्तिमान स्थापित किया है। अब मनरेगा के तहत मिलने वाली मजदूरी सीधे महिला मजदूर के बैंक खाते में भेजी जाएगी। यह बदलाव इसलिए खास है क्योंकि अब तक अधिकांश मामलों में परिवार का पुरुष मुखिया ही जॉब कार्ड का मालिक होता था और भुगतान भी उसी के खाते में जाता था, चाहे मेहनत महिला ने ही क्यों न की हो।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर केंद्र सरकार ने मनरेगा के राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर में नया फीचर जोड़ दिया है। इसके बाद अब जॉब कार्ड में महिला को परिवार का मुखिया दर्ज किया जा सकेगा, जिससे मजदूरी का 100% भुगतान सीधे महिला के खाते में पहुंचेगा। इस बदलाव को ‘मां का बगिया’ योजना से भी जोड़ा गया है, जिससे ग्रामीण महिलाओं की आर्थिक स्थिति और मजबूत होगी।
पहले जॉब कार्ड पर परिवार का मुखिया (अधिकतर पुरुष) दर्ज होता था। महिला काम करती थी, पर भुगतान पुरुष के खाते में जाता था। अब महिला को जॉब कार्ड का मुखिया बनाया जाएगा। मजदूरी पूरी तरह महिला के खाते में जाएगी। मनरेगा सॉफ्टवेयर में नया विकल्प जोड़ा गया है।
यह नियम 15 अगस्त 2025 के बाद शुरू हुए मनरेगा कार्यों पर लागू कर दिया गया है। वहीं पुराने जॉब कार्ड चरणबद्ध तरीके से अपडेट किए जाएंगे।
राज्य में करीब 31,500 मनरेगा समूह हैं, जिनमें पहले सिर्फ 1% से भी कम समूहों में महिला मुखिया दर्ज थी। तकनीकी कारणों से महिलाओं को सीधे भुगतान करना मुश्किल था, लेकिन अब मध्य प्रदेश ने इस बाधा को भी दूर कर दिया है। प्रदेश सरकार ने 2 सितंबर 2025 को केंद्र को प्रस्ताव भेजा था, जिसे तुरंत मंजूरी दे दी गई।
इस फैसले के बाद मध्य प्रदेश देश में फिर एक बार महिला सशक्तिकरण का अग्रणी राज्य बन गया है। लाड़ली बहना योजना के बाद अब मनरेगा में यह बड़ा बदलाव ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।