CM मोहन यादव ने किया 7 दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय वन मेले का शुभारंभ, बोले-वनोपज और वन्य-प्राणी प्रदेश की पहचान

मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में आयोजित 7 दिवसीय 11वें अंतरराष्ट्रीय वन मेले के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे। यह मेला 17 से 23 दिसंबर तक आयोजित होगा

Updated On 2025-12-18 11:28:00 IST

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में आयोजित 7 दिवसीय 11वें अंतरराष्ट्रीय वन मेले का  शुभारंभ किया। 

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि वन, वनोपज और वन्य-प्राणी मध्यप्रदेश की पहचान हैं और इन्हीं के संरक्षण के साथ प्रदेश विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में आयुर्वेद को वैश्विक पहचान मिली है और स्वयं प्रधानमंत्री ने इसे अपनाकर देश को प्रेरणा दी है।

मुख्यमंत्री डॉ. यादव बुधवार को भोपाल के लाल परेड ग्राउंड में आयोजित 7 दिवसीय 11वें अंतरराष्ट्रीय वन मेले के शुभारंभ अवसर पर संबोधित कर रहे थे। यह मेला 17 से 23 दिसंबर तक आयोजित होगा और इस वर्ष इसकी थीम “समृद्ध वन, खुशहाल जन” रखी गई है। उन्होंने कहा कि वन मेले का पूरे प्रदेश को हर साल इंतजार रहता है और यह आयोजन भारतीय संस्कृति में वन संरक्षण की परंपरा को आगे बढ़ाने का कार्य करता है।

मुख्यमंत्री ने बताया कि मेले में 350 से अधिक आयुर्वेदिक उत्पादों के स्टॉल लगाए गए हैं। साथ ही 80 आयुर्वेदिक डॉक्टर और 100 से अधिक वैद्य आम नागरिकों को नि:शुल्क परामर्श देंगे। उन्होंने संकेत दिए कि भविष्य में प्रदेश के अन्य शहरों में भी इस तरह के मेलों का आयोजन किया जाएगा।

कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दीप प्रज्ज्वलन कर मेले का उद्घाटन किया, भगवान धनवंतरि की पूजा-अर्चना की और विंध्या हर्बल सहित विभिन्न स्टॉल्स का अवलोकन किया। उन्हें रुद्राक्ष का पौधा भेंट किया गया। इस अवसर पर ‘लघु वनोपज हमारी शान’ गीत, विंध्या हर्बल का नया लोगो और वेलनेस किट का भी विमोचन किया गया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब एलोपैथिक दवाएं असर नहीं करतीं, तब लोग आयुर्वेद की ओर रुख करते हैं। कोरोना काल में आयुर्वेदिक काढ़ा पूरी दुनिया के लिए अमृत समान साबित हुआ। उन्होंने बताया कि पहले प्रदेश में केवल 7 शासकीय आयुर्वेद महाविद्यालय थे, लेकिन पिछले एक साल में 8 नए शासकीय आयुर्वेदिक कॉलेज खोलने का निर्णय लिया गया है।

डॉ. यादव ने कहा कि सरकार लघु वनोपज संग्राहकों, अनुसूचित जाति-जनजाति और पिछड़ा वर्ग को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। तेंदूपत्ता सहित अन्य वनोपज पर बोनस दिया जा रहा है और 32 लघु वनोपज के न्यूनतम समर्थन मूल्य में 25% वृद्धि की जा रही है।

वन्यजीव संरक्षण को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में राष्ट्रीय उद्यानों और अभ्यारण्यों की संख्या बढ़ाई जा रही है। वर्ष 2026 में रानी दुर्गावती के नाम पर नौरादेही अभ्यारण्य में चीतों को बसाने की योजना है। साथ ही भविष्य में जंगली गैंडे और जिराफ लाने की दिशा में भी कार्य किया जा रहा है।

वन मेले में प्रदेश के जिला यूनियन, वन धन केंद्र, जड़ी-बूटी संग्राहक, आयुर्वेदिक औषधि निर्माता और पारंपरिक भोजन विक्रेता अपने उत्पादों का प्रदर्शन कर रहे हैं। यहां 10 शासकीय स्टॉल, 24 अन्य राज्यों के स्टॉल, 136 प्राइवेट स्टॉल और 26 फूड स्टॉल लगाए गए हैं, जहां अलीराजपुर का दालपानिया, छिंदवाड़ा की वन रसोई और बांधवगढ़ के गोंडी व्यंजन आकर्षण का केंद्र हैं।

कार्यक्रम को वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री दिलीप अहिरवार ने भी संबोधित किया। वहीं, एमपी राज्य लघु वनोपज सहकारी संघ की प्रबंध संचालक डॉ. समीता राजौरा ने कहा कि मध्यप्रदेश वन और वन्यजीव संरक्षण में देश में अग्रणी बन चुका है। कार्यक्रम में जनप्रतिनिधि, वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी संख्या में आम नागरिक उपस्थित रहे।

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