रीवा में थाना प्रभारी पर हाईकोर्ट सख्त: सीएम हेल्पलाइन शिकायत जबरन बंद कराने का आरोप, CCTV फुटेज तलब
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने रीवा जिले के सगरा थाना प्रभारी के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों को लेकर सख्त रुख अपनाया है।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने रीवा जिले के सगरा थाना प्रभारी अंकिता मिश्रा के खिलाफ लगे गंभीर आरोपों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस महानिदेशक (DGP), आईजी रीवा जोन और जिला पुलिस अधीक्षक (SP) से जवाब तलब किया है। इसके साथ ही थाने के सीसीटीवी फुटेज भी पेश करने के निर्देश दिए गए हैं, जिससे पूरे पुलिस महकमे में हलचल मच गई है।
यह मामला पद के दुरुपयोग, एकतरफा कार्रवाई और सीएम हेल्पलाइन शिकायत को जबरन बंद कराने से जुड़ा हुआ है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि यदि आरोप सही पाए गए, तो जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई हो सकती है।
जमीन विवाद में पुलिस पर पक्षपात के आरोप
मामला रीवा जिले की सिरमौर तहसील के ग्राम मझियारी का है। यहां निवासी राजेश शुक्ला का अपने चाचा से लंबे समय से जमीन विवाद चल रहा है। इस विवाद में कमिश्नर कोर्ट ने संबंधित भूमि पर यथास्थिति बनाए रखने (स्टे) का आदेश जारी किया था।
राजेश का आरोप है कि स्टे आदेश के बावजूद उन्होंने खेत में धान की बुवाई की थी, लेकिन सगरा पुलिस की मौजूदगी में उनके चाचा ने फसल कटवा ली। इतना ही नहीं, पुलिस ने मामले में निष्पक्ष कार्रवाई करने के बजाय उल्टा राजेश के खिलाफ ही कदम उठाए।
सीएम हेल्पलाइन शिकायत बनी परेशानी की वजह
पुलिस की कार्रवाई से आहत होकर राजेश शुक्ला ने सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज कराई। आरोप है कि इसके बाद पुलिस ने उन पर शिकायत वापस लेने का दबाव बनाना शुरू कर दिया। जब राजेश ने शिकायत वापस लेने से इनकार किया, तो पुलिस कथित तौर पर उन्हें, उनकी पत्नी और बेटे को जबरन घर से उठाकर थाने ले गई।
परिवार का आरोप है कि थाने में उनसे मोबाइल फोन छीन लिए गए और पुलिस ने खुद ही सीएम हेल्पलाइन की शिकायत बंद कर दी। इस पूरे घटनाक्रम ने पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
हाईकोर्ट ने मांगे CCTV फुटेज
पीड़ित परिवार ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की, जिसमें दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और उन्हें निलंबित करने की मांग की गई। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए सगरा थाने के 24 से 26 अक्टूबर 2025 और 13 से 15 नवंबर 2025 के बीच की सीसीटीवी रिकॉर्डिंग कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट का कहना है कि CCTV फुटेज से यह स्पष्ट हो सकेगा कि आरोप कितने सही हैं और थाने में क्या-क्या हुआ था।
पुलिस कार्रवाई पर उठे बड़े सवाल
हाईकोर्ट के इस सख्त रुख के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। अब सभी की निगाहें अधिकारियों के जवाब और CCTV फुटेज पर टिकी हैं। इस मामले को पुलिस की जवाबदेही और आम नागरिकों के अधिकारों से जोड़कर देखा जा रहा है।