MACT का ऐतिहासिक फैसला: 6 साल के बच्चे की मौत पर 19.80 लाख मुआवजा, MP में अब तक की सबसे बड़ी राशि
भोपाल MACT ने 6 वर्षीय हरिराम की सड़क हादसे में मौत पर 19.80 लाख रुपए मुआवजा देकर ऐतिहासिक फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के नगजी भाई जजमेंट के आधार पर यह MP में नाबालिग को मिला अब तक का सबसे बड़ा मुआवजा है।
6 वर्षीय हरिराम की 2023 में सड़क हादसे में मौत हो गई थी। इस हादसे पर मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है।
(एपी सिंह): मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में अगस्त 2023 में हुए दिल दहला देने वाले सड़क हादसे में 6 वर्षीय मासूम हरिराम की जान चली गई थी। भोपाल स्थित मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल (MACT ने इस मामले में दुर्लभ और क्रांतिकारी फैसला सुनाते हुए मृतक बच्चे के परिजनों को कुल 19.80 लाख रुपए मुआवजा देने का आदेश दिया है। यह राशि मध्य प्रदेश में अब तक किसी नाबालिग की सड़क दुर्घटना में मौत पर मिलने वाला सबसे बड़ा मुआवजा है।
घटना उस समय हुई जब दमोह जिले का एक मजदूर परिवार रायसेन के खंडेल गांव में काम के सिलसिले में आया था। एक दिन परिवार सड़क किनारे भोजन करने जा रहा था, तभी तेज रफ्तार कार ने छोटे हरिराम को जोरदार टक्कर मार दी। गंभीर रूप से घायल बच्चे को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर उसे बचा नहीं सके।
परेशान परिजनों ने कार मालिक, ड्राइवर और बीमा कंपनी के खिलाफ MACT में दावा दायर किया। लंबी सुनवाई के बाद ट्रिब्यूनल ने सुप्रीम कोर्ट के महत्वपूर्ण “नगजी भाई बनाम श्याम राव (2018)” जजमेंट का हवाला देते हुए अहम फैसला सुनाया। इस जजमेंट में साफ कहा गया है कि 1 से 15 साल तक के बच्चे को भविष्य में “स्किल्ड वर्कर” बनने की संभावना के साथ देखा जाए।
इसी आधार पर MACT ने हरिराम की संभावित मासिक आय 11,885 रुपए आंकी। इसमें 40% फ्यूचर प्रॉस्पेक्ट (भविष्य में आय वृद्धि) जोड़कर कुल मासिक आय करीब 17,000 रुपए मानी गई। मल्टीप्लायर और अन्य मानकों के साथ अंतिम मुआवजा 19.80 लाख रुपए तय किया गया।
अब तक मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के मामलों में अधिकतम 5 से 7 लाख रुपए तक ही मुआवजा मिलता रहा है। यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी राशि दी गई है। ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट कहा कि बच्चे की कम उम्र उसके भविष्य की संभावनाओं को कम नहीं आंक सकती; उसे पूरे जीवन काल के आर्थिक मूल्य के आधार पर ही न्याय मिलना चाहिए।
यह फैसला पूरे राज्य में नाबालिगों के मुआवजा मामलों के लिए नया मानदंड स्थापित करेगा और बीमा कंपनियों के लिए भी झटका है। परिजनों को मिला यह मुआवजा न केवल आर्थिक राहत है, बल्कि न्याय व्यवस्था की संवेदनशीलता का भी प्रमाण है।