झारखंड शराब घोटाला: ED का बड़ा एक्शन, IAS विनय चौबे समेत कई अफसरों के ठिकानों पर छापेमारी

Jharkhand Liquor Scam: झारखंड में विधानसभा चुनाव से पहले ED ने IAS विनय चौबे समेत अन्य अधिकारियों के ठिकानों पर छापेमारी की।

Updated On 2024-10-29 14:19:00 IST
Jharkhand Liquor Scam

Jharkhand Liquor Scam: झारखंड विधानसभा चुनाव के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने राज्य में फिर से कार्रवाई की है। मंगलवार सुबह ED ने झारखंड के वरिष्ठ IAS अधिकारी विनय चौबे, आबकारी विभाग के संयुक्त सचिव गजेन्द्र सिंह और उनके करीबी रिश्तेदारों व चार्टर्ड अकाउंटेंट्स के ठिकानों पर छापेमारी की। इस कार्रवाई का संबंध कथित शराब घोटाले (liquor scam) से है, जिसकी जांच पिछले कुछ समय से चल रही है। हालांकि, ED ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि किन-किन स्थानों पर छापे मारे जा रहे हैं।

शराब घोटाले में ED की बड़ी कार्रवाई
ED की इस ताजा कार्रवाई से पहले भी इसी मामले में छापेमारी हो चुकी है। पिछले साल 23 अगस्त को भी ED ने झारखंड के रांची, देवघर, दुमका और कोलकाता में 32 जगहों पर छापेमारी की थी। उस समय राज्य के वित्त मंत्री रमेश्वर ओरांव, उनके पुत्र रोहित ओरांव, शराब व्यवसायी योगेंद्र तिवारी और उनसे जुड़े 32 अन्य ठिकानों पर कार्रवाई हुई थी। इस कार्रवाई में ED ने शराब व्यवसाय से जुड़े गंभीर दस्तावेज बरामद किए थे और बाद में योगेंद्र तिवारी को गिरफ्तार कर लिया था।

झारखंड और छत्तीसगढ़ शराब घोटाले का संबंध
इस शराब घोटाले का कनेक्शन छत्तीसगढ़ से भी जुड़ा हुआ है। छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने इस मामले में पहले ही FIR दर्ज कर ली थी। झारखंड के आबकारी विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त आयुक्त गजेन्द्र सिंह को आरोपित किया गया था। FIR के अनुसार, जनवरी 2022 में छत्तीसगढ़ के शराब सिंडिकेट से जुड़े IAS अनिल तुनेजा, अनवर धाबेर ने चौबे से मुलाकात की थी और झारखंड में शराब बिक्री के नियमों को बदलने के लिए साजिश रची थी।

शराब घोटाले में लाखों की हेराफेरी का आरोप
इस मामले में छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के MD रहे सलाहकार अरुणपति त्रिपाठी की भी भूमिका बताई गई है। FIR में कहा गया है कि त्रिपाठी को 1.25 करोड़ रुपये की राशि दी गई थी। इस राशि के बदले उन्होंने शराब सिंडिकेट को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर में 100 करोड़ रुपये का टर्नओवर की शर्त रखी थी, जिससे राज्य को 2022-23 में भारी राजस्व हानि हुई। इस घटना के बाद राज्य में आबकारी नीति और इसकी प्रक्रियाओं की सख्त समीक्षा की मांग उठी है।

विधानसभा चुनाव के बीच ED का बड़ा कदम
विधानसभा चुनावों के समय ED की यह कार्रवाई बड़े संदेश देती है। चुनावी माहौल के बीच झारखंड में इस तरह की कार्रवाई से राज्य की राजनीति में हलचल मच गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि ED की इस कार्रवाई का क्या असर होता है और जांच के बाद क्या निष्कर्ष सामने आते हैं। अब तक की जांच से कई बड़े अधिकारियों की भूमिका भी सामने आई है, जिससे यह मामला और गंभीर होता जा रहा है।

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