सोनीपत: अब डीजल की छुट्टी, गडकरी ने किया उत्तर भारत के पहले इलेक्ट्रिक ट्रक स्टेशन का लोकापर्ण, 5 मिनट में बैटरी स्वैप

पहले चरण में ही इस टर्मिनल पर 25 इलेक्ट्रिक ट्रक पहुंच चुके हैं। ये इलेक्ट्रिक ट्रक परिवहन क्षेत्र में गेमचेंजर साबित होंगे। वर्तमान में ट्रक भले ही कुल वाहनों का केवल 4% हों, पर वे देश के 30% कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं।

Updated On 2025-10-08 13:06:00 IST

गन्नौर के DICT में दीप प्रज्ज्वलित करते केद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और एचडी कुमार स्वामी। 

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को हरियाणा के सोनीपत जिले के गन्नौर स्थित दिल्ली इंटरनेशनल कार्गो टर्मिनल में एक महत्वपूर्ण परियोजना का लोकापर्ण किया। उनके साथ केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी भी मौजूद रहे। यह कार्यक्रम उत्तर भारत में कॉमर्शियल वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक मोबिलिटी की नई शुरुआत का प्रतीक है। अब भारी-भरकम ट्रकों को डीजल की नहीं, बल्कि बैटरी की शक्ति मिलेगी।

गन्नौर के गांव पांची गुजरान में शुरू हुआ यह स्टेशन उत्तर भारत का पहला कॉमर्शियल इलेक्ट्रिक ट्रक बैटरी स्वेपिंग एवं चार्जिंग स्टेशन है। पहले चरण में ही कार्गो टर्मिनल में 25 बैटरी से चलने वाले कॉमर्शियल ट्रक पहुंच चुके हैं।

गेमचेंजर साबित हो सकते हैं इलेक्ट्रिक ट्रक

भारत के परिवहन क्षेत्र में इलेक्ट्रिक ट्रक एक गेमचेंजर साबित हो सकते हैं। वर्तमान में ट्रक देश के कुल वाहनों का केवल 4% हिस्सा हैं, लेकिन ये देश के 30% कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार हैं। इन ट्रकों के इलेक्ट्रिक होने से प्रदूषण पर प्रभावी ढंग से लगाम लगेगी। रविंद्रा एनर्जी लिमिटेड के उपाध्यक्ष नरेंद्र मुरकुंबी के अनुसार अब तकनीक और बैटरी की कीमतें इतनी कम हो गई हैं कि इलेक्ट्रिक ट्रक बिना किसी सरकारी सहायता के भी डीजल ट्रकों से सस्ते साबित होंगे। यह वित्तीय और पर्यावरणीय दोनों दृष्टिकोणों से एक बड़ी जीत है।

कंपनी की भागीदारी और ग्रीन एनर्जी

इस परियोजना की शुरुआत एनर्जी इन मोशन (EIM) द्वारा की जा रही है, जिसकी रविंद्रा एनर्जी लिमिटेड के साथ 50% की साझेदारी है। इस प्रोजेक्ट में चीन की बड़ी कंपनी Beiqi FOTON Motor भी शामिल है, जो प्रतिवर्ष लाखों व्यवसायिक वाहन बनाती है। FOTON की यह तकनीक अब भारत के ट्रकों को आधुनिक और पर्यावरण हितैषी बनाएगी।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन स्टेशनों में इस्तेमाल होने वाली बिजली रविंद्रा एनर्जी की अपनी सौर और पवन ऊर्जा परियोजनाओं से मिलेगी। इसका मतलब है कि ट्रकों को चलाने की पूरी प्रक्रिया पर्यावरण के अनुकूल और पूरी तरह हरित ऊर्जा पर आधारित होगी।

चार्जिंग की चिंता खत्म 

इलेक्ट्रिक ट्रकों के सामने सबसे बड़ी बाधा लंबी चार्जिंग का समय रहा है, लेकिन इस परियोजना में इसका समाधान बैटरी स्वेपिंग तकनीक से किया गया है।

पेट्रोल पंप की तर्ज पर स्टेशन

• जहां सामान्य इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज होने में कई घंटे लगते हैं, वहीं इन ट्रकों को बैटरी बदलने के लिए इंतजार नहीं करना होगा।

• 5 मिनट के भीतर बैटरी को बदला जा सकता है।

• देश भर में पेट्रोल पंपों की तर्ज़ पर चार्जिंग स्टेशन बनाए जाएंगे। जब ट्रक की बैटरी लो होगी, तो ड्राइवर नजदीकी स्वेपिंग स्टेशन पर जाकर बैटरी को तुरंत बदल सकेगा। 

यह पूरी तरह से ऑटोमेटेड बैटरी स्वेपिंग स्टेशन की अवधारणा है, जो एक साथ कई बैटरी पैक को चार्ज कर सकता है और वाहन को सीधे चार्ज करने की सुविधा भी देता है, जिससे डिलीवरी में कोई रुकावट नहीं आएगी।

पहले चरण में 25 इलेक्ट्रिक ट्रक पहुंचे

सोनीपत के DICT में पहले चरण में 25 इलेक्ट्रिक ट्रक पहुंचे हैं, जबकि कुल 75 ट्रकों को डिपो में शामिल किया जाना है। DICT में पहले से ही 14 इलेक्ट्रिक क्रेन कंटेनर उठाने के लिए इस्तेमाल की जा रही हैं। दावा है कि पूरा टर्मिनल जल्द ही इलेक्ट्रिक वाहनों से संचालित होगा।

• लोड क्षमता: ये इलेक्ट्रिक ट्रक डीजल वाहनों के अनुसार ही 40 टन तक का लोड उठा सकेंगे।

• रेंज: एक बार चार्जिंग या स्वेपिंग के बाद ये 180 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकते हैं।

• प्रदूषण मुक्त: ये पूरी तरह 100% बैटरी ऑपरेटेड हैवी ड्यूटी ट्रक हैं, जो धुआं या शोर नहीं करते।

इंजीनियरिंग हेड अनिल कुमार के अनुसार, इन इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल से पर्यावरण को बड़ा फायदा होगा और डीजल के धुएं से होने वाले प्रदूषण से निजात मिलेगी। सबसे अच्छी बात यह है कि ट्रक चालकों को इन वाहनों के लिए एनजीटी टैक्स भी नहीं देना होगा।

2030 तक का बड़ा लक्ष्य

रविंद्रा एनर्जी और FOTON की इस साझेदारी ने भारत को ग्रीन मोबिलिटी की दिशा में मजबूती से आगे बढ़ाया है।

• नॉर्थ जोन का लक्ष्य: योजना के मुताबिक, 2030 तक नॉर्थ जोन में 7 हजार इलेक्ट्रिक ट्रक सड़कों पर दौड़ते नजर आएंगे।

• स्टेशनों का विस्तार: इस विशाल बेड़े को समर्थन देने के लिए, कंपनी करीब 250 चार्जिंग स्टेशन तैयार करेगी।

• अल्पकालिक विस्तार: 2027 तक 45 और स्टेशन का विस्तार करने की योजना है, विशेष रूप से सीमेंट, स्टील और माइनिंग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में, जिससे ईवी चार्जिंग नेटवर्क मजबूत बनेगा।

परिवहन क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव

इलेक्ट्रिक ट्रकों का यह आगमन भारत के परिवहन क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव है, जो देश को प्रदूषण मुक्त बनाने और ग्रीन एनर्जी के इस्तेमाल को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

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