IPS Suicide Case: जांच में शामिल अधिकारी ने खुद को मारी गोली, IPS पूरन कुमार पर लगाए ये गंभीर आरोप
IPS Suicide Case: आत्महत्या करने वाले आईपीएस वाई पूरन कुमार से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में जांच कर रहे अधिकारी ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली। उन्होंने मृतक वाई पूरन कुमार पर कई संदिग्ध आरोप लगाए हैं।
आईपीएस वाई पूरन कुमार आत्महत्या मामले की जांच अधिकारी ने खुद को गोली मारी
IPS Suicide Case: हरियाणा में आईपीएस वाई पूरण कुमार की आत्महत्या मामले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस मामले में जांच कमेटी गठित की गई थी, जिसमें कई अधिकारियों को शामिल किया गया था। ये मामला अभी शांत भी नहीं हुआ था कि इससे पहले ही IPS पूरण कुमार के खिलाफ वसूली मामले के जांच अधिकारी ASI संदीप लाठर ने मंगलवार को आत्महत्या कर ली। उन्होंने रोहतक में खुद को गोली मार ली। वर्तमान में उनकी तैनाती साइबर सेल में थी।
जानकारी के अनुसार, ASI संदीप लाठर ने खेत में बने एक कमरे में सुसाइड किया। उनकी लाश के पास से ही सुसाइड नोट और पिस्तौल बरामद की गई है। हरियाणा के लाढ़ौत गांव में खेतों में बने एक कमरे से उनकी लाश मिली। संदीप लाठर ने आईपीएस वाई पूरण के साथ तैनात गनमैन हेड कॉन्सटेबल सुशील कुमार को गिरफ्तार किया था। वे इस मामले में आगे की जांच कर रहे थे।
वीडियो में क्या बोले संदीप लाठर?
संदीप लाठर ने आत्महत्या करने से पहले एक वीडियो बनाया। इस वीडियो में उन्होंने कहा कि वो एक सच से पर्दा उठाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सच्चाई की कीमत बहुत बड़ी होती है। उन्होंने कहा, 'इसके लिए सबसे पहले मैं अपने प्राणों की आहुति दे रहा हूं। सरदार भगत सिंह को भी अपना जीवन खत्म करना पड़ा था, तभी देश जागा था। आज जब हम सच्चाई की राह पर कुर्बान होंगे तभी देश जागेगा।'
उन्होंने वाई पूरन कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा, 'एक भ्रष्ट पुलिस अफसर ने सदर थाना मर्डर में पैसे लिए थे। इसने राविंद्रजीत को निकालने के लिए 50 करोड़ की डील की थी, नरेंद्र बिजाड़ियां एक ईमानदार पुलिस अफसर इसके सामने आया। बिजाड़ियां को लेकर उन्होंने कहा कि वो इंसान भ्रष्टाचार तो दूर की बात है, वो अपनी सैलेरी से ही गुजारा करता है। जिस दिन से ये आईजी की पोस्ट पर पहुंचा, इसने जातिवाद के आधार पर लोगों को हटाया और भ्रष्टाचारी लोगों का सेलेक्शन करना शुरू कर दिया। उन लोगों ने फाइलों में गलती होने के बावजूद उन्हें पास किया। मुलाजिमों को बुलाकर उन्हें टॉर्चर किया गया और पैसे लेकर उनकी फाइलों को आगे बढ़ाया गया। ट्रांसफर के नाम पर वहां पर महिला पुलिसकर्मियों का भी शोषण किया गया।'
उन्होंने आगे कहा, 'जब इस मामले की पूरी जांच की जाएगी, तो मेरी कही सभी बातें सच निकलेंगी। न्यायिक कुर्सी पर बैठे होने के बावजूद भी इन लोगों ने एक किराने की दुकान पर बैठे बनिए तक को परेशान किया और उनसे पैसे मांगे। ये राजा नहीं है। राजा जनता होती है। इनकी भ्रष्टाचार की जड़ें बहुत गहरी हैं। इनके खिलाफ जो भ्रष्टाचार की शिकायतें हुई थीं, उन्हीं के डर से इसने आत्महत्या की थी।'
ASI संदीप लाठर ने अपने वीडियो में आगे कहा, 'जब हमने गनमैन सुशील कुमार को पकड़ा था, तब पूरन कुमार ने कहा था कि मैं एक जगह से और मंथली कलेक्शन करके लाया था, लेकिन वो पैसे पीछे वाली गाड़ी के डैशबोर्ड में रखे थे। धर्मेंद्र ड्राइवर उस गाड़ी को लेकर उड़ गए थे। उस गाड़ी में धर्मेंद्र और सुशील कुमार दो लोग मौजूद थे। जिस समय इसे पकड़ा गया और जांच में शामिल होने का नोटिस दिया गया, तो इसने कहा कि सर बैठे हैं, मैं दस मिनट में बाहर आ जाऊंगा, जिसे मेरा जो उखाड़ना हो, उखाड़ लेना। इस पर मैंने कहा था कि हमें क्या करना है, तुम्हारे खिलाफ शिकायत की गई है और हम तुम्हें पकड़ेंगे और आगे तुम्हें अफसरों के सुपुर्द करेंगे। न्यायिक जांच होगी और जो सच्चाई होगी, वो सामने आएगी। इनका अहंकार बहुत ज्यादा था। जब इस आदमी को पता चला कि उसके भ्रष्टाचार के मामले में परिवार और राजनीति में नुकसान होगा। इसके लिए उसने इन्हें बचाने के लिए आत्महत्या की है।'
उन्होंने कहा, 'उसकी पत्नी को भी डर है कि कहीं उसका भंडा भी न फूट जाए, इसलिए वो ऐसा कर रही है। इनकी संपत्ति की भी जांच होनी चाहिए। इनको जातिवाद के नाम पर भ्रष्टाचार करने का लाइसेंस नहीं मिला है। इनकी जांच होनी चाहिए। इस आदमी ने भ्रष्टाचार किया। सच कह रहा हूं कि जौ पैसे सुनरिया टीएचसी ने सुशील को लाकर दिए हैं, वो पैसे इसके पास पहुंचे थे। वो पैसे गाड़ी के डैशबोर्ड में थे, इसकी लड़की ने वो पैसे लिए हैं। इन पैसों को लेकर ही उसने आत्महत्या की है। इसके लिए मैं अपने प्राणों की आहुति दे रहा हूं। मेरे दादाजी भी देश के लिए लड़े थे और आज उनका पोता भी लड़ रहा है। मैं ईमानदार था, इसके लिए फख्र महसूस कर रहा हूं। अगर किसी को लगता है कि मैं ईमानदार नहीं हूं, तो आप मेरे बैंक अकाउंट की जांच करा लो, मेरे सिर पर अब भी कर्जा है। मैं अपने बच्चों को पढ़ा रहा हूं, एक जमींदार का बेटा हूं लेकिन भ्रष्टाचारी नहीं हूं। मैं भगत सिंह का फैन हूं और उनके जैसा ही हूं। मैं किसी से डरता नहीं हूं, लेकिन आज जनता को जगाने के लिए मेरी आहुति देना जरूरी था।'
उन्होंने कहा, 'इस देश को आजाद कराने के लिए भगत सिंह जैसे लोग इसलिए आहुति दे गए कि तुम जातिवाद के नाम पर जहर घोलो। अगर वो जिंदा होते, तो उन्हें शर्म आती कि हम किसकी खातिर लड़ रहे थे। पूरन कुमार जैसे लोगों के लिए, उसकी पत्नी के लिए, आयोग में बैठे उसके भ्रष्टाचारी रिश्तेदारों के लिए।'
उन्होंने आगे कहा कि एक व्यापारी आदमी ने जुर्म कि खिलाफ लड़ने की कोशिश की, उसको दबाने के लिए ये सब किया जा रहा है। उसकी सच्चाई को कोई सामने नहीं लाना चाह रहा। उसका दाह संस्कार नहीं कराया जा रहा है। राजनीति में बहुत बड़ी सच्चाई को सामने लाने से रोका जा रहा है।, इसके बाद उन्होंने सबको अलविदा कह अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।