Punjab Assembly Special session : हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने वाले प्रस्ताव का तीखा विरोध, विधायक ने फाड़ी फैसले की प्रति

पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री हरपाल चीमा ने जल विवाद पर विधानसभा के विशेष सत्र को बुलाने के सरकार के फैसले का बचाव कर कहा कि जल पंजाब की भी एक बहुत बड़ी आवश्यकता है।

Updated On 2025-05-05 16:38:00 IST
पंजाब विधानसभा पहुंचे मुख्यमंत्री भगवंत मान।

Punjab Assembly Special session : पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र सोमवार को पंजाब और हरियाणा के बीच चल रहे जल विवाद के मुद्दे पर गरमागरम बहस का गवाह बना। हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के प्रस्ताव पर सदन में तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली, जिसका सीधा असर सदन की कार्यवाही पर पड़ा। विधायक अमृत पाल सिंह सुखानंद ने भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त पानी आवंटित करने के निर्णय की प्रति को सदन में फाड़कर अपना कड़ा विरोध जताया। इस घटना ने सदन में तनाव और बढ़ा दिया। 

जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि दी 

सदन की कार्यवाही की शुरुआत जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले में जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। स्पीकर कुलतार सिंह संधवा ने इस दुखद घटना पर शोक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। इसके बाद, सदन को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सदन के दोबारा शुरू होने पर, ध्यान तुरंत ज्वलंत जल मुद्दे पर केंद्रित हो गया।

जल स्रोत मंत्री ने पेश किया प्रस्ताव, डैम सेफ्टी एक्ट रद्द करने की मांग 

सदन के फिर से शुरू होने पर, पंजाब के जल स्रोत मंत्री बरिंद्र गोयल ने बीबीएमबी द्वारा हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने के विवादास्पद प्रस्ताव को सदन के समक्ष रखा। इसके साथ ही, उन्होंने डैम सेफ्टी एक्ट - 2021 को रद्द करने के लिए भी एक प्रस्ताव पेश किया, जो केंद्र सरकार द्वारा पारित किया गया है और राज्य सरकारों के अधिकारों पर अतिक्रमण करने वाला माना जाता है।

गवर्नर बॉक्स में गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति 

सोमवार को सदन की इस महत्वपूर्ण कार्यवाही के दौरान, गवर्नर बॉक्स में कई प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की उपस्थिति देखी गई। सांसद अमरिंदर सिंह, मलविंदर सिंह कंग और गुरमीत सिंह मीत हेयर विशेष रूप से उपस्थित थे, जो इस संवेदनशील मुद्दे पर राजनीतिक दलों की गंभीरता को दर्शाता है।

बीबीएमबी की पैरवी और केंद्र का हस्तक्षेप

भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) ने हरियाणा को 4500 क्यूसेक अतिरिक्त पानी आवंटित करने की सिफारिश की थी। इसके बाद, 2 मई को दिल्ली में हुई एक उच्च-स्तरीय बैठक में, केंद्रीय गृह सचिव ने पंजाब सरकार को बीबीएमबी के प्रस्ताव के अनुसार हरियाणा को अतिरिक्त पानी देने का सुझाव दिया था। इस हस्तक्षेप ने पंजाब सरकार की नाराजगी को और बढ़ा दिया है।

नंगल बांध पर नियंत्रण का विवाद: केंद्र और राज्य आमने-सामने

पानी के आवंटन के अलावा, केंद्र सरकार ने नंगल बांध (भाखड़ा बांध का नियंत्रण कक्ष) पर पंजाब पुलिस के नियंत्रण पर भी आपत्ति जताई थी और राज्य सरकार से तत्काल इसे बीबीएमबी को सौंपने का निर्देश दिया था। हालांकि, रविवार शाम तक पंजाब सरकार ने बांध के नियंत्रण कक्ष से अपना नियंत्रण नहीं हटाया, जिससे केंद्र और राज्य के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है।

पंजाब सरकार का दृढ़ रुख: अतिरिक्त पानी की मांग को नाजायज बताया

पानी विवाद पर पंजाब की भगवंत मान सरकार ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि हरियाणा को उसकी आवश्यकता के अनुसार 4000 क्यूसेक पानी पहले से ही दिया जा रहा है। सरकार का मानना है कि 8500 क्यूसेक पानी की अतिरिक्त मांग पूरी तरह से नाजायज है और इसका उद्देश्य सिंचाई के लिए पानी का उपयोग करना है, जिससे पंजाब के किसानों के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

मंत्री हरपाल चीमा का तीखा बयान: केंद्र पर पंजाब के अधिकारों के हनन का आरोप

पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री हरपाल चीमा ने जल विवाद पर विधानसभा के विशेष सत्र को बुलाने के सरकार के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि जल पंजाब की भी एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। उन्होंने आरोप लगाया कि देश की आजादी के बाद से ही, केंद्र में चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या भाजपा की, पंजाब के जल अधिकारों पर हमेशा से ही हमला किया जाता रहा है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जितना पानी हरियाणा का हक बनता है, उतना पानी उन्हें पहले ही दिया जा चुका है, और मानवता के आधार पर 4000 क्यूसेक फीट अतिरिक्त पानी भी दिया जा रहा है। मंत्री चीमा ने केंद्र और हरियाणा की भाजपा सरकारों पर मिलीभगत का आरोप लगाते हुए कहा कि वे पंजाब के हक को छीनना चाहते हैं, लेकिन पंजाब की आप सरकार ऐसा कभी होने नहीं देगी और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगी। 

पंजाब के जल संसाधन मंत्री ने सदन में प्रस्ताव रखकर भाजपा पर निशाना साधा

पंजाब की भगवंत मान सरकार ने सोमवार को विधानसभा के विशेष सत्र में एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव पेश किया। इस प्रस्ताव में पड़ोसी राज्य हरियाणा को अपने हिस्से का एक भी बूंद पानी न देने की दृढ़ प्रतिज्ञा की गई है। पंजाब के जल संसाधन मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने सदन में यह प्रस्ताव रखते हुए भाजपा पर निशाना साधा। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र और हरियाणा में भाजपा सरकारें भाखड़ा ब्यास प्रबंधन बोर्ड (बीबीएमबी) का इस्तेमाल कर पंजाब के जल अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रही हैं।

बीबीएमबी की बैठक असंवैधानिक तरीके से बुलाई गई थी

प्रस्ताव में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बीबीएमबी की बैठक असंवैधानिक तरीके से बुलाई गई थी, जिसका उद्देश्य पंजाब के हक का पानी जबरन हरियाणा को देना है। यह भी बताया गया कि हरियाणा पहले ही 31 मार्च तक अपने हिस्से का पूरा पानी इस्तेमाल कर चुका है। पंजाब सरकार का तर्क है कि पिछले तीन वर्षों में उन्होंने सिंचाई व्यवस्था को सुधारा है और अब लगभग 60 प्रतिशत खेतों तक नहर का पानी पहुंच रहा है, जबकि 2021 में यह आंकड़ा केवल 22 प्रतिशत था। इसलिए, पंजाब के लिए पानी की हर बूंद कीमती है और किसी अन्य राज्य को देने के लिए अतिरिक्त जल उपलब्ध नहीं है।

हालांकि, मानवीय आधार पर हरियाणा को पीने के लिए 4,000 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है और यह जारी रहेगा, लेकिन इससे अधिक पानी साझा नहीं किया जाएगा। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने भी इस प्रस्ताव का पुरजोर समर्थन किया है। इस घटनाक्रम ने दोनों राज्यों के बीच जल विवाद को और गहरा कर दिया है। 

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