हरियाणा में हजारों सरकारी कर्मचारियों की नौकरी पर संकट: हाईकोर्ट ने रद्द की सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंक देने की नीति, दोबारा मेरिट बनाने के आदेश

हरियाणा में सरकारी नौकरियों में चयनित हजारों युवाओं की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है। सामाजिक आर्थिक आधार पर दिए 5 से 10 नंबर रद्द करने के आदेश दिए हैं। अब दोबारा से मेरिट बनेगी।

Updated On 2025-05-23 17:14:00 IST

प्रतीकात्मक फोटो।

हजारों सरकारी कर्मचारियों की नौकरी पर संकट : हरियाणा में सरकारी नौकरियों के लिए बनाए गए सामाजिक-आर्थिक आधार पर 5 से 10 बोनस अंक देने के नियम को लेकर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 11 जून 2019 की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया है, जिसके तहत चयन प्रक्रिया में कुछ खास श्रेणी के उम्मीदवारों को 5 से 10 अतिरिक्त अंक दिए जा रहे थे। यह फैसला न्यायमूर्ति संजीव प्रकाश शर्मा और न्यायमूर्ति मीनाक्षी आई. मेहता की खंडपीठ ने सुनाया। कोर्ट ने हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन (HSSC) को निर्देश दिया है कि वह तीन माह के भीतर उन सभी भर्तियों का संशोधित परिणाम जारी करे, जिनमें सामाजिक-आर्थिक आधार पर बोनस अंक दिए गए थे। यदि संशोधित मेरिट में कोई अभ्यर्थी जगह नहीं बना पाता, तो उसकी नियुक्ति रद्द की जाएगी। ऐसे में हजारों चयनित उम्मीदवारों की नौकरी पर संकट खड़ा हो गया है। हालांकि बोर्ड चेयरमैन हिम्मत सिंह ने कहा है कि अभी हमारे पास कई विकल्प हैं। कोर्ट का फैसला अपलोड होने के बाद फैसला लेंगे। बता दें कि हरियाणा में यदि किसी परिवार में कोई सरकारी नौकरी नहीं है तो उसे बोनस अंक दिए जाते थे। वहीं, वार्षिक आय यदि 1.80 लाख से कम है तो भी बोनस अंक मिलते थे।

मोनिका रमन की याचिका बनी फैसले की वजह

यह पूरा मामला करनाल निवासी अभ्यर्थी मोनिका रमन द्वारा दाखिल की गई याचिका के बाद शुरू हुआ। मोनिका ने बिजली निगम में जूनियर सिस्टम इंजीनियर पद की भर्ती में 90 में से पूरे 90 अंक प्राप्त किए थे, लेकिन उनका चयन नहीं हो पाया। उन्होंने इसे अनुचित मानते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर कोर्ट ने वर्ष 2021 में ही राज्य सरकार को नोटिस जारी कर दिया था। अब उसी याचिका पर अंतिम फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस तरह का क्राइटेरिया मेरिट के सिद्धांतों के विरुद्ध है।

किन-किन भर्तियों पर पड़ेगा असर

हाईकोर्ट के इस फैसले से उन भर्तियों पर सबसे अधिक असर पड़ने की संभावना है, जिनमें सामाजिक-आर्थिक आधार पर उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक दिए गए थे। खासकर वर्ष 2020-21 की पुलिस भर्तियां और अन्य तकनीकी पद इस नीति से प्रभावित हुए हैं। उदाहरण के लिए, बिजली निगम में जूनियर सिस्टम इंजीनियर की भर्ती में 146 पद थे। इस भर्ती में मोनिका रमन जैसी अभ्यर्थी, जिन्होंने 90 में से 90 अंक प्राप्त किए, उन्हें चयन सूची में स्थान नहीं मिला क्योंकि अन्य उम्मीदवारों को बोनस अंक का लाभ मिला था। वर्ष 2020-21 में पुलिस विभाग की सब-इंस्पेक्टर भर्ती में 400 पदों में से 378 पद सामाजिक-आर्थिक श्रेणी के उम्मीदवारों को मिले। महिला सब-इंस्पेक्टर के 65 पदों में से 62 पर भी ऐसे ही अभ्यर्थियों का चयन हुआ। वहीं 1100 सिपाही पदों पर भी यही ट्रेंड देखने को मिला, जहां अधिकांश नियुक्तियां बोनस अंकों के आधार पर हुईं। कुल मिलाकर, वर्ष 2019 से 2022 के बीच ग्रुप C और D की भर्तियों में लगभग 25,000 से 30,000 युवाओं को इस नीति का लाभ मिला। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद अनुमान है कि इनमें से करीब 10,000 नियुक्तियों पर सीधा असर पड़ सकता है।

CET में पहले ही हटाए गए थे अंक

हरियाणा सरकार ने वर्ष 2023 में हाईकोर्ट के दिशा-निर्देशों के बाद कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (CET) की नई नीति में सामाजिक-आर्थिक आधार पर मिलने वाले अतिरिक्त अंकों को समाप्त कर दिया था। इसके बाद से अभी तक ग्रुप C और D की कोई नई भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है। सरकार द्वारा CET की नई तारीख की घोषणा अभी लंबित है।

आयोग ने दिया संयम बरतने का संदेश

हरियाणा स्टाफ सिलेक्शन कमीशन के चेयरमैन हिम्मत सिंह ने फैसले के बाद कहा कि अभी कोर्ट का फैसला अपलोड नहीं हुआ है। आयोग के पास कई कानूनी विकल्प मौजूद हैं, जिन पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने सभी चयनित उम्मीदवारों से संयम बनाए रखने की अपील की है।

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