हरियाणा के सरकारी कॉलेज: PG-UG की आधे से ज्यादा सीटें खाली, जानें छात्र क्यों बना रहे हैं दूरी
पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) की 61% और अंडर ग्रेजुएट (UG) की 49% सीटें खाली रह गई हैं। यह दिखाता है कि छात्र अब सरकारी कॉलेजों से दूरी बना रहे हैं। इसकी मुख्य वजह है शिक्षकों के 2758 पद खाली होना।
हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में सीटें खाली।
हरियाणा के सरकारी कॉलेजों में इस साल दाखिले में भारी गिरावट आई है। यह स्थिति न सिर्फ शिक्षा विभाग बल्कि पूरे राज्य के लिए चिंता का विषय बन गई है। पोस्ट ग्रेजुएशन (PG) की 61% और अंडर ग्रेजुएट (UG) की 49% सीटें खाली रह गईं। यह चौंकाने वाला आंकड़ा दिखाता है कि जहां एक तरफ सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ छात्र सरकारी कॉलेजों से दूरी बना रहे हैं। यह एक गंभीर समस्या है जिसके मूल कारणों पर गहराई से विचार करने की आवश्यकता है।
दाखिले घटने का कारण
गुणवत्ता की कमी : छात्रों और अभिभावकों का सरकारी कॉलेजों के प्रति विश्वास कम हुआ है। उन्हें लगता है कि यहां की पढ़ाई का स्तर, निजी संस्थानों की तुलना में कम है।
खाली पदों की समस्या : सरकारी कॉलेजों में शिक्षकों के हजारों पद खाली पड़े हैं, 7986 स्वीकृत पदों में से 2758 पद खाली हैं। शिक्षकों की कमी सीधे तौर पर पढ़ाई की गुणवत्ता पर असर डालती है। जब पढ़ाने वाले ही नहीं होंगे, तो छात्र कहां से आएंगे?
कमजोर प्रचार-प्रसार : सरकार ने नए कोर्स शुरू किए, लेकिन उनका सही तरीके से प्रचार-प्रसार नहीं किया गया। छात्रों और उनके अभिभावकों को इन नए अवसरों के बारे में शायद पता ही नहीं चला।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा : आज के समय में छात्र उन कोर्स और संस्थानों को चुनना पसंद करते हैं जो उन्हें बेहतर करियर के अवसर प्रदान करें। निजी विश्वविद्यालय और कोचिंग संस्थान अक्सर अपनी प्लेसमेंट दर और सुविधाओं को बेहतर तरीके से पेश करते हैं, जिससे वे छात्रों को आकर्षित करने में सफल होते हैं।
सरकार के प्रयास और चुनौतियां
सरकार ने दाखिले बढ़ाने के लिए कुछ कदम उठाए हैं, लेकिन वे नाकाफी साबित हुए हैं। सरकारी कॉलेजों में 101 नए कोर्स और 33 नए विषय शुरू किए गए, ताकि छात्र अधिक विकल्प चुन सकें। उच्चतर शिक्षा विभाग ने सभी कॉलेज प्राचार्यों को दाखिलों के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करने के निर्देश दिए।
इन प्रयासों के बावजूद, परिणाम उम्मीद के मुताबिक नहीं रहे। इसका एक बड़ा कारण यह है कि सरकार ने सिर्फ कागज़ी निर्देश जारी किए, जबकि जमीनी स्तर पर इनकी कमी दिखाई दी। जब तक कॉलेजों में शिक्षकों की भर्ती नहीं होती और सुविधाओं में सुधार नहीं होता, तब तक सिर्फ नए कोर्स शुरू करने से समस्या का समाधान नहीं होगा।
खाली पदों का असर
शिक्षकों के खाली पद सिर्फ एक संख्या नहीं हैं, बल्कि यह शिक्षा की गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करते हैं। सरकारी कॉलेजों में 2758 पद खाली हैं, जिससे मौजूदा शिक्षकों पर काम का बोझ बढ़ रहा है। इससे वे छात्रों पर व्यक्तिगत ध्यान नहीं दे पाते, जिससे पढ़ाई प्रभावित होती है। एडेड कॉलेजों में भी 800 से अधिक पद खाली हैं। इन कॉलेजों में भर्ती पर लगे प्रतिबंध को अब हटा दिया गया है, लेकिन जब तक इन पदों पर योग्य शिक्षकों की भर्ती नहीं होती, तब तक हालात नहीं सुधरेंगे।
सरकार और शिक्षा विभाग को कठोर कदम उठाने होंगे
तुरंत भर्ती : शिक्षकों के खाली पदों को तुरंत भरा जाना चाहिए। एचपीएससी को भेजी गई भर्तियों पर तेज़ी से काम किया जाना चाहिए, ताकि छात्रों को योग्य शिक्षक मिल सकें।
गुणवत्ता सुधार : कॉलेजों में आधुनिक सुविधाएं, जैसे अच्छी लाइब्रेरी, लैब और तकनीकी उपकरण उपलब्ध कराए जाने चाहिए। शिक्षा का स्तर बेहतर करने के लिए शिक्षकों को भी नियमित रूप से प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
सटीक प्रचार रणनीति : केवल पत्र लिखने से काम नहीं चलेगा। सरकार को सोशल मीडिया, स्थानीय अखबारों और रेडियो के माध्यम से नए कोर्स और सरकारी कॉलेजों की सुविधाओं का सक्रियता से प्रचार करना चाहिए।
प्लेसमेंट सेल का गठन : छात्रों को आकर्षित करने के लिए हर कॉलेज में एक सक्रिय प्लेसमेंट सेल होना चाहिए जो उन्हें रोज़गार के अवसर प्रदान करने में मदद करें।
अगर आपको यह खबर उपयोगी लगी हो, तो इसे सोशल मीडिया पर शेयर करना न भूलें और हर अपडेट के लिए जुड़े रहिए [haribhoomi.com] के साथ।