जन्माष्टमी: चंडीगढ़ इस्कॉन मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से सजाया जाएगा, लाखों श्रद्धालुओं के लिए बनेगा भव्य 'फूल बंगला'

जन्माष्टमी का उत्सव इस बार दो दिन तक चलेगा। मंदिर प्रबंधन ने इसके लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं, जिसमें 700 से अधिक स्वयंसेवक और पुलिस बल शामिल हैं। 15 अगस्त को रात 10:30 बजे से 108 कलशों से भगवान का अभिषेक किया जाएगा, जो भक्तों के लिए एक विशेष और आध्यात्मिक अनुभव होगा।

Updated On 2025-08-14 08:10:00 IST

ISKCON temple Chandigarh.

जन्माष्टमी का त्योहार पूरे देश में बड़ी धूमधाम और भक्ति के साथ मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की खुशी में हर शहर के मंदिर विशेष रूप से सजाए जाते हैं और चंडीगढ़ भी इससे अछूता नहीं है। शहर के सेक्टर-36 स्थित इस्कॉन मंदिर में कृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। इस बार मंदिर में दो दिवसीय भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें 10 क्विंटल ताजे फूलों से मंदिर को सजाया जाएगा। मंदिर प्रबंधन को उम्मीद है कि इस साल 2 लाख से अधिक श्रद्धालु भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन और जन्मोत्सव में शामिल होने के लिए आएंगे।

भव्य सजावट और वृंदावन के कलाकार कर रहे विशेष तैयारी

इस्कॉन मंदिर में इस बार राधा-माधव के लिए एक भव्य 'फूल बंगला' तैयार किया जा रहा है। मंदिर के सह-अध्यक्ष अक्रूर नंदन दास ने बताया कि वृंदावन से आए विशेष कलाकार इस फूल बंगले को बना रहे हैं। इसके साथ ही, भगवान के लिए वृंदावन में ही विशेष पोशाकें भी तैयार की जा रही हैं। मंदिर को भव्य रूप देने के लिए कोलकाता, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश और बेंगलुरु से ताजे फूल मंगाए गए हैं। मंदिर को गुलाब, गेंदा, रजनीगंधा और अन्य फूलों से सजाया जाएगा। अनुमान है कि इस सजावट पर ही लगभग 5 लाख रुपये का खर्च आएगा, जबकि पंडाल पर 8 लाख रुपये का खर्च होगा। यह सारी व्यवस्था भक्तों को एक अद्भुत और आध्यात्मिक अनुभव देने के लिए की जा रही है।

दो दिवसीय कार्यक्रम और सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

इस साल जन्माष्टमी का उत्सव दो दिनों तक चलेगा। इन दो दिनों में भक्त पूरे जोश और भक्ति के साथ नृत्य और कीर्तन में हिस्सा लेंगे। भक्तों की भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। मंदिर के बाहर एक विशाल वाटरप्रूफ पंडाल लगाया गया है ताकि बारिश का मौसम भी उत्सव में बाधा न डाल सके। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए 5 से 6 बैरिकेड्स भी लगाए जा रहे हैं। सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस बल भी तैनात रहेगा। मंदिर प्रबंधन ने 700 से अधिक स्वयंसेवकों और निजी सुरक्षाकर्मियों को भी इस कार्य के लिए लगाया है, ताकि सभी भक्त सुरक्षित और व्यवस्थित तरीके से दर्शन कर सकें।

तारीख को लेकर भक्तों में कन्फ्यूजन

इस साल जन्माष्टमी की तारीख को लेकर भक्तों में काफी कन्फ्यूजन है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अलग-अलग पंचांगों में अलग-अलग तारीखें दी गई हैं। दृक पंचांग के अनुसार जन्माष्टमी 15 अगस्त को है, जबकि मिथिला पंचांग इसे 17 अगस्त को बता रहा है। वहीं, कई अन्य पंचांग जन्माष्टमी 16 अगस्त को बता रहे हैं। इस वजह से यह सवाल उठ रहा है कि भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव किस दिन मनाया जाए। बता दें कि इस्कॉन मंदिर के पुजारियों के अनुसार इस साल जन्माष्टमी 15 अगस्त को मनाई जाएगी। इस उत्सव के लिए कई भक्तों ने मंदिर में वस्त्र और फलों का दान भी किया है।

जन्माष्टमी के मुख्य दिन यानी 15 अगस्त को दोपहर 2:52 बजे से जन्माष्टमी का उत्सव शुरू होगा। रात 10:30 बजे से 12 बजे तक इस्कॉन के पुजारियों द्वारा भगवान का भव्य अभिषेक किया जाएगा। यह अभिषेक पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, चीनी) और विभिन्न प्रकार के फलों के रस से किया जाएगा। भक्तों की आस्था को ध्यान में रखते हुए यह विशेष अभिषेक 108 कलशों से होगा। अभिषेक के बाद भगवान की भव्य महा-आरती की जाएगी और फिर भक्तों के बीच प्रसाद बांटा जाएगा। यह अभिषेक भक्तों के लिए एक बेहद खास और आध्यात्मिक अनुभव होता है।

सेक्टर-36 के अंदर जाने वाली सड़क वाहनों के लिए बंद रहेगी

मंदिर के आसपास की यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए भी विशेष प्रबंध किए गए हैं। दक्षिण मार्ग सेक्टर-36 के अंदर जाने वाली सड़क को वाहनों के लिए बंद किया जाएगा, क्योंकि अधिकतर लोग पैदल ही मंदिर आना पसंद करते हैं। इस संबंध में जल्द ही यातायात पुलिस द्वारा एक एडवाइजरी भी जारी की जाएगी। इस पूरे उत्सव की तैयारियों में दिन-रात लगी महिला सेवादारों ने बताया कि वे हर रोज 7-8 घंटे काम करती हैं। उनका कहना है कि राधा-कृष्ण की सेवा करना उनके लिए सिर्फ एक काम नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संतुष्टि है, जो उनके मन को शांति देती है। विभिन्न ग्रुपों में बंटी ये महिलाएं श्रृंगार से लेकर साफ-सफाई तक, सभी काम बड़े प्रेम से करती हैं।

यह उत्सव न केवल भगवान श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का जश्न है, बल्कि यह भक्ति, समर्पण और समुदाय की भावना का भी प्रतीक है। इस्कॉन मंदिर की इन तैयारियों से यह साफ है कि इस साल की जन्माष्टमी एक यादगार और भव्य आध्यात्मिक अनुभव बनने जा रही है। 

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