राजस्व रिकॉर्ड से हटेंगे अरबी व फारसी शब्द: हरियाणा में अकबर के जमाने से चले आ रहे रकबा और इंतकाल समेत 900 शब्दों को मिलेगी छुट्टी

यह कदम जनता की सुविधा के लिए उठाया जा रहा है, क्योंकि ये जटिल शब्द अक्सर लोगों की समझ से बाहर होते थे, जिससे फर्जीवाड़े की आशंका बनी रहती थी। इन पुराने शब्दों की जगह अब हिंदी और अंग्रेजी के सरल शब्दों का इस्तेमाल होगा।

Updated On 2025-06-14 12:45:00 IST

हरियाणा में अब राजस्व रिकॉर्ड में पारदर्शिता और आमजन की सुविधा के लिए एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। मुगल बादशाह अकबर के समय से इस्तेमाल हो रहे फारसी और अरबी के करीब 900 शब्दों को राजस्व रिकॉर्ड से हटाने का निर्णय लिया गया है। रिटायर्ड आईएएस अधिकारी वीएस कुंडू की अध्यक्षता में गठित वन मैन रेवेन्यू कमीशन ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है, जिसमें इन पुराने शब्दों को हटाने की सिफारिश की गई है। सरकार अब इन शब्दों के हिंदी और अंग्रेजी विकल्पों वाली एक बुकलेट जारी करेगी, जिससे लोगों के लिए राजस्व संबंधी काम आसान हो जाएंगे।

मनोहर लाल सरकार ने की थी पहल

हरियाणा के तब के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने जनवरी 2023 में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी वीएस कुंडू को वन मैन रेवेन्यू कमीशन का अध्यक्ष नियुक्त किया। कमीशन को राजस्व विभाग के दस्तावेजों से फारसी, उर्दू व अरबी मिश्रित शब्दों को हटाने व भूमि से जुड़े कानूनों में संशोधन की जिम्मेदारी दी थी, करीब 30 महीने के बाद कमीशन ने विस्तृत रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत की है।

इन कारणों से पड़ी कमीशन बनाने की जरूरत

1. फर्जीवाड़े पर लगेगी लगाम: जमीन से संबंधित कागजातों में वाहिब, मुतबन्ना, माहूना, मालगुजारी, वसीका, रफा-ए-आम, तरमीम, जद्दी, बारानी और फरीक अव्वल जैसे शब्द आमजन की समझ से बाहर होते हैं। इस भाषाई जटिलता का फायदा उठाकर अक्सर लोगों के साथ फर्जीवाड़ा हो जाता है। इस समस्या से निपटने के लिए कमीशन ने ऐसे 900 शब्दों की एक सूची तैयार की है और उनके हिंदी व अंग्रेजी में अर्थ भी बताए हैं।

2. 16वीं शताब्दी से हो रहा था उपयोग : ये शब्द 16वीं शताब्दी में मुगल शासक अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल के समय से जमीन के रिकॉर्ड में प्रयोग किए जा रहे थे। ब्रिटिश शासन ने भी इन शब्दों का प्रयोग जारी रखा और आज भी जमीनों की लिखा-पढ़ी में ये शब्द प्रयोग हो रहे हैं। इन शब्दों को केवल राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी या तहसीलों में रजिस्ट्री लिखने वाले वसीका नवीस ही समझते हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने राजस्व आयोग को जमीन संबंधी मामलों में सरलीकरण का निर्देश दिया था।

3. सभी DC से मांगे गए थे सुझाव : मुगल काल से प्रयोग हो रहे कई शब्द आमजन को समझ नहीं आते थे। इन शब्दों की सूची तैयार कर सभी उपायुक्तों (DC) को भेजी गई थी और उनसे राय भी मांगी गई थी। सभी डीसी के सुझाव मिलने के बाद सूची को अपडेट करके राजस्व विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। इसके बाद लोग अपने जमीन संबंधी रिकॉर्ड में प्रयोग हो रहे इन शब्दों के अर्थ आसानी से जान सकेंगे, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी।

जमीनों का रिकॉर्ड होगा और भी आधुनिक

सरकार केवल शब्दों को बदलने तक ही सीमित नहीं रहेगी, बल्कि परिवार पहचान पत्र (PPP) और आधार को लिंक कर पूरे भूमि रिकॉर्ड को सुधारने की तैयारी कर रही है। जमीनों से संबंधित कोर्ट केस और विकसित जमीनों का पूरा रिकॉर्ड सरकार के लिए एक क्लिक पर उपलब्ध कराने की व्यवस्था बनाई जाएगी।

इसके अतिरिक्त कलेक्टर रेट तय करने का नया फॉर्मूला भी आयोग की ओर से सरकार को सुझाया गया है। जमीन की पैमाइश (माप) करने की नई तकनीकें भी इसमें शामिल हैं। रजिस्ट्री को और प्रभावी बनाने और जीआईएस (GIS) आधारित तकनीक से जमीनों की चकबंदी करने को लेकर भी आयोग ने महत्वपूर्ण जानकारी और सुझाव दिए हैं। यह पहल हरियाणा में भूमि प्रबंधन को और अधिक कुशल, पारदर्शी और आम जनता के लिए सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

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