Law and Order: हरियाणा में 106 कंपनियां तैनात, 53 SWAT टीमें भी रहेंगी मुस्तैद, हाईटेक उपकरणों से लैस है फोर्स

प्रदेश सरकार ने कानून-व्यवस्था पर कांग्रेस के हंगामे के बीच बताया कि राज्य में 106 विशेष कानून-व्यवस्था कंपनियों को तैनात किया गया है, जिन्हें दंगों से निपटने की ट्रेनिंग दी गई है। ये कंपनियां हाई-टेक उपकरणों से लैस हैं।

Updated On 2025-08-23 16:41:00 IST

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी। 

हरियाणा में कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर चल रही राजनीतिक बहस के बीच राज्य सरकार ने एक बड़ा खुलासा किया है। हरियाणा विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन कांग्रेस के हंगामे के जवाब में सरकार ने बताया कि प्रदेश में कानून-व्यवस्था को बनाए रखने के लिए 106 विशेष कंपनियां तैनात की गई हैं। इन कंपनियों को दंगों और किसी भी कानून-व्यवस्था की स्थिति से निपटने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है और इन्हें हाई-टेक दंगा-रोधी उपकरणों से पूरी तरह लैस किया गया है। 


विपक्ष ने खराब कानून-व्यवस्था पर चर्चा की मांग की थी

दरअसल, कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष ने राज्य की खराब कानून-व्यवस्था पर चर्चा की मांग की थी, जिसके कारण विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन सदन को छह बार स्थगित करना पड़ा। इसके बावजूद, इस मुद्दे पर चर्चा 26 अगस्त तक टाल दी गई। सरकार ने इस दौरान अपने बचाव में यह डेटा प्रस्तुत किया, जिसमें उसने कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी दी।

आधुनिक पुलिसिंग पर सरकार का जोर

सरकार ने बताया कि पुलिसिंग को आधुनिक और प्रभावी बनाने के लिए कई नई पहल की गई हैं। साल 2021 में आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS), जिसे डायल 112 के नाम से जाना जाता है। इसकी स्थापना की गई थी। यह प्रणाली अपराध की घटनाओं पर पुलिस के प्रतिक्रिया समय (रिस्पांस टाइम) में काफी कमी लाई है। इसके अलावा भीड़ को नियंत्रित करने और कानून-व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए ड्रोन और अन्य आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है। इस संबंध में हरियाणा पुलिस ने दृश्य (Vision) के साथ एक समझौता भी किया है।

सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने के लिए, राज्य के सभी जिलों में कुल 53 विशेष हथियार एवं रणनीति (SWAT) टीमें तैनात की गई हैं। इन टीमों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।

सरकार और विपक्ष की जुबानी जंग

भले ही प्रश्नकाल नहीं हो पाया, लेकिन सरकार ने विधायकों के सवालों के जवाब वेबसाइट पर अपलोड कर दिए। गृह विभाग का प्रभार संभाल रहे मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी की ओर से जारी आंकड़ों में बताया गया है कि 31 जुलाई 2025 तक राज्य में अपराधों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।

• हत्याएं : इस साल 530 हत्याएं दर्ज की गई हैं।

• अपहरण : 2316 अपहरण के मामले और फिरौती के लिए 12 अपहरण की घटनाएं हुई हैं।

• महिलाओं के खिलाफ अपराध : महिलाओं के विरुद्ध अपराध में 779 बलात्कार, 771 अपहरण, 662 छेड़छाड़ और 80 दहेज हत्या के मामले दर्ज किए गए हैं।

• अनुसूचित जातियों और बच्चों के खिलाफ अपराध : अनुसूचित जातियों के विरुद्ध 557 मामले और बच्चों के विरुद्ध पॉक्सो अधिनियम के तहत 1,106 मामले दर्ज किए गए हैं।

इन आंकड़ों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है और कानून-व्यवस्था की खराब स्थिति का आरोप लगा रहा है। वहीं, सरकार का कहना है कि ये मामले दर्ज होने का मतलब है कि लोग अब पुलिस पर भरोसा कर रहे हैं और शिकायत दर्ज करा रहे हैं।

धमकी और जबरन वसूली के मामले

मुख्यमंत्री ने स्वीकार किया कि 2024 के दौरान फोन कॉल के माध्यम से धमकी और जबरन वसूली से संबंधित 168 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 114 मामलों में यानी 68% मामलों में गिरफ्तारियां हुई हैं। उन्होंने यह भी बताया कि दूरसंचार अधिनियम, 2023 की धारा 20(2) के तहत कॉल इंटरसेप्शन की एक प्रभावी व्यवस्था मौजूद है और सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008 की धारा 69(1) के तहत साइबर निगरानी भी की जा रही है।

सोशल मीडिया और नशाखोरी पर निगरानी

राज्य में कानून-व्यवस्था की किसी भी स्थिति का पूर्वानुमान लगाने और उससे निपटने के लिए पुलिस विभाग द्वारा नियमित रूप से सोशल मीडिया की निगरानी की जा रही है। यह खासकर सांप्रदायिक तनाव या भ्रामक जानकारी फैलने से रोकने के लिए किया जा रहा है।

नशीली दवाओं की लत के बारे में मुख्यमंत्री ने बताया कि 18,847 नशेड़ियों की पहचान की गई है और उनमें से 11,558 नशा मुक्ति केंद्रों में अपना इलाज करा रहे हैं। कुल मिलाकर, सरकार का यह दावा है कि विपक्ष केवल राजनीतिक लाभ के लिए कानून-व्यवस्था को मुद्दा बना रहा है, जबकि सरकार इसे बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। हालांकि, विपक्ष का मानना है कि ये प्रयास नाकाफी हैं और अपराध के बढ़ते आंकड़े इस बात का सबूत हैं कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण से बाहर है। 26 अगस्त को विधानसभा में होने वाली चर्चा में इस मुद्दे पर और भी तीखी बहस होने की उम्मीद है। 

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