Shiv Temple: पानीपत के इस गांव में स्थित है हरियाणा का सबसे ऊंचा शिव मंदिर, महाशिवरात्रि पर जरूर बनाए जाने का प्लान

Highest Shiv Temple in Haryana: पानीपत के इस गांव में राज्य का सबसे ऊंचा शिव मंदिर स्थित है। जो केवल हरियाणा का सबसे ऊंचा शिव मंदिर ही नहीं, बल्कि यह अपनी एक खास मान्यता के लिए भी प्रसिद्ध है।

Updated On 2024-03-04 10:38:00 IST
पानीपत में स्थित है हरियाणा का सबसे ऊंचा शिव मंदिर।

Highest Shiv Temple in Haryana: पौराणिक काल से ही हरियाणा ऋषि-मुनियों की धरती रही है। कहा जाता है कि यहां पर अनेकों ऋषि-मुनियों ने तप-साधना की थी। जिसके प्रमाण स्वरूप आज भी प्रदेश में कई तीर्थ स्थलों और मंदिर मौजूद है, जिनकी अपनी-अपनी मान्यता है। ऐसा ही एक मंदिर है पानीपत में स्थित है, जो न केवल हरियाणा का सबसे ऊंचा शिव मंदिर ही नहीं, बल्कि यह अपनी एक खास मान्यता से भी जाना जाता है।

कई फीट ऊंचा है यह मंदिर

पानीपत के कवि गांव में स्थित इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 151 फीट है।  यह राज्य में सबसे ऊंचे शिव मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण बाबा बालक नाथ द्वारा करवाया गया था। इसकी नींव 21 फरवरी 1997 में रखी गई थी। बाबा बालकनाथ और गांव के लोगों के सहयोग से इस मंदिर का निर्माण किया गया था। इस मंदिर में भगवान शिव की विशाल शिवलिंग को स्थापित किया गया है।

क्या है इस मंदिर की मान्यता

गांव के लोगों का मानना है की बाबा बालक नाथ में ऐसी शक्ति थी, जिसे भी वह आशीर्वाद देते थे उसकी मनोकामना पूर्ण हो जाती थी। यह भी माना जाता है कि बाबा बालक नाथ के आशीर्वाद से आसपास के गांवों की हजारों महिलाओं को संतान की भी प्राप्ति हुई। गांव के लोग बताते हैं कि बाबा बालक नाथ के चमत्कारी भस्म से बांज महिलाओं की गोद भर जाती थी।

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इस शिव मंदिर में घंटी चढ़ाने की है मान्यता

ऐसा एक शिव मंदिर गुरुग्राम से 20 किलोमीटर दूर सोहना शिव कुंड पर प्राचीन चमत्कारी शिव मंदिर स्थित है।  जहां पर बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि  यहां जो भी भक्त भगवान से सच्चे मन से मन्नत  मांगता है, भगवान शिव उसकी इच्छा को जरूर पूरा करते हैं। यहां के मंदिर के पुजारी का कहना कि इस शिव मंदिर पर घंटी चढ़ाने की पुरानी परंपरा है। बताया जाता है कि घंटी चढ़ाने से शिव प्रसन्न होते हैं. जब भी किसी की कोई खुशी की बात होती है, तो वह अपनी खुशी को घंटी बांधकर जाहिर  करते हैं। मंदिर में यह परम्परा  900 साल से चलती आ रही है।

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