फर्जीवाड़ा: बाप बड़ा न भैया, सबसे बड़ा रपैया, डेढ़ साल में बने 1136 हैवी लाइसेंस, 949 ब्लॉक, फाइल भी मिली गायब 

मनोहर लाल ने नियुक्ति के नियमों में बदलाव कर आईपीएस व एचपीएस अधिकारियों को ट्रांसपोर्ट व आरटीए कार्यालयों की जिम्मेदारी सौंपी थी।

Updated On 2024-03-19 22:31:00 IST
बहादुरगढ़। आरटीए कार्यालय में जांच करते संयुक्त टीम के सदस्य।

बहादुरगढ़। सीएम फ्लाइंग और सीआईडी की संयुक्त टीम ने सोमवार को सेक्टर-12 में स्थित आरटीए कार्यालय में छापा मारा। इस दौरान पता चला कि करीब डेढ़ साल के दौरान यहां 1136 हैवी लाइसेंस बने हैं। लेकिन इनमें से 949 लाइसेंस नियम विरुद्ध बनाए जाने के कारण ब्लॉक कर दिए गए। फिलहाल संयुक्त टीम ने पूरे मामले की जांच शुरू कर दी है।

एचपीएस गजेंद्र के पास जिम्मेदारी, दफ्तर में नहीं मिले

मुख्यमंत्री उड़दस्ते और गुप्तचर विभाग की छापेमार कार्रवाई के दौरान आरटीए सचिव गजेंद्र सिंह कार्यालय में नहीं मिले। मौके पर मिले एमवीओ सुखबीर सिंह ने बताया कि एचपीएस गजेंद्र सिंह के पास झज्जर के अलावा रेवाड़ी के आरटीए सचिव का कार्यभार भी है। इसके उपरांत संयुक्त टीम ने आरटीए कार्यालय के कर्मचारियों की उपस्थिति चैक की। 

बैक लॉग पर बना दिए लाइसेंस, फाइल मिली गायब 

साथ ही हैवी लाइसेंसों का रिकार्ड भी चेक किया गया। इस दौरान पता चला कि एक अक्टूबर 2022 से अब तक कुल 1136 लाइसेंस बने हैं। जिनमें से 949 लाइसेंस आरटीए कार्यालय द्वारा 24 फरवरी 2024 तक ब्लॉक किए गए थे। सहायक आरटीए सुखबीर सिंह ने बताया कि ब्लॉक किए गए लाइसेंस नियमों के विरूद्ध बनाए गए थे। इतना ही नहीं इन 949 लाइसेंसों की फाइलें भी आरटीए कार्यालय में उपलब्ध नहीं हैं। ये लाइसेंस बैक लॉग के आधार पर जारी किए गए हैं। फिलहाल इनकी जांच की जा रही है।

असफल रहा "मनोहर" प्रयोग

आरटीए में भ्रष्टाचार की शिकायतों को देखते हुए मनोहर लाल ने नियुक्ति के नियमों में बदलाव कर आईपीएस व एचपीएस अधिकारियों को ट्रांसपोर्ट व आरटीए कार्यालयों की जिम्मेदारी सौंपी थी। एचपीएस गजेंद्र लंबे समय से आरटीए के पद पर बने हैं तथा फिलहाल झज्जर व रेवाड़ी को संभाल रहे हैं। रेवाड़ी कार्यालय पहले से ही भ्रष्टाचार में फंस चुका है, अब झज्जर का नाम भी जुड़ गया है। रोहतक, हिसार, पलवल सहित प्रदेश के अधिकतर जिलों में आरटीओ में भ्रष्टाचार के मामले सामने आ चुके हैं।   


 

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