हरियाणा खरीफ फसल खरीद 2025: दलहन और तिलहन की खरीद का शेड्यूल और मंडी निर्धारित, जानें कब खरीदेंगे फसल
हरियाणा में दलहन और तिलहन की खेती को खरीदने के दिन और मंडियां निर्धारित कर दी गई हैं। करीब 100 मंडियों में इन फसलों की खरीद होगी। जानें कब कौन सी फसल खरीदी जाएगी।
हरियाणा में 15 नवंबर तक होगी मूंग की खरीद।
हरियाणा खरीफ फसल खरीद 2025 : हरियाणा सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 में दलहन और तिलहन की खरीद को लेकर पूरी रणनीति तैयार कर ली है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी ने बुधवार को राज्य की 100 से अधिक मंडियों की समीक्षा बैठक करते हुए खरीद व्यवस्था और उत्पादन की प्रगति पर विस्तार से चर्चा की। बैठक में संबंधित विभागों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि किसानों को मंडियों में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। उन्होंने मंडियों में बारदाने की पर्याप्त उपलब्धता, भंडारण क्षमता और खरीद की समयसीमा पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए।
कब और कहां होगी खरीफ फसलों की खरीद
राज्य सरकार ने खरीफ दलहन और तिलहन की हर फसल के लिए अलग-अलग खरीद केंद्र और तिथियां तय कर दी हैं।
मूंग : 23 सितंबर से 15 नवंबर 2025 तक 38 मंडियों में खरीद की जाएगी।
अरहर और उड़द : दिसंबर 2025 से खरीद शुरू होगी।
मूंगफली : 1 नवंबर से 31 दिसंबर 2025 तक 7 मंडियों में खरीद होगी।
तिल : दिसंबर 2025 में 27 मंडियों के जरिये खरीद की जाएगी।
सोयाबीन : अक्टूबर से नवंबर 2025 के बीच 7 मंडियों में खरीद होगी।
नाइजरसीड : अक्टूबर से नवंबर 2025 के बीच 2 मंडियों के जरिये खरीद की जाएगी।
मुख्य सचिव ने मंडियों में आने वाले किसानों को समय पर तौल, भुगतान और परिवहन की सुविधा देने पर जोर दिया।
मूंग के उत्पादन में नई ऊंचाई
खरीफ 2025-26 में दलहन फसलों के उत्पादन को लेकर हरियाणा ने खास उपलब्धि दर्ज की है। विशेष रूप से मूंग की खेती में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
रकबा : 2024-25 के 1.09 लाख एकड़ से बढ़कर 2025-26 में 1.47 लाख एकड़।
उपज : 300 किलो प्रति एकड़ से बढ़कर 400 किलो प्रति एकड़।
उत्पादन : 32,715 मीट्रिक टन से उछलकर 58,717 मीट्रिक टन तक पहुंचने का अनुमान।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के प्रमुख सचिव पंकज अग्रवाल ने बताया कि राज्य में वैज्ञानिक तकनीक और किसानों की मेहनत के कारण दलहन-तिलहन उत्पादन में लगातार सुधार हो रहा है।
अरहर, उड़द और तिल की खेती में भी सुधार
मूंग के साथ-साथ अरहर और उड़द के रकबे व उत्पादन में भी मामूली वृद्धि दर्ज हुई है। हालांकि सबसे बड़ा उछाल तिल में देखने को मिला है।
तिल का रकबा : 2024-25 के 800 एकड़ से बढ़कर 2025-26 में 2,116 एकड़।
उत्पादन : 446 मीट्रिक टन तक पहुंचने की संभावना।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि तिल और मूंग जैसी नकदी फसलें किसानों की आय दोगुनी करने में सहायक साबित हो सकती हैं।
किसानों को मिलेगी राहत
राज्य सरकार का दावा है कि खरीफ विपणन सत्र के दौरान मंडियों में पर्याप्त इंतजाम किए जाएंगे। किसानों को समर्थन मूल्य पर फसल बेचने में किसी तरह की दिक्कत नहीं होगी। वहीं, ऑनलाइन भुगतान प्रणाली से पारदर्शिता भी बनी रहेगी। मुख्य सचिव ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिए कि मंडियों में स्वच्छता, पेयजल और शेड की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा, भंडारण स्थलों पर अनाज की सुरक्षा के लिए भी पुख्ता कदम उठाए जाएं।