हिसार कांग्रेस अध्यक्ष बदला: लाल बहादुर खोवाल ने बांट दी मिठाई, जिला अध्यक्ष बने थे बृजलाल बहबलपुरिया

हिसार में कांग्रेस का जिलाध्यक्ष रातों रात बदल गया। यह सब एक टाइपिंग एरर की वजह से हुआ। रात में जिस नेता ने मिठाई बांटी, सुबह उसे पता चला कि कुर्सी तो कोई और ले गया। जानें कैसे हुई यह गलती।

Updated On 2025-08-13 17:08:00 IST
हिसार में कांग्रेस नेता लाल बहादुर खोवाल व बृजलाल बहबलपुरिया। 

हिसार कांग्रेस अध्यक्ष बदला : हरियाणा कांग्रेस में जिलाध्यक्षों की नई नियुक्तियों की घोषणा के साथ ही हिसार में अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई। वजह थी लिस्ट में हुआ टाइपिंग एरर। लिस्ट में सरनेम की गड़बड़ी की वजह से एक नेता ने अध्यक्ष बनने की मिठाई बांट दी, लेकिन सुबह पता चला कि अध्यक्ष तो किसी और को बनाया गया है। एक टाइपिंग की गलती की वजह से हिसार कांग्रेस में पूरा माहौल ही बदल गया।

हिसार में बनाए गए हैं दो अध्यक्ष

मंगलवार देर रात कांग्रेस हाईकमान ने पूरे प्रदेश में जिलाध्यक्षों के नाम घोषित किए। हिसार जिले में दो पद बनाए गए शहरी जिलाध्यक्ष और ग्रामीण जिलाध्यक्ष। शहरी पद पर बजरंग दास गर्ग का नाम आया, जबकि ग्रामीण के लिए सूची में बृजलाल खोवाल लिखा था। यहीं से विवाद शुरू हो गया।

खोवाल ने रातभर बधाइयां स्वीकार की



 

लिस्ट में ‘खोवाल’ उपनाम देखकर वरिष्ठ कांग्रेस नेता लाल बहादुर खोवाल ने इसे अपना नाम मान लिया। उन्होंने तुरंत जश्न शुरू किया, लड्डू मंगवाए और रातभर बधाइयां स्वीकार कीं। कुमारी सैलजा गुट से आने वाले खोवाल के समर्थकों ने भी खुशियां मनाईं। सुबह तक उन्होंने कार्यक्रम भी तय कर लिए थे।

बहबलपुरिया ने कांग्रेस प्रभारी से पुष्टि की

लेकिन कहानी में मोड़ तब आया, जब कांग्रेस नेता बृजलाल बहबलपुरिया ने सूची देखी और उन्हें शक हुआ। इस पर पुष्टि करने के लिए उन्होंने कांग्रेस प्रभारी से संपर्क किया। जांच में पता चला कि असल में नाम “बृजलाल बहबलपुरिया” होना चाहिए था, लेकिन टाइपिंग के दौरान सरनेम की जगह गलती से “खोवाल” लिख दिया गया। कांग्रेस कार्यालय ने तुरंत स्पष्ट किया कि ग्रामीण जिलाध्यक्ष का पद बृजलाल बहबलपुरिया को ही मिला है।

टाइपिंग एरर को ठीक कर दिया है : प्रदेश प्रवक्ता

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एडवोकेट योगेश सिहाग ने मीडिया को बताया कि यह पूरी तरह टाइपिंग एरर था, जिसे अब ठीक कर दिया गया है। दोनों जिलाध्यक्ष पार्टी को मजबूत करने में मिलकर काम करेंगे। दूसरी ओर, लाल बहादुर खोवाल और उनके समर्थकों के लिए यह खबर मायूसी लेकर आई। रातभर जिस खुशी का माहौल था, वह दिन चढ़ते-चढ़ते ठंडा पड़ गया। खोवाल गुट के लोग इस बात से नाराज़ भी दिखे कि नाम की गलती इतनी देर तक क्यों बनी रही।

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