Hisar Court: हिसार में हत्या के प्रयास में मां-बेटी को 3 साल कैद, कोर्ट ने कहा- परिणाम पता होने पर...

Hisar Court: हिसार कोर्ट ने हत्या के प्रयास के मामले में मां-बेटी को 3 साल कैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा दोषियों पर जुर्माना भी लगाया गया है।

Updated On 2025-11-30 15:26:00 IST

हिसार कोर्ट ने मां-बेटी को सुनाई 3 साल कैद की सजा। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Hisar Court: हिसार कोर्ट ने हत्या के प्रयास में मां-बेटी को 3 साल कैद की सजा सुनाई गई है। हिसार की एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज अनुदीप कौर भट्‌टी की अदालत द्वारा मामले पर फैसला सुनाया गया है। कोर्ट ने दोषियों को प्रोबेशन या ट्रायल के दौरान काटी गई अवधि पर रिहा करने से मना कर दिया। इसके अलावा कोर्ट ने दोनों पर 500 रुपए का अतिरिक्त जुर्माना भी लगाया है। कोर्ट का कहना है कि अगर 1 महीने के भीतर जुर्माना नहीं भरा गया तो दोषियों को एक्स्ट्रा कैद की सजा होगी।

क्या है पूरा मामला ?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 2020 में संडोल गांव के रहने वाले धीरसिंह ने पुलिस को शिकायत में बताया कि वह खेतीबाडी का काम करता है। उसके चाचा जसवंत सिंह का घर उसके घर के साथ में है। धीरसिंह ने आगे बताया कि उसके चाचा ने मकान के पीछे शौचालय बनाया हुआ है, जिसकी वजह से पड़ोसी मोनी देवी और उसके परिवार के लोग उनसे झगड़ा करते हैं।

20 फरवरी को जब उसके चाचा जसवंत सिंह मकान के पीछे शौचालय के पास थे। उसी दौरान सुनील, प्रदीप मोनी, सुनीता और निर्मला उनसे झगड़ा करने लगे और ईंट पत्थर फेंकने लगे। झगड़े के दौरान जसवंत को सभी ने घेर लिया और थप्पड़ मुक्के मारते हुए जमीन पर जान से मारने की नीयत से धक्का देकर गिरा दिया। धीरसिंह ने बताया कि उसके चाचा को घायल अवस्था में अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

कोर्ट ने क्या कहा ?

पुलिस ने परिजन की शिकायत पर सुनील, प्रदीप, मोनी देवी, सुनीता और निर्मला पर हत्या केस दर्ज कर लिया था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह हत्या जानबूझकर नहीं की गई। मामले की सुनवाई आगे भी जारी रही, जिस पर कोर्ट ने मां मोनी देवी और बेटी सुनीता को कैद की सजा सुनाई। मामले को लेकर कोर्ट ने आदेश में कहा कि, 'किसी भी अपराधी को पूरी तरह से समाप्त करने वाला या पूरी तरह से सुधारने वाला नहीं मानना चाहिए।'

कोर्ट ने कहा कि सजा सुनाते समय अपराधी की उम्र, पिछला रिकॉर्ड, सुधार की संभावना और अपराध की परिस्थितियां मायने रखती हैं।' कोर्ट का कहना है कि दोषियों ने परिणाम पता होने के बावजूद भी क्राइम किया है, लेकिन उनकी जीवन की कठिनाइयों और उम्र को अनदेखा नहीं किया जा सकता।

दोषियों ने कोर्ट के सामने रखा पक्ष 

सुनवाई के दौरान दोषियों ने अपनी गरीबी का हवाला देते हुए सजा नरमी बरतने की दलीलें दी थीं। मोनी देवी ने कोर्ट में कहा था कि वह 60 साल की है और विधवा है। उन्होंने यह भी कहा कि वह मजदूरी करके अपने 4 बच्चों को पालती है। वहीं सुनीता ने भी गरीबी का हवाला देते हुए कहा कि उसकी 9 वर्षीय बेटी है। काम की वजह से उसका पति घर से दूर रहता है। घर में वह अपनी सास और बेटी के साथ अकेली रहती है। दोषियों के वकील ने कोर्ट से कहा था कि उनके साथ नरमी बरती जाए।

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