सुप्रीम कोर्ट ने लगाई MCD को फटकार: चांदनी चौक में बुलडोजर एक्शन रोकने के आदेश, बोले- हमें एमसीडी की रिपोर्ट पर भरोसा नहीं

Delhi Latest News: सुप्रीम कोर्ट ने एमसीडी को फटकार लगाते हुए चांदनी चौक इलाके में चल रहे अवैध ध्वस्तीकरण को रोकने के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने ये भी कहा कि जब अवैध निर्माण हो रहा था, तो एमसीडी ने क्यों नहीं रोका?

Updated On 2025-05-14 09:38:00 IST

Supreme Court 

Delhi Latest News: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली एमसीडी को फटकार लगाते हुए चांदनी चौक में ध्वस्तीकरण पर रोक लगा दी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने 13 मई को सुनवाई के दौरान फतेहपुरी क्षेत्र में हो रहे आवासीय भवनों और वाणिज्यिक भवनों के ध्वस्तीकरण को रोकने के आदेश दे दिए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर एमसीडी समय पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं करता है, तो माना जाएगा कि वो बिल्डरों के साथ मिलीभगत में शामिल हैं।

कोर्ट ने एमसीडी को लगाई फटकार

पीठ ने एक हस्तक्षेपकर्ता की तरफ से पेश की गई क्षेत्र की तस्वीरों की जांच की। उन्होंने एमसीडी (दिल्ली नगर निगम) को फटकार लगाते हुए वाणिज्यिक परिसरों के निर्माण को रोकने में असमर्थ होने की बात कही। कोर्ट ने एमसीडी को स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए। साथ ही अवमानना कार्रवाई करने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में दावा किया गया कि क्षेत्र में नगर निगम के अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध निर्माण का काम किया जा रहा है।

सुनवाई को दौरान बोले एमसीडी के वकील

सुनवाई के दौरान एमसीडी के वकील ने कहा कि अदालत के आदेश का अनुपालन करने के लिए एक टीम ने चांदनी चौक इलाके का दौरा किया। टीम ने पूरे परिसर और आसपास के इलाकों का निरीक्षण किया और इसकी रिपोर्ट भी पेश की। छुट्टियां होने के कारण रिपोर्ट को रिकॉर्ड में नहीं रखा जा सका। वकील ने आश्वासन दिया कि सभी अवैध निर्माण को हटा दिया गया है।

'हम साइट का स्वतंत्र निरीक्षण करना चाहते हैं' सुप्रीम कोर्ट

पीठ की तरफ एमसीडी को आदेश दिया गया कि आवासीय भवनों के ध्वस्तीकरण और वाणिज्यिक परिसरों के ध्वस्तीकरण पर रोक लगाई जाती है। साथ ही अवैध भवनों के निर्माण पर रोक लगाने के आदेश दिए जाते हैं। पीठ ने कहा कि हम साइट का स्वतंत्र निरीक्षण करना चाहते हैं। हम दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों द्वारा पेश की गई रिपोर्ट पर भरोसा नहीं कर सकते। इस मामले की अगली सुनवाई 23 मई 2025 को होगी। 

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