Signature Bridge of Delhi: दिल्ली के टूरिस्ट स्पॉट में शामिल सिग्नेचर ब्रिज, रात का दृश्य देखकर रोशनी में डूब जाएंगे आप
Signature Bridge of Delhi: दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज यमुना नदी के ऊपर स्थित है। यह एक तरह का कैंटिलीवर स्पार केबल-स्टे स्ट्रक्चर है जो वजीराबाद और पूर्वी दिल्ली को जोड़ता है।
Signature Bridge of Delhi: दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज, यमुना नदी के ऊपर स्थित है। यह एक तरह का कैंटिलीवर स्पार केबल-स्टे स्ट्रक्चर है जो वजीराबाद और पूर्वी दिल्ली के बीच एक कनेक्शन बनाता है। अपने विषम डिजाइन के साथ, यह भारत का अपनी तरह का पहला पुल है। 675 मीटर का यह ब्रिज धनुष के आकार का है और लगभग 154 मीटर ऊंचा है, जो कुतुब मीनार की ऊंचाई से दोगुना है।
यह लैंडमार्क ब्रिज अपने व्यूइंग बॉक्स से लुभावने दृश्य मशहूर है और उत्तर और उत्तर पूर्वी दिल्ली के बीच यात्रा के समय को कम करता है। आज ये ब्रिज लोगों के लिए किसी टूरिस्ट स्पॉट से कम नहीं है। इससे यमुना पर स्थित ब्रिज के कारण ट्रैफिक जाम से लोगों को बहुत बड़ी राहत मिली है।
सिग्नेचर ब्रिज का इतिहास
1997 में वजीराबाद पुल की त्रासदी में 28 युवाओं की जान चली गई थी। जो दिल्ली सरकार के लिए एक वेक-अप कॉल थी। ऐसी दुर्घटनाओं को फिर से होने से रोकने के लिए, सरकार ने समानांतर चौड़े पुल के निर्माण का फैसला लिया, जो संकीर्ण वज़ीराबाद पुल पर यातायात की भीड़ को कम करेगा। इस नए पुल की योजना को 1998 के अंत तक अंतिम रूप दे दिया गया था। हालांकि, इस परियोजना में कई बाधाएं आई, जिसमें जनशक्ति की कमी और वित्तीय बाधाएं शामिल थीं।
इन कठिनाइयों के बावजूद, सरकार ने आखिरकार लगभग 1518 करोड़ रुपये की लागत वाले पुल का काम 2010 में शुरू कर दिया और 2013 में 2016 के अंत की एक नई समय सीमा तय की गई और पुल को बनने में 11 साल से ज्यादा का समय लगा। इसका उद्घाटन 4 नवंबर, 2018 को दिल्ली के मुख्यमंत्री द्वारा किया गया।
विशेषज्ञ ने किया था लिफ्ट के प्रस्ताव को खारिज
पर्यटकों को ऊपर ले जाने के लिए पुल में चार लिफ्ट लगाई गई थीं, जिनमें से दो तिरछी और दो सीधी थी। लेकिन सरकार को लगा कि ये लिफ्ट बहुत छोटी हैं और सिर्फ चार ही लोग बैठ सकते हैं। इतनी कम क्षमता वाले लिफ्ट से पर्यटकों को ले जाना मुश्किल था। साथ ही इस लिफ्ट में लगे कांच की वजह से गर्मियों में तापमान 55 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता था, जिस से लोगों के लिए वहां रहना मुश्किल होता।
सरकार ने बाद में कुछ बदलाव करके इसे खोलने की कोशिश की, लेकिन कोई उपाय नहीं मिल सका। उन्होंने सोचा कि दूसरी तरफ एक और टावर बनाया जाए, जिसमें ऊपर जाने के लिए तेज रफ्तार वाली लिफ्ट हो। फिर उसे एक छोटे पुल से ऊपर वाले डेक से जोड़ा जा सके, लेकिन सरकार को सलाह देने वाले जर्मन विशेषज्ञ ने इस प्रस्ताव को ही खारिज कर दिया। ऐसे में सिग्नेचर ब्रिज के ऊपर जाकर दिल्ली का मनोहर दृश्य नहीं देख पाएंगे।